गरीबों में राशन दुकानों से सस्ती दर पर दाल बांटने की तैयारी – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स https://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Fri, 29 Jun 2018 07:03:17 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 गरीबों में राशन दुकानों से सस्ती दर पर दाल बांटने की तैयारी https://www.shauryatimes.com/news/4599 Fri, 29 Jun 2018 07:03:17 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=4599

गरीबों में राशन दुकानों से सस्ती दर पर दाल बांटने की तैयारी की जा रही है। इस बारे में उपभोक्ता व खाद्य मंत्रालय कैबिनेट नोट तैयार कर रहा है। सरकारी स्टॉक में फिलहाल 55 लाख टन दालें पड़ी हुई हैं, जिन्हें बाजार के हिसाब से अधिक मूल्य पर खरीदा गया है। अगर उसे खुले बाजार में बेचना पड़ा तो भारी घाटा उठाना पड़ेगा।गरीबों में राशन दुकानों से सस्ती दर पर दाल बांटने की तैयारी की जा रही है। इस बारे में उपभोक्ता व खाद्य मंत्रालय कैबिनेट नोट तैयार कर रहा है। सरकारी स्टॉक में फिलहाल 55 लाख टन दालें पड़ी हुई हैं, जिन्हें बाजार के हिसाब से अधिक मूल्य पर खरीदा गया है। अगर उसे खुले बाजार में बेचना पड़ा तो भारी घाटा उठाना पड़ेगा।  घाटे के इस सौदे से बचने के लिए देश के 201 पिछड़े जिलों में सस्ती दर पर दालों को बेचने पर विचार किया जा रहा है। सरकारी स्टॉक की दालों को खपाने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवों की समिति की बैठक बुलाई गई है। बैठक में बफर स्टॉक की पुरानी पड़ी दालों के साथ मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीदी दालों को पिछड़े जिलों में बांटे जाने पर कोई अहम फैसला लिया जा सकता है।  महंगी दाल खरीद कर बाजार में निजी व्यापारियों को सस्ते में बेचना सरकार को भारी पड़ सकता है। दलहन फसलों की सरकारी एजेंसी नैफेड ने चालू सीजन में 43 लाख टन से अधिक की खरीद कर ली है। कई राज्यों में अभी भी खरीद चालू है। इनमें चना, अरहर, मसूर, उड़द और मूंग है।  सारी दालें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी गई हैं। जबकि खाद्य मंत्रालय के बफर स्टॉक में 12 लाख टन पुरानी दाल पड़ी हुई है। इसमें काफी दालें बाजार भाव पर खरीदी गई हैं। कुछ दालें आयातित हैं। देश के चिन्हित 201 पिछड़े जिले के उपभोक्ताओं को इसका लाभ दिया जाएगा।  केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने बताया कि इस बारे में विस्तृत विचार-विमर्श हो चुका है। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी जल्द ही ले ली जाएगी। दलहन कारोबार के एक जानकार व्यापारी ने बताया कि अरहर को छोड़कर बाकी सभी दलहन फसलें साबुत भी खाई जाती हैं, इसलिए राशन प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को दालें बांटना बहुत आसान है।  दालों में सबसे अधिक सरकारी खरीद चने की हुई है। यह 25 लाख टन से भी अधिक है। 20 लाख टन अरहर, चार लाख टन उड़द, तीन लाख टन मूंग और इतनी ही मात्रा में मसूर खरीदी गई है। मानसून के सक्रिय होने के साथ ही सरकारी खरीद ठप होने लगी है।

घाटे के इस सौदे से बचने के लिए देश के 201 पिछड़े जिलों में सस्ती दर पर दालों को बेचने पर विचार किया जा रहा है। सरकारी स्टॉक की दालों को खपाने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में शुक्रवार को सचिवों की समिति की बैठक बुलाई गई है। बैठक में बफर स्टॉक की पुरानी पड़ी दालों के साथ मूल्य समर्थन योजना के तहत खरीदी दालों को पिछड़े जिलों में बांटे जाने पर कोई अहम फैसला लिया जा सकता है।

महंगी दाल खरीद कर बाजार में निजी व्यापारियों को सस्ते में बेचना सरकार को भारी पड़ सकता है। दलहन फसलों की सरकारी एजेंसी नैफेड ने चालू सीजन में 43 लाख टन से अधिक की खरीद कर ली है। कई राज्यों में अभी भी खरीद चालू है। इनमें चना, अरहर, मसूर, उड़द और मूंग है।

सारी दालें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदी गई हैं। जबकि खाद्य मंत्रालय के बफर स्टॉक में 12 लाख टन पुरानी दाल पड़ी हुई है। इसमें काफी दालें बाजार भाव पर खरीदी गई हैं। कुछ दालें आयातित हैं। देश के चिन्हित 201 पिछड़े जिले के उपभोक्ताओं को इसका लाभ दिया जाएगा।

केंद्रीय उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने बताया कि इस बारे में विस्तृत विचार-विमर्श हो चुका है। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी जल्द ही ले ली जाएगी। दलहन कारोबार के एक जानकार व्यापारी ने बताया कि अरहर को छोड़कर बाकी सभी दलहन फसलें साबुत भी खाई जाती हैं, इसलिए राशन प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को दालें बांटना बहुत आसान है।

दालों में सबसे अधिक सरकारी खरीद चने की हुई है। यह 25 लाख टन से भी अधिक है। 20 लाख टन अरहर, चार लाख टन उड़द, तीन लाख टन मूंग और इतनी ही मात्रा में मसूर खरीदी गई है। मानसून के सक्रिय होने के साथ ही सरकारी खरीद ठप होने लगी है।

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