Supreem court – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Wed, 13 Nov 2019 06:49:49 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 Karnataka के अयोग्य करार दिए गए विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका http://www.shauryatimes.com/news/64327 Wed, 13 Nov 2019 06:49:24 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=64327 कोर्ट ने तत्कालीन स्पीकर के फैसले को चुनौती देनेवाली याचिका खारिज की

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के तत्कालीन स्पीकर के खिलाफ अयोग्य करार दिए गए विधायकों की याचिका खारिज कर दिया है। कोर्ट ने विधायकों को अयोग्य करार देने के स्पीकर के फैसले पर मुहर लगा दिया है लेकिन स्पीकर के फैसले के उस हिस्से को हटा दिया है जिसमें कहा गया है कि विधानसभा के कार्यकाल तक विधायक सुनाव नहीं लड़ सकते हैं। कोर्ट के इस आदेश से अयोग्य करार दिए गए विधायक उपचुनाव लड़ सकते हैं। कोर्ट ने पिछले 25 अक्टूबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था।

जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि संवैधानिक जिम्मेदारी और नैतिकता सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए है। ये भी कहा कि अगर उपचुनाव में बागी विधायक जीतते हैं तो वो मंत्री भी बन सकते हैं और पब्लिक ऑफिस भी होल्ड कर सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को यह अधिकार नहीं है कि वो विधायकों को विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने तक अयोग्य करार दे। कोर्ट ने कहा कि संविधान में स्पीकर को अधिकार दिए गए हैं। स्पीकर अर्ध न्यायिक प्राधिकार है।

कोर्ट ने विधायकों को सीधे सुप्रीम कोर्ट आने के तरीके पर आपत्ति जताते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले हाईकोर्ट जाना चाहिए था। कोर्ट ने कहा कि कानून के बारे में भ्रम नहीं होना चाहिए। स्पीकर को केवल इस बात की जांच करनी चाहिए कि इस्तीफा स्वैच्छिक है या नहीं। अन्यथा वो इस्तीफा स्वीकार करने के लिए बाध्य है। कोर्ट ने कहा कि इस्तीफा या अयोग्यता दोनों की स्थितियों में दसवीं अनुसूची के मुताबिक सीटें खाली होती हैं। धारा 71(1)(बी) हार्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए है।

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ग्रीन पटाखों पर केंद्र सरकार को दिया 15 मई तक का समय! http://www.shauryatimes.com/news/39245 Thu, 11 Apr 2019 18:14:00 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=39245
नई दिल्ली : पेट्रोलियम और एक्सप्लोसिव रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (पेसो) ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कम प्रदूषण करने वाले ग्रीन पटाखों का टेस्ट जारी है। इसकी रिपोर्ट 30 अप्रैल तक केंद्र सरकार को सौंप दी जाएगी। पेसो की इस दलील के बाद कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया कि रिपोर्ट मिलने के 15 दिन में इसे मंजूरी दें, ताकि पटाखा निर्माता लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकें। 12 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर बैन लगाने के आदेश पर दोबारा विचार करने के संकेत दिए थे। कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि वह पटाखों और ऑटोमोबाइल्स से होने वाले प्रदूषण पर एक तुलनात्मक अध्ययन कर रिपोर्ट दाखिल करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि लोग पटाखों पर प्रतिबंध की मांग क्यों करते हैं जबकि साफ महसूस किया जा सकता है कि ऑटोमोबाइल्स कहीं अधिक प्रदूषण करते हैं।
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि पटाखों के निर्माण में बेरियम का इस्तेमाल प्रतिबंधित किया जा चुका है। ग्रीन पटाखों का फार्मूला अभी फाइनल किया जाना बाकी है। तब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि बेरोजगार हुए कर्मचारियों का क्या? 23 अक्टूबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों की बिक्री पर पूरी तरीके से पाबंदी लगाने से इनकार करते हुए केवल ग्रीन पटाखों की बिक्री और उत्पादन की अनुमति दी थी, जिससे प्रदूषण कम होता है। सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के ऑनलाइन बिक्री पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने ई-कॉमर्स पोर्टल अमेजन और फ्लिपकार्ट को पटाखे बेचने पर रोक लगाई थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि धार्मिक आयोजनों और शादी समारोहों में प्रतिबंधित केमिकल वाले पटाखों का इस्तेमाल नहीं करें। केवल उन्हीं पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति होगी जिनकी आवाज की डेसिबल सीमित है।
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सियासी दलों को विदेश से मिलने वाले चंदा मामले में सुनवाई 10 को http://www.shauryatimes.com/news/38345 Fri, 05 Apr 2019 11:08:57 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=38345 नई दिल्ली : राजनीतिक दलों के चंदे के लिए इलेक्टोरल बांड की व्यवस्था को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 10 अप्रैल को विस्तृत सुनवाई करेगा। याचिका में इससे भ्रष्टाचार की आशंका जताई गई है। वकील प्रशांत भूषण ने इस पर तुरंत रोक लगाने की भी मांग की। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप मांग के समर्थन में तथ्य दें, हम उस पर विचार करेंगे। निर्वाचन आयोग ने इलेक्टोरल बांड का विरोध किया है जबकि केंद्र सरकार ने इसका समर्थन किया है।

गत 2 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। याचिका सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने भी दायर की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को एक एनजीओ द्वारा दायर एक ऐसी ही याचिका के साथ टैग कर दिया है। याचिका में फाइनेंस एक्ट 2017 के जरिये इलेक्टोरल बांड के जरिये राजनीतिक दलों को फंडिंग करने के प्रावधान को चुनौती दी गई है। एक एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने भी याचिका दायर कर इस कानून का विरोध किया है। एडीआर की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि इस संशोधन के तहत किसी कारपोरेट द्वारा राजनीतिक दलों को धन देने की अधिकतम 7.5 फीसदी सीमा को खत्म कर दिया गया है।

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सबरीमाला मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू http://www.shauryatimes.com/news/30915 Wed, 06 Feb 2019 08:36:14 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=30915
नई दिल्ली : सबरीमाला मंदिर मामले पर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने सुनवाई शुरू कर दी है। वरिष्ठ वकील मोहन परासरण ने अपनी दलीलें शुरू कर दी हैं। सुनवाई करने वाली बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदू मल्होत्रा शामिल हैं। सबरीमाला मामले पर 56 रिव्यू पिटीशन, 4 रिट पिटीशन, केरल सरकार की ओर से दायर दो ट्रांसफर पिटीशन और त्रावणकोर देवासम बोर्ड की फैसले को लागू करने के लिए समय देने की मांग करने वाली याचिकाएं दायर की गई हैं।
सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रिव्यू पिटीशन की सुनवाई में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है। याचिका कनक दुर्गा और बिंदु अम्मानि ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि उन्हें सबरीमाला मंदिर से जुड़े मामलों के रिव्यू पिटीशंस पर सुनवाई में पक्षकार बनाया जाए। दोनों महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर के अगली बार खोलने पर फिर से प्रवेश करने की अनुमति भी मांगी है। दोनों महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी सुरक्षा की मांग की थी। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को निर्देश दिया था कि वो दोनों महिलाओं को पूरी सुरक्षा प्रदान करें। इन दो महिलाओं ने अपनी सुरक्षा की मांग की थी।
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सबरीमाला केस : रिव्यू पिटीशन की सुनवाई में पक्षकार बनाने की मांग http://www.shauryatimes.com/news/30792 Tue, 05 Feb 2019 09:35:20 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=30792
नई दिल्ली : सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने वाली दो महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रिव्यू पिटीशन की सुनवाई में खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट सबरीमाला से जुड़े सभी मामलों पर कल यानि 6 फरवरी को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट कुल 49 याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। याचिका कनक दुर्गा और बिंदु अम्मानि ने दायर की है। याचिका में कहा गया है कि उन्हें सबरीमाला मंदिर से जुड़े मामलों के रिव्यू पिटीशंस पर सुनवाई में पक्षकार बनाया जाए।
दोनों महिलाओं ने सबरीमाला मंदिर के अगली बार खोलने पर फिर से प्रवेश करने की अनुमति भी मांगी है। 28 सितंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाया था। कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं के साथ काफी समय से भेदभाव होता रहा है। महिला पुरुष से कमतर नहीं है। एक तरफ हम महिलाओं को देवी स्वरुप मानते हैं दूसरी तरफ हम उनसे भेदभाव करते हैं। कोर्ट ने कहा था कि बायोलॉजिकल और फिजियोलॉजिकल वजहों से महिलाओं के धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता को खत्म नहीं किया जा सकता है। तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा समेत चार जजों ने कहा था कि ये संविधान की धारा 25 के तहत मिले अधिकारों के विरुद्ध है।
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सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, असम के डिटेंशन सेंटर और विदेशियों की संख्या बताए केंद्र सरकार http://www.shauryatimes.com/news/29745 Mon, 28 Jan 2019 11:05:49 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=29745 नई दिल्ली : असम के डिटेंशन सेंटर के मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि वो पिछले दस साल में डिटेंशन सेंटर्स में रह रहे विदेशियों और कार्यरत डिटेंशन सेंटर्स की संख्या बताए। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीन हफ्ते में डिटेंशन सेंटर्स की विस्तृत जानकारी देने का निर्देश दिया। इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि आप हमें ये बताएं कि डिटेंशन सेंटर्स में कितने लोगों को और कब से रखा गया है। उनमें से अब तक कितने लोगों को वापस भेजा गया है। कोर्ट ने पूछा कि फॉरेन ट्रिब्युनल ने कितने लोगों को विदेशी करार दिया है।

कोर्ट ने पूछा कि पिछले दस सालों में किस साल कितने विदेशियों ने भारत में अवैध रूप से प्रवेश किया। तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि 9 डिटेंशन सेंटर्स में 986 संदिग्ध विदेशियों को रखा गया है। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में हजारों लोगों को बांग्लादेश वापस भेजा जा चुका है। याचिका हर्ष मांदर ने दायर की है। याचिका में डिटेंशन सेंटर्स में लंबे समय से रखे गए विदेशियों को मूलभूत सुविधाएं देने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि कई विदेशियों को उनकी सजा पूरी होने के बावजूद डिटेंशन सेंटर्स में इसलिए रखा गया है क्योंकि उन्हें उनके देश नहीं भेजा गया।

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एससी-एसटी एक्ट में बदलाव पर रोक से सुप्रीम कोर्ट का इनकार http://www.shauryatimes.com/news/29198 Thu, 24 Jan 2019 10:46:34 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=29198 नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट में सरकार की ओर से किये गए बदलाव के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार की ओर से किये गए संशोधन पर फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया है। अब नई बेंच सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर रिव्यू पिटीशन और सरकार की ओर से कानून में बदलाव को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं में एससी एसटी एक्ट के मामलों में तुरंत गिरफ्तारी के प्रावधान का विरोध किया गया है। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी लेकिन सरकार ने बदलाव कर रद्द किए गए प्रावधानों को फिर से जोड़ दिया। 7 सितंबर 2018 को याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा एससी-एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को निष्प्रभावी करने वाले संशोधन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

याचिका वकील प्रिया शर्मा और पृथ्वी राज चौहान ने दायर की है। याचिका में केंद्र सरकार के नए एससी-एसटी संशोधन कानून 2018 को असंवैधानिक बताया गया है। याचिका में कहा गया है कि इस नए कानून से बेगुनाह लोगों को फिर से फंसाया जाएगा। याचिका में मांग की गई है कि सरकार के इस नए कानून को असंवैधानिक करार दिया जाए। याचिका में मांग की गई है कि इस याचिका के लंबित रहने तक कोर्ट नए कानून के अमल पर रोक लगाए। केंद्र सरकार ने इस संशोधित कानून के जरिये एससी एसटी अत्याचार निरोधक कानून में धारा 18 ए जोड़ी है। इस धारा के मुताबिक इस कानून का उल्लंघन करने वाले के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच की जरूरत नहीं है, न ही जांच अधिकारी को गिरफ्तारी करने से पहले किसी से इजाजत लेने की जरूरत है| संशोधित कानून में ये भी कहा गया है कि इस कानून के तहत अपराध करने वाले आरोपी को अग्रिम जमानत के प्रावधान का लाभ नहीं मिलेगा।

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नरोदा पाटिया दंगा : चार दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत http://www.shauryatimes.com/news/29047 Wed, 23 Jan 2019 17:40:35 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=29047 नई दिल्ली : 2002 में गुजरात के नरोदा पाटिया दंगे के चार दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। कोर्ट ने उनकी अपील पर सुनवाई तक ये जमानत दी है। कोर्ट ने जिन चार दोषियों को जमानत दी है वे हैं-उमेशभाई भरवाड़, राजकुमार, पदमेंद्र राजपूत और हर्षद परमार। चारों को गुजरात हाईकोर्ट ने से 10 साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ चारों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। नरोदा पाटिया इलाके में 28 फरवरी 2002 को उग्र भीड़ ने अल्पसंख्यक समुदाय के करीब 97 लोगों की हत्या कर दी थी। इस मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने बजरंग दल के नेता बाबू बजरंगी को दोषी करार दिया था। लेकिन सबूतों के अभाव में पूर्व मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया था। इन सभी दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 436 के तहत दोषी ठहराया गया था।

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अपराधियों के ‘माननीय’ बनने पर रोक से कोर्ट का इनकार! http://www.shauryatimes.com/news/28763 Mon, 21 Jan 2019 07:56:57 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=28763

चुनाव में टिकट देने वाले दलों की मान्यता रद्द करने संबंधी याचिका खारिज

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में नामांकन भरते समय उम्मीदवारों द्वारा ‘हमें भारत के संविधान की जानकारी है’ की सार्वजनिक घोषणा किये जाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। याचिका बीजेपी नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी। याचिकाकर्ता की मांग थी कि राजनीतिक दल को ऐसे लोगों को टिकट देने से रोका जाए, जिनके ऊपर चुनाव से सालभर पहले से गंभीर अपराध में आरोप तय हैं। याचिका में कहा गया था कि उन राजनीतिक दलों का चुनाव चिह्न भी निरस्त कर दिया जाए जो चुनाव में उन्हें टिकट दे रहे हों, जिनके खिलाफ गंभीर अपराध में आरोप तय हो। याचिका में अपराधियों को टिकट देने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की मांग की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आप ये मांग चुनाव आयोग में रखें।
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गुजरात सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका http://www.shauryatimes.com/news/26864 Wed, 09 Jan 2019 11:17:16 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=26864 पुलिस मुठभेड़ की एसटीएफ जांच रिपोर्ट याचिकाकर्ता को सौंपने का आदेश

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को झटका देते हुए 2002-2006 में हुए 16 पुलिस मुठभेड़ की एसटीएफ जांच रिपोर्ट याचिकाकर्ता बीजी वर्गीज और जावेद अख्तर को सौंपने का आदेश दिया है। रिटायर्ड जस्टिस एचएस बेदी की अगुवाई में बने एसटीएफ की रिपोर्ट गुजरात सरकार को भी दी जाएगी। एसटीएफ ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामलों को देखा था। इस मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद होगी। गुजरात सरकार का कहना था कि रिपोर्ट को गोपनीय रखा जाना चाहिए वरना याचिकाकर्ता इसे भी सार्वजनिक मसला बनायेंगे। कोर्ट ने रिपोर्ट को लेकर गुजरात सरकार और याचिकाकर्ताओं को चार हफ़्ते के अंदर अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया। उसके बाद कोर्ट रिपोर्ट पर गौर करेगा।

12 दिसंबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस एच एस बेदी से पूछा था कि क्या उन्होंने कोर्ट में रिपोर्ट देने से पहले कमिटी के बाकी सदस्यों से राय ली? गुजरात सरकार का कहना था कि जस्टिस बेदी ने कमेटी के बाकी सदस्यों से राय किए बिना ही रिपोर्ट जमा कर दी। बेदी ने फरवरी 2018 में रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी थी। जस्टिस बेदी 24 मुठभेड़ों की जांच करनेवाली एसआईटी की कमेटी के प्रमुख थे। पत्रकार बी जी वर्गीज़ और गीतकार जावेद अख्तर ने इन मुठभेड़ों की सीबीआई या स्वतंत्र एजेंसी से जांच करने की मांग की है। दोनों याचिकाकर्ताओं ने जस्टिस बेदी कमेटी की रिपोर्ट सौंपे जाने की मांग की है। गुजरात सरकार इसका विरोध कर रही है।

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