जगदलपुर : छत्तीसगढ़ के बस्तर संभााग के अंदरूनी इलाकाें के नक्सल मोर्चे पर तैनात सुरक्षा बलों की रणनीतिक गोपनीयता को बनाए रखने के लिए एक सख्त कदम उठाया गया है। इसके तहत नक्सल प्रभावित जिलों में तैनात सुरक्षाबल के जवानों को इंटरनेट और सोशल मीडिया से दूर रहने के लिए निर्देशित किया गया है। ऑपरेशन के दौरान मोबाइल उपयोग भी सीमित कर दिया गया है। जवान केवल आपातकालीन या आधिकारिक संपर्क के लिए ही फोन का प्रयोग कर सकेंगे। वीडियो बनाना, फोटो लेना और रिकार्डिंग पूरी तरह प्रतिबंधित कर दी गई है। आपरेशन के बाद मोबाइल की जांच भी अनिवार्य कर दी गई है। जिससे की किसी भी प्रकार की नक्सल विराेधी अभियान की जानकारी किसी अन्य काे नहीं मिल सके।
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने रविवार काे बताया कि ऑपरेशन के दौरान जवानों की सुरक्षा सर्वोपरि है। इंटरनेट मीडिया के जरिए आपरेशन की सूचनाएं लीक होने से न केवल रणनीति विफल हो सकती है, बल्कि जवानों की जान भी खतरे में पड़ सकती है। अब सभी जवानों के इंटरनेट मीडिया हैंडल की जिलास्तर पर समीक्षा कर उन्हें हटाया गया है।
पुलिस के अनुसार बस्तर संभाग के सातों नक्सल प्रभावित जिलों दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा, कोंडागांव, कांकेर और बस्तर में तैनात सुरक्षाबलाें के जवानों के सभी इंटरनेट मीडिया अकाउंट अब डिलीट करा दिए गए हैं। जवानों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे किसी भी साेशल मीडिया प्लेटफार्म से दूरी बनाए रखें और भविष्य में कोई भी ऑपरेशनल जानकारी साझा न करें। इस निर्णय के पीछे मुख्य वजह पिछले दिनों हुए ऑपरेशन से जुड़ी संवेदनशील जानकारियों का इंटरनेट मीडिया के ज़रिए लीक होना, बताया जा रहा है।
नक्सलियाें के शीर्ष कैडर के नक्सली संगठन के महासचिव बसव राजू के मारे जाने के बाद जवानों द्वारा पोस्ट किए गए आपरेशनल वीडियो मिलियन्स व्यूज बटोर रहे थे, जिनमें हथियार, जंगल मार्ग, मुठभेड़ स्थल और यहां तक कि घायल या मारे गए नक्सलियों की तस्वीरें भी शामिल थीं, इससे मिशन की सुरक्षा पर खतरा मंडराने लगा था। जवानों को साइबर सुरक्षा और गोपनीयता को लेकर विशेष काउंसलिंग भी दी जा रही है, ताकि वे अनजाने में भी कोई संवेदनशील जानकारी साझा न करें । यह कदम नक्सल विरोधी अभियानों की सफलता सुनिश्चित करने और जवानों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में लिया गया निर्णायक निर्णय है।