नेपाल के हवाईअड्डे का प्रयोग करते हुए चार महीने में 200 संदिग्ध भारतीय नागरिकों को विदेश भेजने का खुलासा

काठमांडू : नेपाल के त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे का प्रयोग करते हुए पिछले चार महीने में 200 संदिग्ध भारतीय नागरिकों को विदेश भेजे जाने की बात जांच में सामने आई है। इनमें अधिकांश खालिस्तान समर्थक लोगों के होने की जानकारी मिली है।

नेपाल के गृहमंत्री रमेश लेखक जिस मानव तस्करी मामले में अभी घिरे हैं और विपक्ष की तरफ से उन पर इस्तीफे का दबाव दिया जा रहा है उस मामले की जांच कर रहे केन्द्रीय अनुसंधान ब्यूरो (सीआईबी) ने कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इस जांच से जुड़े एक वरिष्ठ जांच अधिकारी के मुताबिक हवाई अड्डे पर रहे इमिग्रेशन विभाग में मानव तस्करी का धंधा धड़ल्ले से चलाया जा रहा था और इसमें सिर्फ श्रमिक के रूप में विदेश जाने वाले लोग ही नहीं बल्कि संदिग्ध लोगों को भी भेजे जाने का खुलासा हुआ है।

सीआईबी की तरफ से इस मामले की जांच को लेकर फिलहाल आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा जा रहा है लेकिन जांच अधिकारी ने कुछ सनसनीखेज खुलासे किए हैं। अधिकारी ने बताया कि इमिग्रेशन का रिकॉर्ड खंगालने पर पिछले चार महीने में 200 से अधिक ऐसे भारतीय नागरिकों को विदेश भेजा गया जिनके पास भारतीय दूतावास काअनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) नहीं था।

जांच अधिकारी के मुताबिक जिन भारतीय नागरिकों को काठमांडू के एयरपोर्ट का प्रयोग कर अनाधिकृत रूप से विदेश भेजा गया उनमें लॉरेंस विश्नोई गैंग से जुड़े सदस्य से लेकर प्रतिबंधित खालिस्तानी समूह से जुड़े लोगों के भी शामिल होने की रिकॉर्ड देखा गया है। उन्होंने कहा कि विदेश भेजे गए भारतीय नागरिकों में कुछ ऐसे भी नागरिक शामिल हैं जिनको लेकर भारतीय खुफिया विभाग की तरफ से बकायदा लिखित रूप से नेपाली सुरक्षा अधिकारियों को जानकारी दी गई थी।

किसी भी भारतीय नागरिकों को नेपाल के विमानस्थल से किसी तीसरे देश में जाने के लिए काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से एनओसी लेना आवश्यक होता है। इसी तरह अगर भारत के तरफ से किसी भी व्यक्ति के बारे में जानकारी दी जाती है तो उसे भी रोकने का काम इमिग्रेशन का होता है पर इन दोनों की परवाह किए बिना नेपाल के एयरपोर्ट का दुरूपयोग किया गया है।

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