चुनाव आयोग की दोबारा अपील, लिखित शिकायत दें या मिलने आएं राहुल गांधी

नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी पार्टी को सार्वजनिक मंचों से आरोप लगाने की बजाय सीधा आयोग से संवाद की अपील की है। आयोग का कहना है कि आरोप लगाने के स्थान पर उन्हें अपनी शिकायतों को लिखित तौर पर आयोग को देना चाहिए और समय निकाल कर मुलाकात करनी चाहिए।

सूत्रों का कहना है कि प्रक्रिया के अनुसार सार्वजनिक जानकारी है कि चुनाव आयोग सहित कोई भी संवैधानिक संस्था, तभी औपचारिक रूप से प्रतिक्रिया देती है जब संबंधित व्यक्ति लिखित में पत्र भेजता है। यह भी आश्चर्यजनक है कि “राहुल गांधी एक ओर इन मुद्दों को बेहद गंभीर बता रहे हैं लेकिन जब उन्हें लिखित रूप में देने की बात आती है, तो पीछे हट जाते हैं।” दूसरी ओर, जब कांग्रेस को 15 मई को आयोग से मिलने का आमंत्रण दिया गया, तब उसने आगे मिलने के लिए समय माँग लिया और पीछे हट गई।

चुनाव आयोग के सूत्रों ने राहुल गांधी की चुप्पी पर आश्चर्य जताया है। आयोग ने कहा कि 24 घंटे बीतने के बाद भी राहुल गांधी ने न तो कोई पत्र लिखा और न ही मिलने का समय माँगा। “वे अपने आरोपों को गंभीर बताते हैं लेकिन उन्हें लिखित रूप में देने से बच रहे हैं।”

सूत्रों का कहना है कि वास्तव में राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में कांग्रेस उम्मीदवारों द्वारा नियुक्त बूथ लेवल एजेंटों, पोलिंग और काउंटिंग एजेंटों की आलोचना कर दी है। दूसरी ओर, आयोग द्वारा पूरे देश में नियुक्त 10.5 लाख बूथ लेवल अधिकारी, 50 लाख पोलिंग अधिकारी और 1 लाख काउंटिंग सुपरवाइज़र उनके इन निराधार आरोपों से नाराज़ हैं, जो उनकी ईमानदारी और मेहनत पर सवाल उठाते हैं।

वहीं, सीसीटीवी फुटेज को लेकर आयोग का कहना है कि किसी भी चुनाव याचिका में उच्च न्यायालय मतदान केंद्रों की सीसीटीवी फुटेज की जाँच कर सकता है। यह व्यवस्था चुनाव की निष्पक्षता बनाए रखने और मतदाताओं की गोपनीयता की रक्षा के लिए है। ऐसे में राहुल गांधी या उनके एजेंट मतदाताओं की गोपनीयता क्यों भंग करना चाहते हैं? क्या उन्हें उच्च न्यायालयों पर भी भरोसा नहीं है?

उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव को लेकर पांच बिंदुओं पर कथित चुनावी गड़बड़ियों की बात कही थी। इनमें चुनाव आयुक्त पैनल की नियुक्ति में पक्षपात, फर्जी मतदाताओं का नाम जोड़ना, मतदान प्रतिशत बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना, टार्गेटेड बूथों पर बोगस वोटिंग और सीसीटीवी रिकॉर्ड न देने जैसे मुद्दे शामिल थे।

चुनाव आयोग ने इन सभी विषयों का जवाब दिया है। आयोग का कहना है कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति वर्तमान सरकार के कार्यकाल में ही तीन सदस्यीय पैनल के माध्यम से शुरू हुई है। इसके पहले सरकारें सीधी नियुक्ति किया करती थी। मतदाता, मतदान प्रतिशत तथा बोगस वोटिंग के आरोपों पर आयोग ने चुनावी प्रक्रिया की ओर ध्यान कराया है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com