Various measures to prevent diseases in Indian traditional knowledge – Anandiben – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Tue, 26 May 2020 12:05:47 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 भारतीय परम्परागत ज्ञान में बीमारियों से बचाव के अनेक उपाय -आनंदीबेन http://www.shauryatimes.com/news/78666 Tue, 26 May 2020 12:05:47 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=78666 राज्यपाल ने ‘राम नाम अवलंबन एकू’ अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी का किया उद्घाटन

लखनऊ : प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंगलवार को राजभवन से डाॅ.राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या द्वारा आयोजित ‘राम नाम अवलंबन एकू’ अंतरराष्ट्रीय ई-संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतीय लोक जीवन में राम सर्वत्र, सर्वदा प्रवाहमान महाऊर्जा के पर्याय हैं। उन्होंने कहा कि राम का नाम केवल साधन नहीं अपितु वह साध्य भी है जो बुराइयों के प्रभाव को नष्ट करता है। मानव मात्र को विपत्ति से मुक्ति प्रदान करता है। भारतीय संस्कृति प्रभु श्रीराम के जीवन मूल्यों से प्रकाशित आत्मबोध प्रदान करने वाली है। उन्होंने कहा कि आध्यात्म को अपनाकर ही जीवन मूल्यों को सुरक्षित किया जा सकता है। वसुधैव कुटुम्बकम की संकल्पना मर्यादा पुरूषोत्तम श्रीराम से जुड़ी है।

कोरोना वैश्विक महामारी के परिप्रेक्ष्य में राज्यपाल ने कहा कि हमारे वेदों, पुराणों एवं उपनिषदों में विभिन्न बीमारियों के संबंध में अनेक प्रकार की जड़ी-बूटी एवं पेड़-पौधों का जिक्र किया गया है। इसका उपयोग हमारे ऋषि-मुनियों और राजवैद्य औषधि के रूप में करते थे। आज भी इन जड़ी-बुटियों की प्रासंगिकता बनी हुई है। भारतीय परम्परागत ज्ञान में बीमारियों से बचाव के अनेक उपाय बताए गए हैं लेकिन समय की जमी धूल ने उसे अदृश्य बना दिया। उन्होंने कहा कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों को स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया है ताकि लोग साफ-सफाई को अपनाकर निरोग रह सकें। राज्यपाल ने कहा कि संक्रमणों से बचाव के लिए सनातन धर्म में हाथ, पैर और मुख धोकर भोजन करने, दांतों से नाखून न काटने, दूसरों के स्नान के तौलिया का प्रयोग न करने आदि के जो नियम बताये गये हैं उनका सभी को पालन करना चाहिए और बीमारियों से बचने का प्रयास करना चाहिए।

राज्यपाल ने कहा कि राम हमारी आस्था और अस्मिता के प्रतीक हैं। उन्हें किसी धर्म, जाति और वर्ग के नाम पर सीमित नहीं रखा जा सकता क्योंकि वे निर्विकार हैं। धर्म वस्तुतः भगवान और मानव के बीच आस्था, विश्वास और श्रद्धा से परिपूर्ण रिश्ते को सुदृढ़ बनाये रखने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने कहा कि भगवान, गाॅड, खुदा और वाहे गुरू तक पहुंचने का एक ही मार्ग है, वह है सत्य के मार्ग का अनुसरण। ई-संगोष्ठी में रामकथा के मर्मज्ञ जगतगुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य, डाॅ. राममनोहर विश्वविद्यालय अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित सहित अन्य लोग लोग उपस्थित थे।

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