mayawati in trouble – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 11 Nov 2019 10:51:48 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 Merrut : मायावती की बढ़ी मुश्किल, बसपा में अंदरूनी कलह के संकेत http://www.shauryatimes.com/news/64028 Mon, 11 Nov 2019 10:50:33 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=64028 मेरठ : बसपा के कद्दावर नेता व मायावती के करीबी माने जानेवाले पूर्व विधायक योगेश वर्मा के बसपा से निष्कासन के बाद पूर्व जिला अध्यक्ष मोहित जाटव का निष्कासन पार्टी ने वापस ले लिया है। मोहित 2017 में बीएसपी में जिलाध्यक्ष के पद पर थे। उन्हें पार्टी में उठ रहे विवादों, उनकी निष्क्रियता व पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप के चलते हटना पड़ा था। पद से हटाने के कुछ समय बाद उन्हें पार्टी से भी निष्कासित कर दिया गया था। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि निष्कासित योगेश वर्मा के प्रभाव की वजह से मोहित जाटव की वापसी नहीं हो पा रही थी। लेकिन अब योगेश वर्मा के निष्कासन के दूसरे दिन बाद ही मोहित जाटव को पार्टी में शामिल कर लिया गया।

जिलाध्यक्ष सुभाष प्रधान ने बताया कि राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती के निर्देश पर उन्हें पार्टी में वापस लिया गया है। योगेश वर्मा के निष्कासन के बाद मोहित जाटव का पार्टी में वापस आना बीएसपी के भविष्य में बदलते समीकरणों की ओर संकेत कर रहा है। लेकिन इधर पूर्व विधायक योगेश वर्मा व महापौर सुनीता वर्मा के निलंबन को वापस लेने की मांग पार्टी में उठने लगी है। इसको लेकर बसपा में आंतरिक कलह के संकेत दिखाई देने लगे हैं। पार्टी के पूर्व जिला प्रभारी मोहम्मद यूनुस सैफी उनके समर्थन में उतर आए हैं। उन्होंने निलंबन वापसी की मांग उठाई है। मोहित जाटव पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा है कि मोहित जाटव के कहने पर ही कार्यकर्ताओं ने पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी का पुतला फूंका था।

गत दिनों मायावती के करीबी माने जानेवाले पूर्व विधायक योगेश वर्मा व महापौर सुनीता वर्मा को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर पार्टी से निष्कासित कर दिया था। पार्टी ने उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए थे। बसपा के सूत्रों की मानें तो बसपा सुप्रीमो को इस बात का पता चल गया था कि योगेश वर्मा पार्टी को अलविदा कहने वाले हैं और दूसरी पार्टी ज्वाइन कर सकते हैं। इसकी दूसरी वजह सुनीता वर्मा महापौर तो बनीं लेकिन महापौर बनने के बाद भी निगम सदन में उनकी कोई सुनवाई नहीं थी क्योंकि महापौर से ज्यादा ताकतवर भाजपा के पार्षद थे।

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