
लखनऊ। राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित अंशुमान तिवारी की चर्चित किताब ‘उलटी गिनती’ की सबसे खास बात यह है कि यह अर्थशास्त्र जैसे विषय की किताब होने के बावजूद उपन्यास की तरह रोचक और पठनीय है। कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में जिस तरह की गिरावट आई है उसके बहुत ही जमीनी ब्यौरे यहाँ पर मौजूद है। यह किताब लोगों की निजी जिन्दगी और सुख-दुख से शुरू होती है और भारतीय अर्थव्यवस्था के सुख-दुख तक जाती है। यह बातें ‘उलटी गिनती’के लोकार्पण और परिचर्चा के मौके पर बोलते हुए प्रो. अरविन्द मोहन ने कहीं। इसी क्रम में ‘उलटी गिनती’ पर बोलते हुए डॉ. वी.एन. मिश्रा ने कहा कि यह किताब इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी महत्त्वपूर्ण स्तभों की सघन पड़ताल है।
इसमें कोविड की भयावह पृष्ठभूमि में रोजगार, कृषि, स्वास्थ्य, उद्योग-धंधे, शेयर मार्केट, निजीकरण आदि सभी मुद्दों पर रचनात्मक बातचीत की गई है। ‘उलटी गिनती’ के लेखक अंशुमान तिवारी ने कहा कि पत्रकार होने के नाते उनके पास ग्राउंड जीरो पर जाकर इन मुद्दों को जानने और इनके बारे में पड़ताल करने की सुविधा थी। इस किताब में 8 लोगों से सीधी बातचीत से मिले अनुभव है। उनकी कहानियाँ है जो कोविड काल में नए सिरे से बनी और बिगड़ी है। कार्यक्रम की शुरूआत में ‘राष्ट्रीय पुस्तक मेला कमेटी’ के मनोज चंदेल ने अतिथियों को पौधे देक उनका स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन मनोज पाण्डेय ने किया।
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