Patanjali Coronil echoed in Uttarakhand High Court – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 30 Jun 2020 12:11:13 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 पतंजलि कोरोनिल की उत्तराखंड हाईकोर्ट में गूंज, प्रतिबंध लगाने की मांग http://www.shauryatimes.com/news/80102 Tue, 30 Jun 2020 12:10:47 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=80102 नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बाबा रामदेव के संस्थान पतंजलि की ओर से कोरोना वायरस से निजात दिलाने की दवा कोरोनिल को लॉन्च किए जाने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद केंद्र सरकार के असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल से स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। हाईकोर्ट मंगलवार को भी सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनहित याचिका की सुनवाई की। यह याचिका उधमसिंह नगर के अधिवक्ता मनि कुमार ने दायर की है। याचिका में कहा गया कि बाबा रामदेव व उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण ने पिछले मंगलवार को हरिद्वार में कोरोना वायरस से निजात दिलाने के लिए पतंजलि योगपीठ की दिव्य फॉर्मेसी कंपनी द्वारा निर्मित कोरोनिल दवा लॉन्च की थी। बाबा रामदेव की दवा कंपनी ने आईसीएमआर द्वारा जारी गाइड लाइन का पालन नहीं किया। न ही आयुष मंत्रालय (भारत सरकार) से अनुमति ली।

याचिका के मुताबिक आयुष विभाग उत्तराखंड से कोरोना की दवा बनाने के लिए आवेदन तक नहीं किया गया। जो आवेदन किया गया था वह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया गया था। उसी की आड़ में बाबा रामदवेव ने कोरोनिल दवा का निर्माण किया। याचिका में कहा कि दिव्या फॉर्मेसी के मुताबिक निम्स विश्विद्यालय राजस्थान में दवा का परीक्षण किया गया, जबकि निम्स का कहना था कि उन्होंने ऐसी किसी भी दवा क्लीनिकल परीक्षण नहीं किया। याचिकाकर्ता ने दवा को इन्हीं चार बिंदुओं के आधार पर चुनौती दी है। उनका यह भी कहना है कि बाबा रामदेव लोगों में अपनी इस दवा का भ्रामक प्रचार प्रसार कर रहे हैं। ये दवा न ही आईसीएमआर से प्रमाणित है और इनके पास इसे बनाने का लाइसेंस है। इस दवा का अभी तक क्लीनिकल परीक्षण तक नहीं किया गया है। इसके उपयोग से शरीर मे क्या साइड इफैक्ट होंगे, इसका कोई इतिहास नहीं है। याचिकाकर्ता ने दवा पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए आईसीएमआर की गाइड लाइन के आधार पर भ्रामक प्रचार के लिए संस्था के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।

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