व्यूरो : भारत और ब्रिटेन ने हाल ही में लंदन में ‘भारत-ब्रिटेन वित्तीय बाजार संवाद’ की दूसरी बैठक आयोजित की। दोनों ही पक्षों ने वर्ष 2017 से लेकर अब तक पहली बार आमने-सामने बैठकर वित्तीय संवाद आयोजित करने का स्वागत किया।
यह संवाद इन छह विषयों पर केंद्रित था:
- (1) बैंकिंग
- (2) भुगतान और क्रिप्टो परिसंपत्तियां,
- (3) बीमा और पुनर्बीमा,
- (4) पूंजी बाजार
- (5) परिसंपत्ति प्रबंधन, और
- (6) सतत वित्त
इस संवाद का नेतृत्व भारत के वित्त मंत्रालय और एचएम ट्रेजरी के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया, जिसमें भारतीय और ब्रिटेन की स्वतंत्र नियामक एजेंसियों ने भागीदारी की, और जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (आईएफएससीए), भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई), बैंक ऑफ इंग्लैंड, और वित्तीय आचार प्राधिकरण शामिल थे। भारत और ब्रिटेन के प्रतिनिधियों ने वित्तीय नियमन के उभरते क्षेत्रों में अपनी-अपनी जिम्मेदारी और सहयोग की संभावनाओं के मुद्दों पर अपने-अपने विचार साझा किए।
दोनों देशों की सरकारों के बीच आपसी चर्चा हो जाने के बाद निजी क्षेत्र के भागीदारों को चर्चा के लिए आमंत्रित किया गया जिसका नेतृत्व भारत-ब्रिटेन वित्तीय साझेदारी (आईयूकेएफपी) के सह-अध्यक्ष श्री बिल विंटर्स और श्री उदय कोटक ने किया।
इस बैठक में ब्रिटेन और भारत के प्रतिभागियों ने अपने-अपने यहां के बैंकिंग क्षेत्रों के हालिया घटनाक्रमों पर अद्यतन जानकारी प्रदान की, बैंकिंग रुझान और इस क्षेत्र में उभरती कमजोरियों एवं जोखिमों पर चर्चा की। आपसी सीख के माध्यम से केंद्रीय बैंकिंग डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) पर ज्ञान बढ़ाने की संभावनाओं का पता लगाया गया। प्रतिभागियों ने क्रिप्टो परिसंपत्तियों के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों, मजबूत वैश्विक दृष्टिकोण के विशेष महत्व, और सीमा पार भुगतान बढ़ाने के लिए जी20 रोडमैप सुलभ कराने में हुई प्रगति पर चर्चा की।
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