When will the FIR be finally done on the scam in the cooperative recruitment? – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Fri, 31 Jul 2020 06:58:53 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 कोआपरेटिव भर्तियों में हुए घोटाले पर आखिर कब होगी प्राथमिकी! http://www.shauryatimes.com/news/81093 Fri, 31 Jul 2020 06:58:53 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=81093 -राघवेंद्र प्रताप सिंह

लखनऊ : सूबे की पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के कार्यकाल में सहकारिता विभाग के विभिन्न प्रकोष्ठों में हुई भर्तियों में जमकर नियमों की धज्जियां उड़ायी गयी थीं। राज्य में सत्ता परिवर्तन के बाद अब सब कुछ ‘स्याह-सफेद’ होने लगा है लेकिन तब हुए घालमेल को ढकने का प्रयास अब भी जारी है। यही नहीं धांधली कर की गयी कथित भर्तियों के मुख्य सूत्रधार रहे एवं तत्समय उच्च पद पर आसीन अधिकारी को अब बचाने के लिए ‘भागीरथ प्रयास’ किए जा रहे हैं। जबकि वह विभागीय जांच में सीधे तौर पर दोषी पाये गये हैं। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद मिली शिकायतों के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने धांधली और घालमेल कर की गयी भर्तियों की जांच के लिए एसआईटी यानी विषेश जांच टीम गठित की। जिसके बाद एसआईटी ने पूरी निष्पक्षता से जांच कर शासन को अपनी अनुसंसाओं के साथ रिपोर्ट भी सौंप दी, जिसमें साफ तौर पर धांधली के जिम्मेदारों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की सिफारिश की गयी थी। एसआईटी की रिपोर्ट को अमलीजामा पहनाने का स्वयं मुख्यमंत्री योगी भी आदेश दे चुके हैं लेकिन बावजूद इसके अब तक न तो प्राथमिकी ही दर्ज हुई है और न ही कोई ऐसी कार्रवाई हुई है जिससे यह लगे कि सरकार दोषियों को दण्डित करने की दिशा में कार्य कर रही है।

दरअसल, सूबे की पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार में सहकारिता विभाग से सीधे संबंधित भूमि विकास बैंक भंडारण निगम पैकफेड एवं अन्य कोऑपरेटिव की संस्थाओं सेवा मंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव व (upcb) उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक के तत्कालीन एमडी आरके सिंह के कार्यकाल में की गई भर्तियों में भारी अनियमितता सामने आयी थी। सूबे में सत्ता परिवर्तन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष जब यह प्रकरण पहुंचा तो उन्होंने इसकी जांच के लिए बकायदा एसआईटी का गठन कर दिया। आरोप यह था कि विज्ञापन निकलने के बाद शैक्षिक योग्यता में ही बदलाव कर दिया गया। पहले अर्हता 50 प्रतिशत अंक सहित, अर्थशास्त्र, गणित, सांख्यकी में स्नातक अथवा यूजीसी, एसएसटी द्वारा मान्यता प्राप्त संस्था से एमबीए, पीजीडीसीए फूल टाइम, बैंकिंग, फाइनेंस, उन चार्टर्ड अकाउंटेंट के स्थान पर 50 प्रतिशत अंक सहित किसी भी विषय से स्नातक किया गया। जिसके खिलाफ कोर्ट में ज्योति शुक्ला ने रिट याचिका दायर की। इस बीच मुख्यमंत्री द्वारा गठित एसआईटी ने अपनी जांच के बाद अपनी रिपोर्ट शासन को सौप दी है।

यह भी उल्लेखनीय है कि इस प्रकरण में विभागीय जांच में दोषी पाए गए तत्कालीन उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव बैंक (upcb) के एमडी आर के सिंह को तत्कालीन कृषि उत्पादन आयुक्त प्रभात कुमार द्वारा दोष सिद्ध पाते हुए निलंबित कर दिया गया था। वहीं दूसरी ओर पूरे प्रकरण की जांच साल 2018 में मुख्यमंत्री योगी ने एसआईटी को सौंपते हुए भर्तियों का अधिकार भी छीन कर नई संस्था को सौंप दिया। वहीं एसआईटी जांच पूरे होने व मुख्यमंत्री द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश के बावजूद अभी तक इस पर कोई अमल नहीं किया गया है। बताते चलें कि इस समय चर्चा का विषय बना हुआ है कि दागी पूर्व एमडी जिनकी विभागीय जांच भी चल रही है इनको इस जांच में क्लीन चिट देकर एसआईटी जांच से उनका नाम निकलवाकर जेल जाने से बचाना है। सूत्रों की मानें तो इस प्रकरण में एक चर्चित ओएसडी व पंचम तल के कुछ अधिकारियों की भमिका भी संदेहास्पद है जो इस दागी पूर्व एमडी को बचाने का प्रयास कर रहे। पूरे प्रकरण में ओएसडी द्वारा मुख्यमंत्री के लेटरपैड पर लिखा गया पत्र भी खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने के पीछे फर्जीवाड़ा करने वालों को बचाने का एक प्रयास भर है। हालांकि भर्ती में अनियमितता की जांच में दोषी पाये जाने पर 50 सहायक प्रबंधकों को सेवा मुक्त किया जा चुका है। वहीं सेवामुक्त हुए सहायक प्रबंधको ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था लेकिन वहां से इन्हें किसी तरह की कोई राहत नहीं मिली। लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि एसआईटी द्वारा की गयी जांच और उसकी संस्तुतियों पर ‘रसूखदार’ कब तक कुण्डली मार कर बैठे रहेंगे।

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