mamata – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Fri, 27 Sep 2019 11:48:38 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 पितृ पक्ष में आज पूजा पंडाल का उद्घाटन करेंगी ममता, हिंदू संगठनों ने उठाये सवाल http://www.shauryatimes.com/news/57996 Fri, 27 Sep 2019 11:48:38 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=57996
कोलकाता : दशहरा शुरू होने से पहले पितृ पक्ष में ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा दुर्गापूजा पंडालों का उद्घाटन किये जाने को लेकर विवाद उत्पन्न होता दिख रहा है। दरअसल शनिवार से पितृ पक्ष खत्म होगा और दशहरा की शुरुआत होगी। हिंदू रीति रिवाज के मुताबिक दशहरा से पहले दुर्गा पूजा का उद्घाटन करना अशुभ माना जाता है। बावजूद इसके शुक्रवार को ही मुख्यमंत्री उत्तर कोलकाता के चालताबागान, हाथीबागान, नवीनपल्ली, कुमारटोली पार्क और हिंदुस्तान क्लब की पूजा पंडाल का उद्घाटन करेंगी। इसे लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने सवाल खड़ा  किया है। विहिप के अखिल भारतीय कार्यकारी सचिव सचिन सिन्हा ने कहा कि मुख्यमंत्री किसी भी हिंदू रीति रिवाज और परंपरा को नहीं मानतीं।
हर चीज में उनको राजनीति करनी है। किसी भी शुभ और अशुभ पक्ष को मानना उनके लिए मायने नहीं रखता है। उंहोने कहा कि मुख्यमंत्री पूजा करने के लिए पूजा नहीं करती हैं बल्कि राजनीतिक हित-अनहित को देख कर काम करती हैं। श्रद्धा और सम्मान की जगह मां दुर्गा को भी राजनीतिक हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। उन्हें इससे बाज आना चाहिए। इसी तरह से राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ के दक्षिण बंगाल प्रांत कार्यवाहक जिष्णु बसु ने  कहा कि दुर्गा पूजा शक्ति की आराधना का त्यौहार है। इसमें हिंदू रीति रिवाज और सनातनी परंपराओं को माना जाता है लेकिन, मुख्यमंत्री की हिंदू परंपराओं  अनदेखा करने की आदत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि शास्त्रों के नियमों के मुताबिक पितृ पक्ष में दुर्गा पूजा का उद्घाटन अशुभ है। मां दुर्गा की आराधना रीति रिवाज और हृदय से करनी पड़ती है लेकिन मुख्यमंत्री पूजा को मस्ती का जरिया बनाती जा रही हैं।
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ममता सरकार और राजभवन में बीच बढ़ा टकराव http://www.shauryatimes.com/news/57569 Tue, 24 Sep 2019 17:26:37 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=57569 तृणमूल ने राज्यपाल पर लगाया संवैधानिक मर्यादा उल्लंघन का आरोप

कोलकाता : एक बार फिर पश्चिम बंगाल सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को राज्यपाल जगदीप धनखड़ के पहले सिलीगुड़ी दौरे पर राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति को लेकर दिए गए बयान पर सत्तारूढ़ तृणमूल के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कटाक्ष किया है। दरअसल राज्यपाल ने सरकार के प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति को लेकर कहा है कि संभवतः राज्य सरकार के कार्यों के कारण वे लोग व्यस्त हैं लेकिन राज्य के पहले सेवक के आने पर इस तरह से अनुपस्थिति अपेक्षित नहीं थी। राज्यपाल ने कहा था कि वह राजनीतिक जोकर नहीं है बल्कि राज्य प्रशासन का अहम हिस्सा हैं और उन्हें उम्मीद थी कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से लेकर राज्य प्रशासन के अधिकारी उनके द्वारा बुलाई गई बैठक में आएंगे। राज्य सरकार का रवैया निराशाजनक है। इस पर पलटवार करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को इस तरह की बयानबाजी नहीं करनी चाहिए।

राज्यपाल लगातार राजनीतिक बयानबाजी कर रहे हैं। उनका व्यवहार पक्षपातपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल गैरजरूरी तरीके से अति सक्रिय हो गए हैं। उचित होगा कि वह राजनीतिक चमक-दमक से दूर रहकर अपना संवैधानिक दायित्व निभाएं। इसके पहले गत 19 सितम्बर को जादवपुर विश्वविद्यालय में केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के घेराव से बचाने के लिए भी राज्यपाल जब पहुंचे थे तो पार्थ चटर्जी ने इसी तरह का आरोप लगाया था। हालांकि मंगलवार को राज्यपाल ने स्पष्ट कर दिया है कि वह राज्य प्रशासन और सरकार के प्रतिनिधियों के नहीं आने से व्यथित जरूर हैं लेकिन हताश नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वह इस तरह का दौरा प्रत्येक जिले में करेंगे और हर जगह जिलाधिकारियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। माना जा रहा है कि राज्य सरकार की इस घोषणा के बाद अगर वह जिलों का दौरा करते हैं तो इसी तरह से राज्य प्रशासन के अधिकारियों की अनुपस्थिति रहने पर राज्य सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढ़ेगा।

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West Bengal : चिकित्सकों पर हमले की शिकायत के लिए ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च http://www.shauryatimes.com/news/51793 Wed, 07 Aug 2019 18:49:27 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=51793 कोलकाता : चिकित्सकों पर होने वाले हमले, उत्पीड़न अथवा अत्याचार से संबंधित किसी भी तरह की शिकायत करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल पश्चिम बंगाल सरकार ने लॉन्च किया है। राज्य स्वास्थ्य और स्वास्थ्य शिक्षा विभाग की ओर से इसकी शुरुआत की गई है। अब महानगर कोलकाता समेत राज्य के किसी भी हिस्से में किसी भी समय अगर चिकित्सकों पर हमले होते हैं तो इस ऑनलाइन पोर्टल के जरिए सीधे तौर पर शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी। इस पर स्वास्थ्य विभाग और संबंधित प्रशासन कार्रवाई का तत्काल निर्देश भी जारी कर सकेगा। इसका नाम दिया गया है- डॉक्टर्स पोर्टल। वेबलिंक है

www.homc.wb.gov.in/doctorportal.php इस पर ना केवल चिकित्सक बल्कि स्वास्थ्य सेवा से जुड़ा कोई भी कर्मचारी किसी भी तरह की शिकायत दर्ज करा सकेगा। न केवल सरकारी बल्कि निजी अस्पतालों के कर्मचारियों के लिए भी राज्य सरकार ने शिकायत की व्यवस्था की है। स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ गृह विभाग को भी इसमें समाहित किया गया है ताकि चिकित्सकों पर हमले की सूरत में तत्काल कार्रवाई संबंधी कदम उठाने में विलंब ना हो। राज्य के सभी सरकारी अस्पतालों में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना संभव नहीं है। इसके अलावा रोगियों की मौत के बाद चिकित्सकों और अस्पताल कर्मियों पर हमले की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। इसलिए सिंगल विंडो समाधान के तहत राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है। राज्य सरकार की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर इस बारे में जानकारी दी गई है।

इसमें बताया गया है कि ऑनलाइन पोर्टल के जरिए शिकायत दर्ज होने के बाद उसकी जानकारी राज्य स्वास्थ्य विभाग, गृह विभाग, पुलिस प्रशासन और संबंधित प्रतिष्ठान के आला अधिकारियों तक एक साथ पहुंचेगी। डॉक्टर्स पोर्टल नाम की इस वेबसाइट पर लॉगइन करने का ऑप्शन है जहां चिकित्सकीय सेवा से जुड़े लोग कानून-व्यवस्था समेत अन्य शिकायत से संबंधित जानकारी लिखने के साथ फोटो भी अपलोड कर सकेंगे।

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तो सैट का निर्देश नहीं मानेगी बंगाल सरकार! http://www.shauryatimes.com/news/50163 Fri, 26 Jul 2019 17:56:09 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=50163

ममता ने दिए संकेत : फिलहाल संभव नहीं कर्मचारियों का डीए बढ़ाना

कोलकाता : स्टेट एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल (सैट) ने शुक्रवार को राज्य सरकार को ठोस निर्देश देते हुए सरकारी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता केंद्रीय पैमाने के अनुरूप देने का निर्देश दिया है। इस निर्देश के तुरंत बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जो संकेत दिया है उससे ऐसा लगता है जैसे राज्य सरकार सैट के इस निर्देश को फिलहाल मानने वाली नहीं है। उत्तर 24 परगना के मध्यमग्राम में प्रशासनिक बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य कोष की हालत ठीक नहीं है। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि राज्य सरकार के लिए अब और अधिक किसी को किसी तरह का भत्ता देना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि हर समय सरकारी कर्मचारी किसी न किसी मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।

उन्होंने कहा कि एक तरफ लोग चाहते हैं कि सरकार टैक्स नहीं बढ़ाए, विद्युत का दाम नहीं बढ़ाए, पानी का दाम नहीं बढ़ाए, बिना मूल्य चिकित्सा मिले, बिना मूल्य शिक्षा मिले, दो रुपये किलो चावल मिले, ये सारा रुपया कहां से आएगा? सरकार कैसे चलेगी? मुख्यमंत्री ने कहा कि मेरी ही सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए 123 फीसदी डीए बढ़ोतरी की है। इसके बाद इस साल 65 हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया गया है। उसमें वेतन आयोग भी है। इतना सब कुछ देना संभव नहीं है। उन्होंने पूछा कि राज्य सरकार हजारों-हजारों लाखों लाखों रुपये की सैलरी कहां से देगी? ममता ने साफ करते हुए कहा कि मुझे सरकारी कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन जब राज्य सरकार के पास रुपये ही नहीं हो तो कहां से दूंगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि आठ साल पहले जब मेरी सरकार नहीं थी तब एक तारीख को सरकारी कर्मचारियों का महीना नहीं आता था, अब आता है। अब मैं सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन की व्यवस्था कर चुकी हूं।

वर्ष में दो बार महंगाई भत्ता देने संबंधी सैट के निर्देश पर टिप्पणी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार एक ही काम को दो बार नहीं कर सकती। इसके साथ ही उन्होंने वर्तमान आर्थिक कोष में रुपये की कमी के लिए पूर्ववर्ती माकपा सरकार को भी कोसा। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं में किसी की मौत हो गई अथवा बाढ़ आदि आपदा में लोगों के निधन पर भी आर्थिक मदद राज्य सरकार देती है। यह सब जरुरी है लेकिन आज राज्य सरकार के आर्थिक कोष की हालत खराब है। इसके लिए 34 सालों का वाम मोर्चा का शासन जिम्मेवार है। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2006-07 के पहले का ॠण भी आज तक मेरी सरकार शोध कर रही है। वाममोर्चा की सरकारों ने गैर जिम्मेदाराना कार्य किया है इसीलिए 30 साल बाद भी इसे चुकाना पड़ रहा है।

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ममता के अड़ियल रवैए से गहराया संकट, अब तक नौ मरीजों की मौत http://www.shauryatimes.com/news/45489 Sat, 15 Jun 2019 18:55:55 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=45489
कोलकाता : चिकित्सकों से बातचीत करने के लिए अस्पताल परिसर में नहीं जाने के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के अड़ियल रवैए की वजह से राज्य में स्वास्थ्य संकट रविवार को और अधिक गहराने के आसार हैं। हड़ताली डॉक्टरों ने भी स्पष्ट किया है कि वे हड़ताल से पीछे नहीं हटेंगे। रविवार को भी वे कार्य का बहिष्कार करेंगे। डॉक्टरों की हड़ताल का शनिवार को पांचवां दिन था। राज्य में अब तक नौ लोगों की मौत हो चुकी है। मुख्यमंत्री ने शनिवार को राज्य सचिवालय में पांच घंटे तक जूनियर चिकित्सकों के आने का इंतजार किया लेकिन चिकित्सकों की मांग के अनुसार वह उस एनआरएस अस्पताल में नहीं गई जहां डॉक्टरों को मारा-पीटा गया था। बार-बार बुलावे के बावजूद आंदोलनरत जूनियर चिकित्सकों ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री ने गत गुरुवार को सरेआम एसएसकेएम अस्पताल परिसर में आंदोलनरत चिकित्सकों को बाहरी बताया है। आंदोलन के पीछे भाजपा और माकपा का हाथ होने का दावा किया है। यह चिकित्सकों के सम्मान के साथ खिलवाड़ है। ऐसे में मुख्यमंत्री के साथ सचिवालय में बंद कमरे में किसी तरह से कोई बैठक नहीं होगी। मुख्यमंत्री को समस्या के समाधान के लिए एनआरएस अस्पताल में आंदोलनरत चिकित्सकों के सामने आना होगा और वहीं आमने-सामने जो बात हो सकती है।

विगत पांच दिनों से चिकित्सा नहीं मिलने की वजह से परेशान लाखों लोगों की समस्याओं को दरकिनार कर मुख्यमंत्री सचिवालय में देर शाम पत्रकारों को संबोधित करते हुए स्पष्ट कर चुकी हैं कि वह डॉक्टरों के बीच नहीं जाएंगी, सचिवालय में ही डॉक्टरों को आना होगा। इधर ममता के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद डॉक्टरों ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने आंदोलन पर कायम रहेंगे, वह सचिवालय में नहीं जाएंगे। इसके बाद यह साफ हो चला है कि रविवार को स्वास्थ्य संकट और अधिक गहराने वाला है।ऑल इंडिया मेडिकल काउंसिल ने पश्चिम बंगाल सरकार को शनिवार सुबह अल्टीमेटम दिया था कि 48 घंटे के अंदर चिकित्सकों के समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो सोमवार को देशभर के डॉक्टर हड़ताल करेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने दूसरी चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री से चिकित्सकों की समस्याओं के समाधान के लिए कहा है। राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी ने भी चिट्ठी लिखकर मुख्यमंत्री को सलाह दी है कि वह जूनियर डॉक्टरों से मिलकर समस्या का समाधान करें।

बावजूद इसके शनिवार को मुख्यमंत्री आंदोलनरत चिकित्सकों के बीच नहीं जाने के अपने फैसले पर अडिग रही हैं।गत 10 जून की रात जब चिकित्सकों पर हमले हुए थे तब से लेकर शनिवार शाम तक चिकित्सकों के इस हड़ताल की वजह से पूरे राज्य में नौ लोगों की मौत हो चुकी है। इसमें दो बच्चे और दो महिलाएं भी शामिल हैं। मेदिनीपुर जिला अस्पताल में शनिवार को एक दूधमुंहे बच्चे का निधन हो गया, क्योंकि अस्पताल में चिकित्सकों ने उसका इलाज करने से इनकार कर दिया था। इसके बाद घरवालों ने बच्चे के शव को इमरजेंसी में रखकर विरोध प्रदर्शन भी किया था। मुर्शिदाबाद में एक महिला ने बिना इलाज दम तोड़ दिया जबकि शुक्रवार को भी एक महिला की मौत कोलकाता के किसी भी अस्पताल में इलाज नहीं होने के कारण हो गई थी।
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