Swami Vivekananda is even more relevant in the present context: Satish Chandra Dwivedi – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sun, 12 Jan 2020 17:20:07 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 वर्तमान संदर्भ में और भी अधिक प्रासंगिक हैं स्वामी विवेकानंद : सतीश चन्द्र द्विवेदी http://www.shauryatimes.com/news/73764 Sun, 12 Jan 2020 17:20:07 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=73764

स्वामी विवेकानंद के बताए रास्ते से ही दुनिया मान रही हमारा लोहा

लखनऊ : भारतीय नागरिक परिषद के तत्वावधान में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर आयोजित युवा दिवस संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी ने कहा कि आज पूरी दुनिया में भारत के युवाओं की मेधा और प्रतिभा का उभार देखा जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति तक अपने देश के युवाओं से आवाहन कर रहे हैं कि वे पढ़ने लिखने को ज्यादा महत्व दे अन्यथा भारतीय युवा छा जाएंगे। हमें आभारी होना चाहिए स्वामी विवेकानंद का जिन्होंने अकेले पहल की और पूरी दुनिया को भौचक्का कर दिया और भारत को उसका खोया हुआ गौरव वापस दिलाया। यहां के युवाओं की मेधा और ऊर्जा से दुनिया की पहचान कराई। आज स्वामी विवेकानंद होते तो वाकई भारतीय युवाओं की दुनिया में धाक देखकर अपने सपने को पूरा होते देख कितना खुश होते। उन्होंने कहा आज स्वामी विवेकानंद की जयंती है।
भारतीय युवाओं को लेकर उनके सपने अब रंग लाने लगे हैं। स्वामी विवेकानंद सबसे अधिक शिक्षा को महत्व देते थे वह कहते थे किसी भी देश का जीवन रूपी रक्त उसकी शिक्षण संस्थाओं और विद्यालयों में होता है जहां लड़के और लड़कियां शिक्षा प्राप्त कर रहे होते हैं। अनिवार्यत: उन विद्यालयों और विद्यार्थियों को पवित्र होना चाहिए और पवित्रता उन्हें सिखाई जानी चाहिए। इसीलिए हम जीवन के विद्यार्थी खंड को ब्रह्मचर्य आश्रम करते हैं। उन्होंने कहा स्वामी विवेकानंद के बताए रास्ते पर ही चल कर हम सब  अपना विकास कर सकेंगे ऐसा विकास जो विश्व के कल्याण का साधन बन सके।

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि विधान परिषद सदस्य उमेश द्विवेदी ने कहा स्वामी विवेकानंद अपने समय के भारत को एक सुप्त सिंह के रूप में देखते थे जिसे जागृत करने के लिए ऐसे नेतृत्व की आवश्यकता थी जो अपने समाज के हित में प्रत्येक कार्य को चाहे वो कितना भी कठिन क्यों ना हो बिना किसी हिचक करना जानता हो। रामकृष्ण परमहंस ने उनकी युवावस्था में ही भविष्यवाणी कर दी थी कि वह अपनी विद्वत्ता और आध्यात्मिक शक्ति से समस्त विश्व को चमत्कृत कर देंगे। सचमुच उनके ज्वलंत विचारों ने न केवल उनके जीवन काल में ही भारत की आलस्य निद्रा भंग कर दी बल्कि उनके जन्म के 157 साल बाद आज भी वर्तमान संदर्भों में भी उतने ही खरे उतर रहे हैं ।

ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने सदैव शिक्षा और विकास को सर्वोपरि महत्व दिया। उनका स्पष्ट मत था कि हमें प्राचीन ज्ञान का तिरस्कार नहीं करना है किंतु आधुनिक ज्ञान से भी मुंह नहीं मोड़ना है और दोनों का समन्वय करके चलना है। स्वामी विवेकानंद क्रांति के जनक भी थे। क्रांति की परिभाषा बताते हुए स्वामी विवेकानंद कहा करते थे क्रान्ति से ही नया भारत निकलेगा ।वे कहते थे नया भारत निकल पड़े मोची की दुकान से ,भड़भूँजे के भाड़ से, मजदूर के कारखाने से, हॉट से बाजार से, निकल पड़े झाड़ियों जंगलों पहाड़ों पर्वतों से यानी जन-जन को क्रांति अर्थात सार्थक परिवर्तन के लिए जगाने के आवाहन के प्रतीक थे स्वामी विवेकानंद।

भारतीय नागरिक परिषद के अध्यक्ष चंद्र प्रकाश अग्निहोत्री, संस्थापक न्यासी वरिष्ठ अधिवक्ता रमाकांत दुबे और महामंत्री रीना त्रिपाठी ने भी अपने विचार  रखते हुए कहा 12 जनवरी 1863 को बंगाल में जन्मे बालक ने देश के आध्यात्मिक व सांस्कृतिक आकाश में छाए कुहासे को सूर्य की भांति अपने प्रखर तेज से विनष्ट कर दिया और हिंदुत्व के नवजागरण की आधारशिला रखी। स्वामी जी के विचार वर्तमान भारत विशेषकर उसकी युवा पीढ़ी में देशाभिमान और धर्म में आस्था के पुनर्जागरण की दृष्टि से आज और अधिक प्रासंगिक और अनुकरणीय हैं।
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