laxmi mittal – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 17 Dec 2019 07:22:28 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 लक्ष्मी मित्तल का स्टील कारोबार अब भारत में शुरू http://www.shauryatimes.com/news/69917 Tue, 17 Dec 2019 07:22:28 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=69917

मित्तल के एसआर स्लरी प्लांट के स्वामित्व के बाद शुरू हुआ बदलाव

एसआर के बोर्ड उखाड़ फेंकने से कर्मचारी सकते में, नौकरी का संकट

दंतेवाड़ा : दुनिया भर में इस्पात किंग के नाम से मशहूर लक्ष्मी मित्तल का स्टील कारोबार अबभारत में शुरू हो गया है। लक्ष्मी मित्तल का बैलाडीला के लौह अयस्क के खदान प्राप्त करने का बहुप्रतिक्षित प्रयास सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पूरा हो गया है। ईएसएसआर इंडिया लिमिटेड के दिवालिया होने के बाद लक्ष्मी मित्तल की कंपनी के द्वारा 42 हजार करोड़ रुपये की बोली लगाने के बाद एसआर इंडिया लिमिटेड ने कानूनी दांव पेच खड़े करके कंपनी को फिर से जीवित करने की लाख कोशिशों के बाद उनकी कंपनी आर्सेनल मित्तल निप्पू ने पूर्ण स्वामित्व हासिल कर लिया है। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के बाद भारत में मित्तल का स्टील कारोबार अब शुरू होने पर इसी सिलसिले में किरंदुल में एसआर इंडिया लिमिटेड की स्लरी पाइपलाइन के प्लांट पर अधिपत्य होने के बाद  एसआर के बोर्ड उखाड़ कर फेंक दिए गए हैं। इस घटना को लेकर एसआर कंपनी के कर्मी और अधिकारी सकते में है, एसआर में कार्यरत कर्मचारियों को लग रहा हैकि उनकी नौकरी खतरे में पड़ गई है।
लक्ष्मी मित्तल वैसे तो भारतीय हैं लेकिन वह लंदन में रहते हैं उन्होंने अपनी भारत की नागरिकता अभी छोड़ी नहीं है। उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल का बैलाडीला के पहाड़ों का लोहा हासिल करने की पुरानी हसरत पूरी हो गई है। किसी भी लोहे उत्पादन की कंपनी के लिए बैलाडीला का लौह अयस्क सोने से कम नहीं है,क्योंकि बैलाडिला का लौह अयस्क पूरे विश्व में सबसे अच्छी क्वालिटी का माना जाता है। राजनीतिक एवं अन्य कारणों से उद्योगपति लक्ष्मी मित्तल की कंपनी भारत के लौह अयस्क के क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर पा रही थी। एसआर इंडिया लिमिटेड के स्वामित्व को हासिल करने के बाद मित्तल उड़ीसा के दुगना पारादीपपाइपलाइन, विशाखापट्टनम पेलीट प्लांट और गुजरात का हजीरा स्टील प्लांट अब उनका हो गया है।

एसआर इंडिया लिमिटेड के किरंदुल प्लांट को अधिकृत करने के बाद मित्तल निप्पों कंपनी के द्वारा एसआर का नामोनिशान मिटाना शुरू कर दिया है। इसी सिलसिलेमें जहां-जहां  एसआर इंडिया का नाम लिखा था उन साइन बोर्ड को उखाड़कर फेंक दिया गया है। कन्वेयर बेल्ट पर एसआर के नाम को मिटाने के लिए पेंट कर दिया गया है। एसआर इंडिया लिमिटेड ने आज से करीब 20 वर्ष पहले इस प्लांट की आधार शिला रखी थी उस वक्त प्लांट परऔर स्लरी पाइपलाइन के प्लांट को लेकर 18 सौ करोड़ रुपए की अनुमानित लागत आई थी। यह विश्व की दूसरी बड़ी पाइप लाइन है, जिसमें पानी के दबाव से लोहे को विशाखापट्टनम प्लांट तक पहुंचाया जाता था। इस प्लांट को चलाने में सबसे बड़ी परेशानी नक्सलियों की है जो लगातार इस पाइप लाइन को समय-समय नुकसान पहुंचाते रहते हैं। जिससे निपटने के लिए एसआर इंडिया लिमिटेड के द्वारा नक्सलियों की मांग पूरी करने का आरोप भी लगा है।

]]>