supreem cort – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 02 May 2019 06:58:05 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 सुप्रीम कोर्ट पहुंचा राहुल की नागरिकता का मामला http://www.shauryatimes.com/news/41597 Thu, 02 May 2019 06:58:05 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=41597 नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की नागरिकता का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। याचिका दायर कर राहुल गांधी को चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर अगले हफ्ते सुनवाई करेगा। याचिका युनाईटेड हिंदू फ्रंट के जयभगवान गोयल और हिन्दू महासभा के चंद्रप्रकाश कौशिक ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि राहुल गांधी ने ब्रिटेन की भी नागरिकता ले रखी है। याचिका में कहा गया है कि गृह मंत्रालय इस बारे में मिली शिकायत पर जल्द कार्रवाई करे। राहुल गांधी को चुनाव लड़ने के अयोग्य करार दिया जाए और मतदाता सूची से नाम भी हटाया जाए।

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रमजान के दौरान मतदान के समय पर निर्वाचन आयोग करे फैसला : सुप्रीम कोर्ट http://www.shauryatimes.com/news/41592 Thu, 02 May 2019 06:54:41 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=41592 सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ का आज आधार और प्रमेाशन में आरक्षण मामले में फैसला आ सकता है। आधार मामले में मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधानपीठ ने गत 10 मई को सभी पक्षों की बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था। प्रमोशन में आरक्षण मामले में यह तय होगा कि प्रमोशन में आरक्षण मामले में नागराज मामले में पुनर्विचार किया जाए या नहीं, यह तय किया जाएगा। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट में कल ही कोर्ट की लाइव सुनवाई को लेकर भी फैसला आ सकता है।  सेवानिवृत जज पुत्तासामी और कई अन्य लोगों ने आधार कानून की वैधानिकता को चुनौती दी है। याचिकाओं में विशेषतौर पर आधार के लिए एकत्र किये जाने वाले बायोमेट्रिक डाटा से निजता के अधिकार का हनन होने की दलील दी गई है। आधार की सुनवाई के दौरान ही कोर्ट मे निजता के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का मुद्दा उठा था जिसके बाद कोर्ट ने आधार की सुनवाई बीच में रोक कर निजता के मौलिक अधिकार पर नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सुनवाई की और निजता को मौलिक अधिकार घोषित किया। इसके बाद पांच न्यायाधीशों ने आधार की वैधानिकता पर सुनवाई शुरू की थी। इस मामले की कुल साढ़े चार महीने में 38 दिनों तक सुनवाई हुई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से दलील दी गई थी कि एकत्र किये जा रहे डाटा की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं हैं। ये भी आरोप लगाया गया है कि सरकार ने हर सुविधा और सर्विस से आधार को जोड़ दिया है जिसके कारण गरीब लोग आधार का डाटा मिलान न होने के कारण सुविधाओं का लाभ लेने से वंचित हो रहे हैं।  ये भी कहा गया था कि सरकार ने आधार बिल को मनी बिल के तौर पर पेश कर जल्दबाजी में पास करा लिया है। आधार को मनी बिल नहीं कहा जा सकता। उधर, दूसरी ओर केन्द्र सरकार, यूएआईडी, गुजरात और महाराष्ट्र सरकार सहित कई संस्थाओं ने सुप्रीम कोर्ट में आधार कानून को सही ठहराते हुए याचिकाओं को खारिज करने की अपील की थी। सरकार की ओर से कहा गया था कि आधार कानून इसलिए लाया गया है ताकि सुविधाओं का लाभ वास्तविक जरूरतमंद तक पहुंचे। बीच में उसका लीकेज न हो। यह भी कहा था कि एकत्र किया गया डेटा सरकार के पास सुरक्षित है इसके अलावा डेटा सुरक्षित रखने के बारे में कानून बनाने पर विचार हो रहा है।  एम नागराज फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत पर सुनाएगा फैसला  एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण के लिए पिछड़ेपन और अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े जुटाने की व्यवस्था देने वाले एम नागराज फैसले पर पुनर्विचार की मांग पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को अपना फैसला सुनाएगा।  सरकार और आरक्षण समर्थकों ने 2006 के एम नागराज के फैसले को पुनर्विचार के लिए सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजे जाने की मांग की है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मांग पर सभी पक्षों की बहस सुनकर गत 30 अगस्त को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सरकार और आरक्षण समर्थकों का कहना है कि एम नागराज फैसले में दी गई व्यवस्था सही नहीं है। एससी एसटी अपने आप में पिछड़े माने जाते हैं। राष्ट्रपति द्वारा जारी सूची में शामिल होने के बाद उनके पिछड़ेपन के अलग से आंकड़े जुटाने की जरूरत नहीं है। जबकि आरक्षण विरोधियों ने एम नागराज फैसले को सही ठहराते हुए कहा था कि उस फैसले में पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दी गई व्यवस्था सही कानून है। फैसले के एक भाग पर नहीं बल्कि फैसला आने की पूरी परिस्थितियों पर विचार होना चाहिए। उनका कहना था कि आरक्षण हमेशा के लिए नहीं है ऐसे में पिछड़ेपन के आंकड़े जुटाए बगैर यह कैसे पता चलेगा कि सरकारी नौकरियों में एससी एसटी का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है और इसलिए इन्हें प्रोन्नति में आरक्षण देने की जरूरत है।नई दिल्ली : रमजान के महीने में वोटिंग का समय सुबह 7 बजे की बजाय सुबह पांच बजे से करने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि इस मामले पर फैसला करें। याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मेंशन किया कि चुनाव के बाकी चरण रमजान के महीने में पड़ रहे हैं और गर्मी भी काफी पड़ रही है। राजस्थान, बिहार और मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में लू चल रही है। इसलिए वोटिंग की शुरुआत सुबह सात बजे की बजाय सुबह 5 बजे से करने का दिशा-निर्देश जारी किया जाए। तब चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया कि वो इस मांग पर फैसला करे।

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राजस्थान को बड़ी राहत, गुर्जर आरक्षण पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार http://www.shauryatimes.com/news/38342 Fri, 05 Apr 2019 11:06:34 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=38342 नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुर्जर व चार अन्य जातियों को पांच फ़ीसद आरक्षण देने के राजस्थान सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा मामला हाईकोर्ट मे लंबित है और वे हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश मे दख़ल नहीं दे सकते हैं। अरविंद शर्मा ने याचिका दायर की थी। याचिका में राजस्थान हाइकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था लेकिन याचिकाकर्ता ने विधेयक पर रोक लगाने की मांग की थी।

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भीमा कोरेगांव केस : SC ने निरस्त किया बांबे हाईकोर्ट का आदेश http://www.shauryatimes.com/news/31967 Wed, 13 Feb 2019 08:18:18 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=31967 नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव केस में चार्जशीट दाखिल करने के लिए और समय देने से इनकार करने वाले बांबे हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 10 जनवरी को बांबे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार ने आगे की जांच के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने 29 अक्टूबर 2018 को बांबे हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी थी। बांबे हाईकोर्ट ने 24 अक्टूबर 2018 को ट्रायल कोर्ट के आरोप पत्र दायर करने के लिए 90 दिनों का अतिरिक्त समय देने के फैसले को निरस्त कर दिया था। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को गैरकानूनी करार दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से भीमा कोरेगांव मामले के आरोपियों को डिफाल्ट जमानत नहीं मिल सकती है।

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कंप्यूटर निगरानी मामला : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जारी किया नोटिस http://www.shauryatimes.com/news/27719 Mon, 14 Jan 2019 11:56:16 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=27719 नई दिल्ली : 10 एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर की निगरानी की अनुमति देने वाली केंद्रीय गृह मंत्रालय की अधिसूचना के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से 6 हफ़्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिका वकील मनोहर लाल शर्मा ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का आदेश निजता के अधिकार का उल्लघंन करता है। याचिका में इस अधिसूचना को निरस्त करने की मांग की गई है। 20 दिसंबर 2018 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 10 जांच एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर की निगरानी का अधिकार देने वाला अधिसूचना जारी किया था। इस आदेश के बाद जांच एजेंसियों सुरक्षा के नाम पर किसी भी कंप्यूटर की निगरानी कंप्यूटर में मौजूद दस्तावेज और बाकी चीजें बिना इजाजत के खंगाल सकती हैं। जिन एजेंसियों को ये अधिकार दिया गया है उनमें आईबी, ईडी, सीबीआई, एनआईए, लॉ, दिल्ली पुलिस के कमिश्नर, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, सीबीडीटी, डीआरआई और डायरेक्टरेट ऑफ सिग्नल इंटेलिजेंस शामिल हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी की दलील http://www.shauryatimes.com/news/27151 Fri, 11 Jan 2019 09:04:17 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=27151 दिया निर्देश, खराब हिप इम्प्लांट के मुआवजा संबंधी नोटिफिकेशन का प्रचार करे सरकार

नई दिल्ली : जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी के खराब हिप इम्प्लांट के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह सितंबर 2018 में मुआवजे से संबंधित नोटिफिकेशन का व्यापक प्रचार-प्रसार करे। उस नोटिफिकेशन में कहा गया है कि पीड़ित पक्ष मुआवजे के लिए कमेटी का दरवाजा खटखटा सकते हैं। सुनवाई के दौरान जॉनसन एंड जॉनसन कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस आदेश से हाईकोर्ट में चल रहे मामले पर असर पड़ सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया।

कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुआवजे की रकम 3 लाख रुपये से 1.22 करोड़ तक होगी। केंद्र सरकार ने मुआवजे पर एक्सपर्ट कमेटी के फॉर्मूले को स्वीकार कर लिया है। केंद्र सरकार ने लोगों को हुए नुकसान के आकलन और मुआवजा तय करने के लिए कमिटी बनाई थी । एक याचिका के जरिये सुप्रीम कोर्ट को बताया गया है कि 14 हजार से ज़्यादा लोग इससे प्रभावित हुए हैं। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा था। सरकार ने लोगों को हुए नुकसान के आकलन और मुआवजा तय करने के लिए विशेषज्ञ कमिटी बनाई है। 2017 में केन्द्र सरकार ने जांच का आदेश देते हुए एक्सपर्ट समिति का गठन किया था।

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गरीब सवर्णों को आरक्षण : सुप्रीम कोर्ट में विधेयक को दी गई चुनौती http://www.shauryatimes.com/news/27062 Thu, 10 Jan 2019 18:29:13 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=27062 नयी दिल्ली :  सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लिये नौकरियों और शिक्षा में दस फीसदी आरक्षण की व्यवस्था करने वाले संविधान संशोधन विधेयक को बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी। गैर सरकारी संगठन यूथ फॉर इक्वेलिटी और कौशल कांत मिश्रा ने याचिका में इस विधेयक को निरस्त करने का अनुरोध करते हुये कहा है कि एकमात्र आर्थिक आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता।
याचिका में कहा गया है कि इस विधेयक से संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन होता है क्योंकि सिर्फ सामान्य वर्ग तक ही आर्थिक आधार पर आरक्षण सीमित नहीं किया जा सकता है और 50 फीसदी आरक्षण की सीमा लांघी नहीं जा सकती। राज्य सभा ने बुधवार को 124वें संविधान संशोधन विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से पारित किया था। सदन ने विपक्षी सदस्यों के पांच संशोधनों को अस्वीकार कर दिया। इससे पहले, मंगलवार को लोक सभा ने इसे पारित किया था। आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिये आरक्षण का यह प्रावधान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्गो को मिलने वाले 50 फीसदी आरक्षण से अलग है।

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