ngt – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Wed, 29 May 2019 18:10:50 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 यूपी सरकार को सरकारी गेस्ट हाउस के पुनरुद्धार की अनुमति http://www.shauryatimes.com/news/43514 Wed, 29 May 2019 18:10:50 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=43514 मथुरा में राधाकुंड के पास स्थित है सरकारी गेस्ट हाउस

नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल(एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार को मथुरा के राधाकुंड के पास सरकारी गेस्ट हाउस के पुनरुद्धार की अनुमति दे दी है। हालांकि एनजीटी ने इलाके में नए निर्माण की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस रघुवेंद्र एस. राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सरकारी गेस्ट हाउस में आने वाले लोग वाहन लेकर नहीं आ सकेंगे। एनजीटी ने कहा कि गेस्ट हाउस के पुराने नींव की मरम्मत की जाएगी और ऐसा करते समय कोई नया निर्माण नहीं किया जाएगा। गेस्ट हाउस आने वाले लोगों के वाहन राधा कुंड के पास पार्किंग में ही खड़े किए जाएंगे। वहां से गेस्ट हाउस तक पहुंचने के लिए लोग रिक्शा का इस्तेमाल कर सकते हैं।

एनजीटी ने निर्देश दिया कि गेस्ट हाउस के पास एक ओपन एरिया विकसित किया जाएगा, जहां पेड़-पौधे लगाकर हरा-भरा किया जाएगा। एनजीटी ने ओपन एरिया में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने का निर्देश दिया। गेस्ट हाउस का सीवेज राधा कुंड के मेन सीवेज से जोड़ा जाएगा। एनजीटी ने कहा कि गेस्ट हाउस के पुनरुद्धार करते समय राधा कुंड के परिक्रमा मार्ग को छेड़ा नहीं जाएगा। एनजीटी ने मथुरा के राधा और श्याम कुंड में सीवेज की डंपिंग की शिकायतों की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। पहले की सुनवाई के दौरान एनजीटी ने उत्तरप्रदेश सरकार और मथुरा प्रशासन की इस बात को लेकर खिंचाई की थी कि उसके नो कंस्ट्रक्शन जोन के आदेश का पालन नहीं किया गया था।

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एनजीटी ने डीपीसीसी व सभी चार नगर निगमों पर 10-10 लाख का लगाया जुर्माना http://www.shauryatimes.com/news/38088 Wed, 03 Apr 2019 17:40:17 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=38088 नई दिल्ली। नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ा रही दिल्ली की अवैध डेयरियों पर कार्रवाई नहीं करने पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी और सभी नगर निगमों पर दस-दस लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। एनजीटी चेयरपर्सन जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि दिल्ली में कोई डेयरी कचरा प्रबंधन नियमों का पालन नहीं कर रही हैं और प्रशासन असंवेदनशील बना हुआ है। एनजीटी ने कहा कि ये जुर्माना इसलिए लगाया गया है कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी और चारो नगर निगम अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल हैं। एनजीटी ने दिल्ली के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि वो सभी संबंधित पक्षों की एक बैठक बुलाए और उनकी जिम्मेदारी तय करे और अगर वे विफल रहते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई भी करे।

एनजीटी ने कहा कि किसी भी विभाग के पास कोई ऐसा सुझाव नहीं आया कि पर्यावरण नियमों का पालन कैसे हो? ये सभी की असंवेदनशीलता को दर्शाती है। सभी विभागों ने अपने हलफनामे में कहा है कि पर्यावरण नियमों का उल्लंघन हो रहा है। देश की राजधानी में पर्यावरण नियमों का उल्लंघन तब हो रहा है जब इसे जीवन के अधिकार में शामिल किया गया है। याचिका पशु अधिकार कार्यकर्ता नुगेहल्ली जयासिम्हा ने दायर की है। याचिका में अवैध डेयरियों को बंद करने की मांग की गई है। अवैध डेयरियों की वजह से दिल्ली में वायु और जल प्रदूषण की समस्या पैदा हो रही है। सफाई नहीं रहने से मवेशियों के अलावा इलाके के लोगों के लिए स्वास्थ्य की समस्या भी पैदा हो रही है। याचिका में कहा गया है कि डेयरी मालिक पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट रुल्स का पालन नहीं कर रहे हैं। याचिका में कहा गया है कि डेयरियों के कचरे यमुना में प्रदूषण की एक मुख्य वजह है।

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नागौर में स्टोन क्रशर से प्रदूषण मामले में राजस्थान सरकार को एनजीटी की फटकार http://www.shauryatimes.com/news/28914 Tue, 22 Jan 2019 17:39:06 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=28914 नई दिल्ली : नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) ने मंगलवार को नागौर जिले में स्टोन क्रशर से हो रहे प्रदूषण पर लगाम लगाने में नाकाम रहने पर राजस्थान सरकार को फटकार लगाई है। जस्टिस रघुवेंद्र एस राठौर की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व सचिव डॉ एबी अकोलकर को इस मामले में मौके पर जाकर मुआयना करने के लिए कोर्ट कमिश्नर नियुक्त किया। वे नागौर जाकर इलाके का निरीक्षण करेंगे और एनजीटी को स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेंगे। एनजीटी ने डॉ अकोलकर को 18 फरवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने नागौर के एसपी को निर्देश दिया कि वे डॉ अकोलकर को पूरा सहयोग करें। अगर उनकी जांच के दौरान प्रशासन ने पूरा सहयोग नहीं किया तो उसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

सुनवाई के दौरान बेंच के सदस्य एसएस गबरयाल ने राजस्थान सरकार से कहा कि इस मसले को आप गंभीरता से लें। एनजीटी ने कोर्ट कमिश्नर की फीस एक लाख रुपये तय की जो राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड वहन करेगा। एनजीटी ने कहा कि राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इस रकम की भरपाई पर्यावरण नियमों का उल्लंघन करनेवाले से वसूल कर कर सकता है। याचिका नागौर के निवासी भंवर राम ने दायर की थी। याचिका में उन्होंने एनजीटी के 2 सितंबर 2015 के आदेश का पालन करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की थी। एनजीटी ने नागौर के सभी अवैध स्टोन क्रशर्स को बंद करने का आदेश दिया था। एनजीटी ने ये भी आदेश दिया था कि वन और पर्यावरण मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण कमेटी का संयुक्त जांच दल स्टोन क्रशर्स की जांच करेगा और इस बात की रिपोर्ट दाखिल करेगा कि उन्होंने प्रदूषणरोधी उपकरण लगाए हैं कि नहीं।

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NGT : तमिलनाडु सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका http://www.shauryatimes.com/news/26628 Tue, 08 Jan 2019 08:18:46 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=26628 स्टरलाईट कॉपर कंपनी को दोबारा खोलने के एनजीटी के आदेश पर रोक लगाने से इनकार
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के तूतीकोरिन में स्टरलाईट कॉपर कंपनी को दोबारा खोलने के एनजीटी के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। एनजीटी ने पिछले 15 दिसंबर को तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया था कि वो तीन हफ्ते के अंदर स्टरलाईट कंपनी को चलाने के लिए सहमति यानि कंसेंट टू आपरेट दे और सारी बाधाएं दूर करे। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि वो पर्यावरण संबंधी कानूनों का पालन करते हुए स्टरलाइट कंपनी को नुकसानदेह पदार्थों को नष्ट करने का अधिकार दे। एनजीटी ने फैक्ट्री के लिए बिजली आपूर्ति बहाल करने का आदेश दिया था। अदालत के इस फैसले से तमिलनाडु सरकार को तगड़ा झटका लगा है|
एनजीटी के इस आदेश के खिलाफ तमिलनाडु सरकार ने पिछले 2 जनवरी को स्टरलाईट कॉपर कंपनी को दोबारा चलाने के एनजीटी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। तमिलनाडु सरकार ने अपनी याचिका में कहा था कि एनजीटी का आदेश गलत है। उसे वेदांता की याचिका पर फैक्ट्री को दोबारा खोलने का आदेश नहीं देना चाहिए था। उसके बाद पिछले 3 जनवरी को स्टरलाईट कंपनी को खोलने में तमिलनाडु सरकार की ओर से बाधा खड़ी करने के खिलाफ स्टरलाइट कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
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