Steel industry may face difficulty: Anil Chaudhary – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sat, 21 Dec 2019 10:36:52 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 इस्पात उद्योग को हो सकती है मुश्किल : अनिल चौधरी http://www.shauryatimes.com/news/70498 Sat, 21 Dec 2019 10:36:52 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=70498 नई दिल्ली : स्टील ऑथरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) ने शनिवार को कहा कि मार्च 2020 में कोयला व लौह अयस्क खदानों के पट्टे की अवधि समाप्त होने के कारण इस्पात उद्योग में समक्ष व्यवधान उपस्थित हो सकता है। भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) की 92वीं वार्षिक आम सभा की बैठक में ‘इंडिया रोडमैप टू ए पांच ट्रिलियन इकोनॉमी’ के सत्र में अपने विचार रखते हुए सेल के चेयरमैन अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि आज कानून में बदलाव के कारण सब कुछ नीलामी के रास्ते से गुजरना पड़ता है। जिससे बहुत सारे नए मसले पैदा होते हैं, और इस्पात उद्योग को कोयले की खदानों की नीलामी के कारण 1.4.2020 तक व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है।

चौधरी ने कहा कि आज भारत में स्टील की उत्पादन लागत सबसे अधिक है और इसमें योगदान करने वाले प्रमुख कारकों में से एक टैक्स है।रॉयल्टी इनपुट सामग्री पर 20 प्रतिशत के करीब है, चाहे वह कोयला हो या लौह अयस्क। अन्य देशों में भुगतान किये जा रहे की माल ढुलाई की लागत भी देश में अधिक है। चौधरी ने कहा कि बिजली भी उच्च उत्पादन लागत के साथ जुड़ती है। उन्होंने कहा कि भारत में, प्रति टन स्टील की औसत उत्पादन लागत लगभग 450 डॉलर है, जबकि चीन में यह 350 डॉलर है।

उन्होंने कहा कि स्टील बनाने के लिए कोकिंग कोल और लौह अयस्क दो प्रमुख कच्चे माल हैं। जहां तक ​​लौह अयस्क का संबंध है, हमारे पास यह बहुतायत में है। केवल एक चीज न्यायिक आवंटन होना है। कोकिंग कोल हमारे देश में उपलब्ध नहीं है और पूरा उद्योग कोकिंग कोल के आयात पर निर्भर है, विशेष रूप से एकीकृत इस्पात क्षेत्र का आयात ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया, अमेरिका आदि से होता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय इस्पात नीति के तहत सरकार द्वारा निर्धारित महत्वाकांक्षी 300 मीट्रिक टन स्टील उत्पादन क्षमता लक्ष्य को पूरा करने के लिए इन सभी चुनौतियों का सामना करना होगा।

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