मस्कट : भारत-ओमान ने गुरुवार को मस्कट में मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसे आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) कहा जाता है। इस समझौते का मकसद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार, निवेश और सेवाओं में सहयोग बढ़ाना है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की तरफ से जारी जानकारी में बताया गया है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक की मौजूदगी में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और ओमान के वाणिज्य, उद्योग और निवेश प्रोत्साहन मंत्री कैस बिन मोहम्मद अल यूसुफ ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के बीच हुए समझौते की मुख्य बातें:
वस्तुएं
इस समझौते के तहत ओमान ने अपनी कुल शुल्क दरों की 98.08 फीसदी श्रेणियों पर शून्य शुल्क पहुंच की पेशकश की है। इसमें ओमान को होने वाले भारत के 99.38 फीसदी निर्यात का हिस्सा शामिल है। इसमें पहली बार भारत की पारंपरिक औषधियों को शामिल किया गया है। इससे खाड़ी देशों में आयुष उत्पादों के लिए बाजार पहुंच बढ़ेगी।
समझौते के तहत रत्न एवं आभूषण, वस्त्र, चमड़ा, जूते, खेल सामग्री, प्लास्टिक, फर्नीचर, कृषि उत्पाद, इंजीनियरिंग उत्पाद, औषधि, चिकित्सीय उपकरण और मोटर वाहन सहित सभी प्रमुख श्रम-प्रधान क्षेत्रों को पूर्ण शुल्क समाप्ति का लाभ मिलेगा। वहीं, 97.96 फीसदी शुल्क श्रेणियों पर तत्काल शुल्क समाप्ति की पेशकश की जा रही है।
व्यापक आर्थिक साझेदारी के तहत भारत अपनी कुल शुल्क श्रेणियों (12,556) में से 77.79 फीसदी पर शुल्क उदारीकरण की पेशकश कर रहा है, जिसमें मूल्य के आधार पर ओमान से होने वाले भारत के 94.81 फीसदी आयात शामिल है। ओमान के लिए जिन उत्पादों में निर्यात रुचि है, जो भारत के लिए संवेदनशील हैं, वहां अधिकांश मामलों में शुल्क-दर कोटा (टीआरक्यू) आधारित शुल्क उदारीकरण की पेशकश की गई है।
इसके अतिरिक्त संवेदनशील उत्पादों जैसे कृषि उत्पादों (दुग्ध, चाय, कॉफी, रबर एवं तंबाकू उत्पाद सहित); सोना एवं चांदी के उत्पाद, आभूषण, जूते, खेल सामग्री तथा कई आधारभूत धातुओं के कबाड़ पर कोई शुल्क रियायत नहीं। यूएसएफडीए, ईएमए और यूकेएमएचआरए सहित अन्य द्वारा स्वीकृत औषधि उत्पादों के लिए विपणन अनुमतियों की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।
सेवाएं
ओमान का वैश्विक सेवा आयात 12.52 अरब यूएस डॉलर है, जबकि भारत की हिस्सेदारी मात्र 5.31 फीसदी है। आंकड़े भारतीय सेवा प्रदाताओं के लिए अपार अप्रयुक्त क्षमता को दर्शाते हैं। ओमान ने कंप्यूटर संबंधी सेवाओं, व्यापार एवं पेशेवर सेवाओं, ऑडियो-विजुअल सेवाओं, अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा व स्वास्थ्य सेवाओं सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रतिबद्धताएं व्यक्त की हैं।
ओमान ने पहली बार कुशल पेशेवरों की आवाजाही (मोड-4) के तहत व्यापक प्रतिबद्धताएं पेश की हैं, जिनमें कंपनी के भीतर स्थानांतरित होने वाले कर्मचारियों की सीमा को 20 फीसदी से बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया है। संविदा आधार पर सेवा प्रदान करने वालों के लिए ठहरने की स्वीकृत अवधि में भी वृद्धि की गई है। इसे मौजूदा 90 दिन से बढ़ाकर दो वर्ष कर दिया गया है। इसे दो वर्ष के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
समझौते के तहत लेखांकन, कराधान, वास्तुकला और चिकित्सा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों के लिए अधिक उदार प्रवेश और ठहरने की शर्तें। सीईपीए के तहत ओमान के प्रमुख सेवा क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों द्वारा 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रावधान है। दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि ओमान की अंशदायी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली लागू होने के बाद सामाजिक सुरक्षा समन्वय पर भविष्य में चर्चा की जाएगी।
समझौता संबंधी अन्य जानकारियां
भारत और ओमान के बीच व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) मील का पत्थर है। यह साल 2006 में अमेरिका के साथ हुए समझौते के बाद ओमान द्वारा किसी अन्य देश के साथ हस्ताक्षरित पहला द्विपक्षीय समझौता है।
ओमान खाड़ी क्षेत्र में भारत का महत्वपूर्ण रणनीतिक साझीदार है और पश्चिम एशिया पूर्व तथा अफ्रीका के व्यापक क्षेत्रों में भारतीय वस्तुओं व सेवाओं के लिए प्रमुख प्रवेश द्वार। ओमान में करीब 7 लाख भारतीय रहे रहे हैं, जिनमें ऐसे भारतीय व्यापारी परिवार भी शामिल हैं, जो 200-300 वर्ष से वहां रह रहे हैं।
ओमान में विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत 6,000 से अधिक भारतीय प्रतिष्ठान हैं। भारत को ओमान से प्रतिवर्ष लगभग दो अरब अमेरिकी डॉलर की राशि प्राप्त होती है। ब्रिटेन के बाद भारत द्वारा पिछले 6 महीनों में हस्ताक्षरित यह दूसरा व्यापार समझौता है।
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