teen talaq bil parit in loksabha – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 27 Dec 2018 18:14:34 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 Big News : तीन तलाक का विधेयक लोकसभा से पारित http://www.shauryatimes.com/news/24669 Thu, 27 Dec 2018 18:14:34 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=24669 नई दिल्ली : लोकसभा ने आज ऐतिहासिक कदम उठाते हुए शादीशुदा मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की कुप्रथा से निजात दिलाने वाला मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक, 2018 पारित कर दिया। सदन में चर्चा के बाद हुए मतदान में यह विधेयक 11 के मुकाबले 245 मतों से पारित हो गया। विपक्ष के सभी संशोधन भी खारिज कर दिए गए। यह विधेयक इस वर्ष 19 सितम्बर को जारी अध्यादेश के स्थान पर लाया गया था। लोकसभा ने तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाने वाले विधेयक को एक वर्ष पहले भी पारित किया था जो इस समय राज्यसभा में लंबित है। सरकार की ओर से नया विधेयक पुराने विधेयक में तीन मुख्य संशोधन शामिल करते हुए लाया गया। नए विधेयक में प्रावधान है कि पति के खिलाफ केवल पीड़ित महिला और उसके रक्त संबंधी ही शिकायत दर्ज करा सकते हैं। पति को मजिस्ट्रेट जमानत दे सकता है बशर्ते पीड़ित महिला की सहमति हो। मजिस्ट्रेट के सामने पति-पत्नी सुलह भी कर सकते हैं।

मत विभाजन के पहले कांग्रेस के नेतृत्व में लगभग समूचे विपक्ष ने सदन से बहिष्कार किया। विपक्ष के केवल गिने-चुने सदस्य ही सदन में बैठे रहे, जिन्हें विधेयक के विरोध में संशोधन पेश करने थे। उनके संशोधनों को सदन ने नामंजूर कर दिया। मत विभाजन के बाद अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने 11के मुकाबले 245 मतों से विधेयक के पारित होने की घोषणा की। तकरीबन पांच घंटे चली चर्चा का उत्तर देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक किसी मजहब या समुदाय के खिलाफ नहीं है बल्कि यह मुस्लिम महिलाओं को न्याय और गरिमा दिलाने के उद्देश्य से लाया गया है। उन्होंने कहा कि विधेयक के पीछे कोई राजनीति नहीं है तथा यह मोदी सरकार के महिलाओं को न्याय और गरिमा दिलाने के उद्देश्य से प्रेरित है। विधेयक में दंड के प्रावधान की हिमायत करते हुए उन्होंने कहा कि संसद द्वारा बनाए गए बलात्कार विरोधी, दहेज विरोधी, घरेलू हिंसा और महिला उत्पीड़न विरोधी कानूनों में सजा का प्रावधान है। अपराधों को रोकने के लिए दंड की व्यवस्था प्रभावी सिद्ध होती है इसीलिए एकतरफा तरीके से तलाक देने वाले व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान किया गया है।

कानून मंत्री ने विपक्ष के इन तर्कों का खंडन किया कि तीन तलाक को गैरकानूनी करार देते समय उच्चतम न्यायालय ने कानून बनाने के लिए संसद को कोई निर्देश नहीं दिया था। उन्होंने कहा कि पांच सदस्यीय उच्चतम न्यायालय की पीठ के दो न्यायाधीशों ने कानून बनाने के पक्ष में फैसला सुनाया था। एक तीसरे न्यायाधीश न्यायमूर्ति कूरियन ने भी कहा था कि जो चीज कुरान में गलत मानी गई है वह कानून में सही कैसे हो सकती है। इसी फैसले के अनुरूप सरकार विधेयक के रूप में कानून बना रही है। साथ ही उन्होंने कहा कि संसद अपने आप में संप्रभु है तथा किसी भी मुद्दे पर कानून बनाने के लिए अधिकृत है। कानून की गैरमौजूदगी के कारण अब तक पुलिस को यह अधिकार नहीं था कि वह पीड़ित महिला की शिकायत का संज्ञान लेते हुए दोषी पति के खिलाफ कोई कार्रवाई कर सके। कानून बनने के बाद तीन तलाक की शिकार कोई भी महिला पुलिस थाने में गुहार कर सकती है। उन्होंने कहा कि विभिन्न पक्षों से सुझाव मिलने के बाद सरकार ने पुराने विधेयक में संशोधन करते हुए नया विधेयक पेश किया है। इसमें दोनों पक्षों में सुलह की व्यवस्था है तथा महिला की सहमति पर पति को जमानत मिलने का प्रावधान है। दोषी पति को सजा मुकद्दमे की सुनवाई होने के बाद ही मिलेगी।

तलाकशुदा महिला औऱ उसके बच्चों को गुजारा भत्ता दिए जाने के संबंध में उन्होंने कहा कि यह मजिस्ट्रेट के विवेकाधिकार पर निर्भर होगा। पति की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही मजिस्ट्रेट गुजारे भत्ते की धनराशि तय करेगा। यह पूरा काम न्याय की समुचित प्रक्रिया का पालन करते हुए मजिस्ट्रेट द्वारा ही किया जाएगा। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दंडात्मक व्यवस्था अपराध को रोकने में प्रभावी सिद्ध होती है। यही कारण है कि सितम्बर में अध्यादेश जारी होने के बाद तीन तलाक के मामलों में कमी आई है। सरकार ने प्रवर समिति की मांग को नामंजूर करते हुए कहा कि इस प्रकरण में तत्काल कार्रवाई किए जाने की जरूरत है। इसीलिए पहले अध्यादेश जारी किया गया था और अब विधेयक लाया गया है।

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