‘मौसम व जलवायु’ में फर्क क्या है– एक बहस

(भाग-01)

-प्रो0 भरत राज सिंह
(महानिदेशक, स्कूल आफ मैनेजमेन्ट साइंसेस
व अध्यक्ष, वैदिक विज्ञान केन्द्र, लखनऊ-226501)

अभी कुछ दिन पूर्व अमरीकी डोनाल ट्रम्प ने 22 नवम्बर 2018 ट्वीटर के माध्यम से यह कहा कि अमेरिका मे वर्तमान मे तापमान शून्य से दो डिग्रीसेंटीग्रेड कम चल रहा है और वैज्ञानिक कह रहे कि यहा ग्लोबल-वार्मिंग का प्रभाव है। ट्वीटर पर इसका उत्तर भारत की अस्था समराह ने दिया कि मौसम को जलवायु परिवर्तन से नही जोडा जा सकता है यदि आको इसका अंतर जानना है तो मै कक्षा- 2 के किताब से बता सकती हूँ। आगे पढ़िये आज के ताकतवर देश के राष्ट्रपति दुनिया के प्रबुद्धवर्ग में कैसे भ्रम फैला रहे है और विश्व में वैश्विक तापमान बढाने के जिम्मेदार ये लोग कैसे इसे नकार रहे हैं।

बहस का पूर्ण विवरण–

“22 नवंबर 2018 को ग्लोबल वार्मिंग की विश्वव्यापी घटना का मज़ाक उड़ाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, अपने ट्वीट के माध्यम से कहा कि वाशिंगटन में पारा (-) 2 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है, और यहा पर हो रही क्रूर और विस्तारित शीत लहर ने ग्लोबल वार्मिंग के दुनिया मे फैलाये जा रहे भ्रम को समाप्त कर, सभी रिकॉर्ड तोड रही है ।”

गुवाहाटी (असम) की एक किशोर 18 वर्षीय लड़की

अस्था सरमाह के रूप में पहचानी जानी वाली 18 वर्षीय लड़की ने डोनाल्ड ट्रम्प के ट्वीट पर अपने जवाब में टिप्पणी की कि, “मैं आपसे 54 साल छोटी हूं। मैंने सिर्फ उच्च अंक के साथ हाईस्कूल समाप्त किया है, लेकिन यहां तक कि मैं आपको बता सकता हूं कि मौसम परिवर्तन को जलवायु परिवर्तन नहीं कहते हैं। अगर आप इसे समझने में मेरी मदद चाहते हैं, तो मैं आपको अपने विश्वकोष की किताब को उधार दे सकती हूं जिसे मैंने दूसरे श्रेणी में पढा था। इसमें चित्र के माध्यम से सबकुछ दर्शाया गया हैं। मैंने अभी औसत अंक के साथ हाई स्कूल पूर्ण किया है। लेकिन मैं आपको बता सकता हूं कि मौसम जलवायु नहीं है। इसे 27,800 लोगो ने मात्र किछ घंटों में पढ़ा व पसंद किया (1:55 PM – Nov 22, 2018)

इस पर भारत ही नहीं, अमेरिका में भी तमाम प्रक्रिया व्यक्त की गई जिसके कुछ अंश आपकी जानकारी के लिये प्रस्तुत कर रहा हूं। श्री ट्रम्प के इस दावे के एक साल पूर्व भी- एक ऐसा ही वक्तब्य एक ट्वीट से प्रसारित किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका को उस समय पुरानी विचार धारावाली ग्लोबल वार्मिंग से थोड़ा सा फायदा होगा, जब अमेरिका का अधिकांश भाग बर्फ से घिर जायेगा। 72 वर्षीय ट्रम्प ने जो 2012 में; जलवायु परिवर्तन पर हुई चर्चा के उपरांत वैज्ञानिको की सर्वसम्मति से सहमति बनी थी, पूर्णतः अस्वीकार करते हुए, यह वकतब्य दिया कि “ग्लोबल वार्मिंग” का सिद्धांत जो पेश किया गया था वह अमेरिकी निर्यात को नुकसान पहुंचाने के लिए, चीनियो की एक धोखाधड़ी थी।

वैज्ञानिक आमतौर पर “ग्लोबल वार्मिंग” शब्द को “जलवायु परिवर्तन” से जोडना अधिक पसंद करते हैं, जबकि उनके विचार से मनुष्यों की संख्या की बढोत्तरी से उनके द्वारा उत्पन्न गर्मी व अधिक ग्रीनहाउस गैसों को उत्सर्जित करने के प्रभाव से, चरम मौसम की घटनाओं के रूप में उत्पन्न हो रही है न कि वैश्विक तापमान (ग्लोबल वार्मिंग) की बढोत्तरी की अधिक संभावना से हैं।

श्री ट्रम्प ने “ग्लोबल वार्मिंग” शब्द को “जलवायु परिवर्तन” से जोडने के इस भेद को, कुछ लोगो द्वारा उनके डॉलर को गिराने की व्याकुलता बताते हुये, एक सिरे से खारिज कर दिया है। यहा यह भी उल्लेख करना चाहूगा कि नासा का एक वेब-पेज है जिसपर ‘मौसम और जलवायु’ के बीच का अंतर को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। “मौसम और जलवायु के बीच का अंतर एक समय है”। “मौसम वह होता है जो वायुमंडल की परिवर्तित परिस्थितियां थोड़ी सी अवधि में होती हैं, और जलवायु वह है जोकि अपेक्षाकृत लंबी अवधि के दौरान अपना प्रभाव उत्पन्न करता है।”

विशेषज्ञों ने श्री ट्रम्प के मूर्खतापूर्ण ट्वीट पर दिये गये बयान को तत्काल स्पष्ट किया था कि “मौसम और जलवायु एक ही बात नहीं है। मौसम – स्थानीय गर्मी से चलता है। ग्लोबल वार्मिंग – गर्मी अंदर लेने के सापेक्ष गर्मी बाहर छोडने के अंतर से उत्पन्न होती है जो ऊपर से नीचे आती है । माइक नेल्सन जो एक मौसम विज्ञानी है ने ट्विटर पर कहा था कि “यह राजनीति नहीं है, सिर्फ थर्मोडायनामिक्स है”।

रॉयल भौगोलिक सोसाइटी के भूगर्भ विज्ञानी और उनके साथी जेस फीनिक्स ने कहा था –
• विज्ञान की अस्वीकृति सचमुच लोगों को मार डालेगी । तापमान मे हो रही बढोत्तरी किसी भी अस्थायी रिकॉर्ड को तोड़ देगी ।
• इस तरह का अत्यधिक मौसम वास्तव में जलवायु मॉडल वैश्विक आबादी को बढ़ाने की सौजन्य दिखाता है। अपनी भौतिक अज्ञानता के लिए विज्ञान पर हमला करना बंद करो।

मैरीलैंड विश्वविद्यालय में राजनीति के प्रोफेसर और बुश और ओबामा प्रशासन के पूर्व सलाहकार शिब्ली तेलहमी ने कहा था- ग्लोबल वार्मिंग के बारे में उसके जटिल डेटा पर बहस करना अपने आप में पागलपन नहीं है, इसके लिये भारी सबूत का स्पष्ट होना आवश्यक है परंन्तु “मेरे तीन दशकों के शिक्षण में, मैंने कभी भी ऐसा छात्र नही पाया जो इस तरह की मूर्खतापूर्ण अनुमान बताता हो, जैसाकि ट्रम्प अपने ट्वीट से बता रहे है।”

परंतु 22 नवम्बर 2018 के अपने ट्वीट के शुरुआती तेरह मिनट बाद, श्री ट्रम्प ने पुनः स्पष्ट किया कि इसे मीडिया द्वारा गलत दावे के साथ पेश किया जा रहा है तथा मुझे वाहनो के ट्रेफिक जाम के लिए भी दोषी ठहराया जा रहा है। श्री ट्रम्प ने आगे लिखा- “समाचार मीडिया से आप उनके नकली प्रचार से जीत नहीं सकते हैं। आज एक बड़ी कहानी यह है कि क्योंकि मैंने कडी मेहनत की है और पेट्रोल की कीमतें इतनी कम हो गई हैं, कि अधिक से अधिक लोग गाड़ी चला रहे हैं और मैं अपने इस महान राष्ट्र भर में यातायात जाम पैदा करने के लिये जिम्मेदार ठहराया जा रहा हूं। मुझे सभी क्षमा करें!”

अमेरिकी मीडिया ने इस सप्ताह के अंत में थैंक्सगिविंग पर यात्रियों की संभावित रिकॉर्ड भीड पर व्यापक रूप से रिपोर्ट की है, लेकिन भीड़ से ट्रैफिक जाम के लिए राष्ट्रपति को दोषी ठहराने के लिये मीडिया आउटलेट को कोई मामला नहीं मिला। फॉक्स न्यूज, श्री ट्रम्प के पसंदीदा मीडिया आउटलेट द्वारा रिपोर्ट की गई कि वास्तव में, 2017 में ईंधन की उच्च कीमत के कारण थैंक्सगिविंग पर उम्मीद से कम भीड थी।

अब आप उपरोक्त बहस से यह समझ सकते है कि विश्व के सबसे शक्तिशाली विकसित देश अमेरिका का राष्ट्रपति, मौसम व जलवायु पर क्यो बहस का गलत प्रचार कर रहा है और भ्रम फैला रहा है ताकि उन पर कार्बन घटाने जैसे प्रयास पर अधिक दवाव पड़े जबकि भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेद्र मोदी जी ने पेरिस जलवायु समिति-2015 मे आवाहन कर 2% कार्बन घटाने हेतु प्रस्ताव दिया और पूरे विश्व मे भारतवर्ष की सरहना हुई। आज भारत बैकल्पिक-अक्षयऊर्जा के उपयोग मे 175 गीगावाट का 2022 तक उपयोग करने हेतु अग्रणी भूमिका निभा रहा है। इस सार्थक प्रायास से भारत द्वारा “ग्लोबल वार्मिंग” से उत्पन्न हो रही “जलवायु परिवर्तन” की विभिषिका को कम करने मे अमूल्य योगदान को आगे आने वाले इतिहास मे याद किया जायेगा। बहस आगे जारी रहेगी ….!

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