milkha singh inaugurate athletics track & ground – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sun, 16 Dec 2018 12:18:22 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 एक्सीलिया स्कूल में पद्मश्री मिल्खा सिंह ने एथलेटिक्स ट्रैक व खेल मैदान का किया लोकार्पण http://www.shauryatimes.com/news/22918 Sun, 16 Dec 2018 12:18:22 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=22918 जताई उम्मीद कि यहां से निकला कोई खिलाड़ी मेडल जीतेगा तो दोबारा आऊंगा

लखनऊ। दिग्गज एथलीट पद्मश्री मिल्खा सिंह ने कहा कि मेरी जिदंगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश है कि एथलेटिक्स में ओलंपिक में कोई भारतीय मेडल जीते और उन्होंने इसकी जिम्मेदारी शहीद पथ स्थित एक्सीलिया स्कूल के प्रबंधन को दी, जहां नवनिर्मित एथलेटिक्स ट्रैक व खेल मैदान का लोकार्पण करने वह लखनऊ आए थे। उन्होंने इस बात की खुशी जताई कि एक्सीलिया स्कूल में नवनिर्मित एथलेटिकस ट्रैक व खेल मैदान का लोकार्पण मेरे नाम पर किया गया है। मैने इसकी सहमति इसलिए दी है कि यहां पर जब ट्रैक है तो अकादमी भी खुले। मुझे उम्मीद है कि यहां से जब खिलाड़ी निकलने लगेंगे तो वह एक दिन मेरा यह पुराना सपना जरूर पूरा करेंगे। रविवार को मिल्खा सिंह ने लोकार्पण करते हुए दीवार पर लगे अपनी उपलब्धियों के चित्र देखकर खुशी जताई। दीवार पर लगी चित्रों को देखकर वह अपने खेल जीवन की पुरानी यादों में खो गए और एक-एक फोटो को देखकर उसके बारे में बताने लगे। उन्होंने स्कूल के कला व क्राफ्ट प्रदर्शनी उत्सव का भी इस अवसर पर उद्घाटन किया।

इससे पहले एक्सीलिया स्कूल पहुंचे दिग्गज एथलीट पद्मश्री मिल्खा सिंह का स्वागत स्कूल के संस्थापक निदेशक श्री एमएस त्यागी, चेयरमैन श्री डीएस पाठक, वाइस चेयरपर्सन श्रीमती मंजू पाठक और निदेशक श्री आशीष पाठक ने पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह प्रदान करके किया। इस अवसर पर स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती सोनिया वर्धन और महाप्रबंधक श्री शेखर वार्ष्णेय एवं श्रीमती शालिनी पाठक भी मौजूद थे।  उन्होंने कहा कि हमारे समय में न ट्रैक सूट थे तो रनिंग शूज भी नहीं थे लेकिन फिर भी हम दौड़े और पदक जीते। हम आर्मी की जर्सी पहन कर दौड़ते थे। हमने बहुत मेडल जीते लेकिन रोम ओलंपिक-1960 में पदक से चूक कर चौथे स्थान पर रह जाने का अफसोस है। 91 वर्षीय मिल्खा सिंह 1960 के रोम ओलंपिक में 47.6 सेकेंड का रिकार्ड तोड़ समय निकालने के बावजूद चौथे स्थान पर रहे थे और बेहद मामूली अंतर से कांस्य पदक से चूक गए थे। मैने रोम ओलंपिक में वर्ल्ड रिकार्ड बनाया था लेकिन रिकार्ड से चूक गया था।

पाकिस्तान में उड़न सिख का खिताब पाने वाले मिल्खा सिंह ने कहा कि भारत एथलेटिक्स के क्षेत्र में आज काफी पिछड़ चुका है। मेरे हाथ में रोम में स्वर्ण पदक फिसल गया था और मैं चाहूंगा कि मेरे जीते जी कोई भारतीय एथलीट ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते। इसी के साथ उन्होंने कहा कि मिल्खा सिंह ने जब नंगे पैर दौड़कर रिकार्ड तोड़े तो आज तो सब सुविधाएं है तो फिर उम्मीद है कि हमसे आगे भी लोग निकले। उन्होंने कहा कि मै अपनी जिदंगी में तीन बार रोया था पहली बार जब मेरे मां बाप बंटवारे के समय कत्ल कर दिए गए थे। फिर रोम ओलंपिक में मेडल चूकने पर रोया। अब उम्मीद है कि यहां अकादमी बने और यहां से मेडल भी निकले। इसके लिए यहां पर बेहतर कोच लाए जाए और उनको चार साल का समय भी दे। जब यहां से निकला कोई बच्चा मेडल निकालेगा तो मै यहां दोबारा आऊंगा। यहीं नहीं यहां पर बच्चों का लगातार मूल्यांकन भी करें।

इस अवसर पर उन्होंने एक शेर कहा कि हाथ की लकीरों से जिदंगी नहीं बनती, अजम विलपावर) हमारा भी कुछ हिस्सा है जिदंगी बनाने का। उन्होंने कहा कि अमेरिकन प्रेसिडेंट रहे बराक ओबामा ने एक बार कहा था कि मैं भारत में तीन लोगों को जानता हूं। उनमें से पहला मिल्खा सिंह, दूसरा फिल्म स्टार शाहरूख खान और तीसरा बाक्सर मैरीकॉम। उन्होंने बताया कि लखनऊ से मेरी बहुत यादें जुड़ी है। मैने यहीं पर एएमसी सेंटर में लगे एथलेटिक्स ट्रैक पर प्रैक्टिस की थी, तब वहां सिंडर ट्रैक हुआ करता था। मैने यहीं पर 1956-57 में हुई आल इंडिया सर्विसेज एथलेटिक्स मीट में एशिया का बेस्ट समय निकालते हुए मेडल जीता था। हालांकि अब वहां पर ट्रैक बदल गया है लेकिन यादें पुरानी ताजा हो गई है।

उन्होंने इस अवसर पर मंच पर चली अपने जीवन पर बनी फिल्म भाग मिल्खा भाग को देखकर पुरानी यादें ताजा हो गई और कई दृश्यों को देखकर आंसू आ गए। उन्होंने कहा कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है। उन्होंने कहा कि रोम ओलंपिक-1960 में मैं फोटो फिनिश से पिछड़कर चौथे स्थान पर रहा था। पहले 200 मी तो मैं तेजी से दौड़ा था लेकिन उसके बाद 250 मी पर थोड़ा धीमा पड़ गया था और एक बार जब आपकी स्पीड टूटी तो रिकवरी मुश्किल हो जाती है। उस समय अमेरिका के ए.डेविस ने जो पदक जीता था वह रिले रेस धावक थे। उनको एक खिलाड़ी के घायल होने से मौका मिला था।

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