rajendra ke naam – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sun, 01 Sep 2019 17:53:08 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 जितनी सुलझानी चाही, उतनी और बढ़ी है उलझन… http://www.shauryatimes.com/news/54385 Sun, 01 Sep 2019 17:52:36 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=54385 माटीबानी ‘अवध की शाम गीतकार राजेन्द्र राजन के नाम’ में बही गीत की गंगा

लखनऊ : राजधानी के मेलोज़ रेस्टोरेंट गोमतीनगर में हिंदवी द्वारा माटीबानी ‘अवध की शाम राजेंद्र राजन के नाम’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आयोजक अभय निर्भीक ने बताया कि आज के दौर में कवि सम्मेलन में चुटकुले हावी हो रहे हैं ऐसी स्थिति में गीत को समृद्ध करने की जरूरत है। विशुद्ध गीतों से सजी इस शाम में देश के प्रसिद्ध गीतकार राजेंद्र राजन और युवा पीढ़ी के अप्रतिम रचनाकार ज्ञान प्रकाश आकुल के गीतों की गंगा प्रवाहित हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने किया। देर रात तक कार्यक्रम में लखनऊ और आसपास के सुधी श्रोताओं में गीतों का आनंद लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत संचालक क्षितिज कुमार ने अपने एक शेर- ‘जाने कितने स्वप्न मर गए इन शिखरों से गिरकर, हम सब दशरथ मांझी अपना अपना पर्वत काट रहे हैं’ से की और उसके बाद माटीबानी कार्यक्रम की शुरुआत हुई। सहारनपुर से आए गीतकार राजेंद्र राजन ने- केवल दो गीत लिखे मैंने, एक कि तुम्हारे मिलने का एक गीत तुम्हारे खोने का.., और जितनी सुलझानी चाही है उतनी और बढ़ी है उलझन, जितना कठिन बना डाला है उतना कठिन नहीं है जीवन… के साथ साथ- जो रिश्ता छवि का है दर्पण से, वह रिश्ता तेरा मेरा है.. सहित अनेक गीत प्रस्तुत किए। वहीं ज्ञान प्रकाश आकुल ने अंजुरी भर-भर नदियां हमको मरुथल तक लेकर जानी है काम कठिन है इसमें सारा जीवन भी लग सकता है.., जिस नदी के तीर हमने चांदनी नभ से उतारी -जिस नदी के तीर रोकी थी कभी रवि की सवारी -लौट आया फिर वही मौसम वही उसी नदिया किनारे.. बार-बार यदि तुम अनसुने किए जाते हो -तो फिर अपने संवादों की शैली बदलो.. जैसे गीतों से अवध की शाम को गुलज़ार किया। आज इस आयोजन में श्रोता दीर्घा में देश के अनेक कवियों साहित्यकारों और गणमान्य व्यक्तियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर लखनऊ की साहित्यिक महत्वता को पोषित किया।

इस अवसर पर स्माइल मैन सर्वेश अस्थाना, मुकुल महान, डीआरएम सुरेश कुमार सप्रा, रामप्रकाश बेखुद, शरद मेहरोत्रा, लुबना क्षितिज, राजेंद्र पंडित, पंकज प्रसून, नीतीश तिवारी, गौरव मासूम, चंद्रशेखर, संतोष सिंह, के कांत अस्थाना, पंकज श्रीवास्तव, दिव्या सिसोदिया, आशीष सिसोदिया, निवेश साहू, सतीश पांडे, राखी किशोर, अपर्णा मिश्रा, कमल किशोर श्रीवास्तव, शशांक श्रीवास्तव, रामायण धर द्विवेदी, पवन शुक्ला, श्रीधर पांडे, शिवम साहिल, अनुज अब्र सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। समापन पर राज्य सूचना आयुक्त अजय कुमार उप्रेती ने हिंदवी के भविष्य को उज्जवल बताया और साहित्य के क्षेत्र की अग्रणी संस्था बताया ।

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