सर्वोच्च सम्मान देने की मांग – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स https://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Sun, 30 Sep 2018 06:41:10 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 पाकिस्तान में भी मनाई गई भगत सिंह की जयंती, सर्वोच्च सम्मान देने की मांग https://www.shauryatimes.com/news/12536 Sun, 30 Sep 2018 06:41:10 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=12536  क्रांतिकारी भगत सिह की 111वीं जयंती शुक्रवार को पाकिस्तान के लाहौर उच्च न्यायालय में भी मनायी गई. भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने उच्च न्यायालय के डेमोक्रेटिक हॉल में एक कार्यक्रम आयोजित किया था. कई निर्वाचित प्रतिनिधि सिंह के जयंती समारोह में पहुंचे और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में एक रहे भगत सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की.पाक में भी मनाई गई भगत सिंह की जयंती, सर्वोच्च सम्मान देने की मांग

सभा में दो प्रस्ताव भी पारित किये गए. पहले में भगत सिंह को फांसी देने के लिए ब्रिटिश महारानी से भारतीय उपमहाद्वीप के लोगों से माफी मांगने की मांग की गयी और दूसरे में उनकी याद में सिक्के और डाक टिकट जारी करने की मांग की गई. भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज राशिद कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान सरकार को स्कूल पाठ्यक्रम में सिंह की कहानी शामिल करनी चाहिए और उन्हें उनके पराक्रम के लिए देश का शीर्ष नागरिक सम्मान (मरणोपरांत)दिया जाना चाहिए.

शहीद-ए-आजम भगत सिंह भगत सिंह (Bhagat Singh) की 111वीं जयंती 29 सितंबर को मनाई गई. अमृतसर में 13 अप्रैल, 1919 को हुए जलियांवाला बाग के निर्मम हत्याकांड ने 12 साल के उस बच्चे को ऐसा क्रांतिकारी बनाया, जिसके बलिदान ने मौत को भी अमर बना दिया. नौजवानों के दिलों में आजादी का जुनून भरने वाले शहीद-ए-आजम के रूप में विख्यात भगत सिंह का नाम स्वर्ण अक्षरों में इतिहास के पन्नों में अमर है. उनके नाम से ही अंग्रेजों के पैरों तले जमीन खिसक जाती थी. भगत सिह का जन्म पंजाब प्रांत में लायपुर जिले के बंगा में 28 सितंबर, 1907 को पिता किशन सिंह और माता विद्यावती के घर हुआ था.

1930 में लाहौर सेंट्रल जेल में उन्‍होंने अपना प्रसिद्ध निबंध ”मैं नास्तिक क्‍यों हूं” (व्‍हाई एम एन एथीस्‍ट) लिखा था. लाहौर षड्यंत्र केस में उनको राजगुरू और सुखदेव के साथ फांसी की सजा हुई. 24 मई 1931 को फांसी देने की तारीख नियत हुई. लेकिन नियत तारीख से 11 घंटे पहले ही 23 मार्च 1931 को उनको शाम साढ़े सात बजे फांसी दे दी गई.

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