शिमला : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने हिमाचल प्रदेश में बार-बार हो रही प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए एक बहु-क्षेत्रीय केंद्रीय टीम के गठन का निर्देश दिया है। इस टीम में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA), केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) रुड़की, भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM) पुणे, भूविज्ञानी और आईआईटी इंदौर के विशेषज्ञ शामिल होंगे। टीम प्रदेश में आपदाओं की बढ़ती आवृत्ति और नुकसान का वैज्ञानिक आकलन करेगी।
उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार आपदा के समय हिमाचल प्रदेश के के साथ मजबूती से खड़ी है। अमित शाह की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में बताया गया कि हिमाचल प्रदेश में बादल फटने, अचानक बाढ़ और भूस्खलन से राज्य में व्यापक जनहानि, बुनियादी ढांचे और आजीविका को भारी नुकसान हो रहा है।
इसी बीच दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान हिमाचल में आई भीषण आपदा की गंभीरता को देखते हुए केंद्र सरकार ने नुकसान का त्वरित आकलन करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी केंद्रीय दल (IMCT) को पहले ही भेज दिया है। यह दल 18 से 21 जुलाई तक राज्य के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहा है।
बैठक में बताया गया कि केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश को पहले ही बड़ी आर्थिक मदद जारी की है। वर्ष 2023 की आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई और पुनर्निर्माण के लिए 2006.40 करोड़ रुपये के पैकेज को मंजूरी दी गई है। 7 जुलाई 2025 को इसकी पहली किस्त के रूप में 451.44 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए। इसके अलावा 18 जून 2025 को राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF) से 198.80 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी की पहली किस्त भी प्रदेश को भेजी गई। राज्य में राहत और बचाव कार्यों के लिए NDRF की 13 टीमें, सेना और वायुसेना की टीमें भी तैनात की गई हैं।
इस बीच हिमाचल प्रदेश में बारिश का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार मानसून सीजन में अब तक बादल फटने की 22 घटनाएं, अचानक बाढ़ की 34 घटनाएं और भूस्खलन की 21 घटनाएं हो चुकी हैं। इन घटनाओं ने राज्य को अब तक करीब 1234 करोड़ रुपये का नुकसान पहुँचाया है। सबसे ज्यादा नुकसान लोक निर्माण विभाग को हुआ है, जिसे 552 करोड़ रुपये की क्षति का अनुमान है, जबकि जल शक्ति विभाग को 442 करोड़ का नुकसान हुआ है।
प्रदेश में 20 जून से अब तक बारिश से जुड़ी घटनाओं में 119 लोगों की मौत हो चुकी है, 215 घायल और 34 लोग लापता हैं। सबसे ज्यादा 21 मौतें मंडी जिले में हुईं, जहां 27 लोग अब भी लापता हैं। कांगड़ा में 19, कुल्लू में 15, चम्बा में 10, ऊना, सोलन व हमीरपुर में 9-9, और शिमला व बिलासपुर में 8-8 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
भूस्खलन, बाढ़ और बादल फटने से 377 घर, 264 दुकानें और 945 गौशालाएं पूरी तरह तबाह हो गई हैं। 733 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। अकेले मंडी जिले में 350 घर, 241 दुकानें और 767 गौशालाएं पूरी तरह नष्ट हो गई हैं, जबकि 560 घर आंशिक रूप से प्रभावित हुए हैं। कृषि और पशुपालन भी प्रभावित हुए हैं। अब तक 21,500 पोल्ट्री पक्षी और 1288 पालतू पशु मारे जा चुके हैं।
मौसम विभाग ने 21 से 23 जुलाई तक प्रदेश के कुछ इलाकों में भारी बारिश, तेज हवाओं और बिजली गिरने की चेतावनी दी है। इस दौरान कई जिलों में बहुत भारी वर्षा का ऑरेंज अलर्ट भी जारी किया गया है।