- – मथुरा में जीएलए विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
- – कहा- यूपी जीआईएस के जरिए प्रदेश में होने जा रहा लाखों करोड़ का अभूतपूर्व निवेश
- – रोजगार के लिए हमारे युवाओं को दूसरे देश और अन्य प्रदेश नहीं भागना होगा : योगी
- – अपने स्थानीय क्षेत्र की विस्तृत स्टडी कराएं शिक्षण संस्थान, विकास में मिलेगी मदद : योगी
- – सीएम ने शिक्षण संस्थाओं से कहा- विद्यार्थियों को दें केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं की जानकारी
मथुरा, 6 फरवरी। यूपी के युवाओं को रोजगार के लिए अब दुनिया के अन्य देशों के पीछे नहीं भागना होगा और ना भारत के अन्य राज्यों में जाकर नौकरी ढूंढनी होगी। प्रदेश में इस साल ग्लोबल इंन्वेस्टर्स समिट के जरिए होने जा रहा लाखों करोड़ का अभूतपूर्व निवेश हमारे युवाओं के लिए संभावनाओं के नये द्वार खोलेगा। उत्तर प्रदेश में लाखों नौकरियां हमारे युवाओं का इंतजार कर रही हैं। ये बातें सोमवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यहां जीएलए विश्वविद्यालय के 11वें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कही।
अपने अपने भौगोलिक क्षेत्र पर करें विस्तृत स्टडी
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश के नौजवानों के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रखकर बनाई गयी है। हम केवल डिग्री तक सिमट के ना रहें। हमें बहुआयामी सोच के साथ आगे बढ़ना होगा। मुख्यमंत्री ने शिक्षण संस्थाओं से आह्वान किया कि वो अपने अपने भौगोलिक क्षेत्र का सामाजिक, आर्थिक और परंपराओं से जुड़ी गतिविधियों पर रिसर्च जरूर करें, जिससे उन क्षेत्रों में विकास कार्यों को और गति प्रदान की जा सके।
पाठ्यक्रम में शामिल करें सरकार की योजनाएं
मुख्यमंत्री ने दीक्षांत समारोह में उपाधियां प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि शिक्षण संस्थाओं को केंद्र सरकार और राज्य सरकार की योजनाओं की जानकारी अपने पाठ्यक्रम में देना चाहिए। खासकर युवाओं और छात्रों से जुड़ी योजनाओं को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाना चाहिए। अगर कोई छात्र स्टार्टअप स्थापित करना चाहता है, तो उसे पीएम मुद्रा योजना और मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के बारे में शिक्षण संस्थानों के लेवल पर ही जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने पीएम इंटर्नशिप, सीएम इंटर्नशिप और अभ्युदय जैसी योजनाओं के बारे में भी छात्र-छात्राओं को अवगत कराया।
ज्ञान का आदान प्रदान करें शिक्षण संस्थान, करें एमओयू
मुख्यंमत्री ने दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमें अपने प्रोडक्ट की क्वालिटी और पैकेजिंग पर ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने अगर यूपी में तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र पर पहले ही ध्यान दिया होता तो आज प्रदेश टेक्निकल स्किल का हब होता। सीएम ने उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को बताया कि प्रदेश में एमएसएमई का सबसे बड़ा बेस मौजूद है। यूपी में आज एक लाख साठ हजार करोड़ का एक्सपोर्ट प्रतिवर्ष हो रहा है। इस क्षेत्र में स्टार्टअप की बहुत बड़ी संभावनाएं हैं। मगर इसके लिए शिक्षण संस्थाओं को आगे आते हुए ट्रेनिंग देने का कार्य करना होगा। सीएम ने कहा कि एक शिक्षण संस्था को दूसरे शिक्षण संस्था के साथ एमओयू करना चाहिए और एक दूसरे के साथ ज्ञान का आदान प्रदान हो सके।
लाखों की संख्या में होने जा रहा रोजगार सृजन, विद्यार्थियों को तैयार करें
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के 25 सेक्टर में होने जा रहा अभूतपूर्व निवेश युवाओं के लिए लाखों की संख्या में रोजगार का सृजन करेगा। ऐसे में सभी शिक्षण संस्थाओं की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने विद्यार्थियों को इसके लिए तैयार करें। इंडस्ट्री की क्या डिमांड है इसकी स्टडी कराते हुए अपने छात्रों को तैयार करें।
अपनी विरासत से भटका व्यक्ति त्रिशंकु की तरह होता है
वहीं उन्होंने विद्यार्थियों से भी अपील की कि हमें जीवन में हर स्तर पर ऊंचाई तो प्राप्त करना है, मगर अपनी विरासत से संबंध विच्छेद नहीं करना है। अपनी विरासत से भटका व्यक्ति त्रिशंकु की तरह होता है। हमें शारिरिक, मानसिक और बौधिक रूप से नये भविष्य के लिए तैयार होना होगा। उन्होंने राम मनोहर लोहिया का जिक्र करते हुए कहा प्रख्यात समाजवादी चिंतक भगवान कृष्ण, राम और शिव को भारत के लोकजीवन के तीन आधारभूत स्तंभ मानते थे। कृष्ण ने भारत को पूरब से पश्चिम को जोड़ा, राम ने उत्तर से दक्षिण को और देशभर में विराजमान भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों से ही इस देश की सांस्कृतिक और भौगोलिक सीमा का निर्धारण होता है। इन तीन पर जबतक भारत की आस्था बनी रहेगी कोई इसका बाल भी बांका नहीं कर पाएगा। आप सभी सौभाग्यशाली हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के ब्रज भूमि से आप जुड़े हैं।
सत्यं वद, धर्मं चर के मार्ग का अनुसरण करें विद्यार्थी
मुख्यमंत्री ने तैत्तिरीयोपनिषद का उल्लेख करते हुए विद्यार्थियों के लिए ‘सत्यं वद, धर्मं चर’ के मार्ग का अनुसरण करने की सीख दी। उन्होंने कहा कि हमें देखना होगा कि हम सत्य का आचरण अपने जीवन में कैसे कर सकते हैं। व्यक्ति का कोई भी वाक्य तब प्रभावशाली बनता है, जब उसके आचार विचार में समन्वय होता है। जब व्यक्ति बोलता कुछ और करता कुछ है तब उसकी विश्वसनीयता संकट में होती है और जिसका स्वयं पर विश्वास न हो, उसपर समाज, देश और दुनिया क्या विश्वास करेगी। इसलिए सत्य बोलना और धर्म का आचरण करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारतीय मनीषियों ने धर्म को कभी उपासना विधि के साथ जोड़कर नहीं देखा। हमने आस्था को कभी किसी पर थोपने का प्रयास नहीं किया। हमने सबको जोड़ने का कार्य किया। हमारा बोध वाक्य यही था कि ज्ञान के लिए सभी दिशाओं को खुला रखो, जहां से भी प्राप्त हो सके ग्रहण करो। हमने कभी नहीं कहा कि हमारे अमुक ग्रंथ में ही दुनिया का सारा ज्ञान भरा है।
दीक्षांत समारोह के दौरान 47 छात्रों को पीएचडी, 561 को परास्नातक और 2085 छात्रों को स्नातक की उपाधि प्रदान की गयी। इस दौरान कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण, योगेन्द्र उपाध्याय, कुलाधिपति नारायण दास अग्रवाल, उप कुलाधिपति प्रो दुर्ग सिंह चौहान, कुलपति प्रो फाल्गुनी गुप्ता और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं व अभिभावक मौजूद रहे। कुलपति ने विश्वविद्यालय की वार्षिक प्रगति आख्या प्रस्तुत की।