नई दिल्ली : पारंपरिक चिकित्सा पर पिछले तीन दिनों से भारत मंडपम में विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित दूसरे वैश्विक शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में घोषणा पत्र जारी किया गया। इसके तहत पारंपरिक चिकित्सा में शोध कार्यों पर जोर दिया गया।
घोषणापत्र के अनुसार पारंपरिक चिकित्सा पर रिसर्च को बढ़ावा दिया जाएगा, क्योंकि अभी इस पर बहुत कम पैसा खर्च होता है। इसके साथ इलाज सुरक्षित और असरदार हो, इसके लिए नियम और निगरानी व्यवस्था मजबूत की जाएगी।
पारंपरिक चिकित्सा को प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ा जाएगा, ताकि आम लोगों को इसका फायदा मिल सके। इलाज से जुड़े डेटा, रिकॉर्ड और जानकारी को बेहतर तरीके से इकट्ठा किया जाएगा। स्वदेशी और स्थानीय समुदायों की भूमिका को अहम माना जाएगा और उनके ज्ञान का सम्मान किया जाएगा।
समिट में यह भी कहा गया कि पारंपरिक चिकित्सा केवल इलाज का तरीका नहीं, बल्कि एक साझा सांस्कृतिक विरासत है, जो लोगों और पर्यावरण–दोनों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
इस घोषणा के साथ विश्व स्वास्थ्य संगठन और सदस्य देशों ने मिलकर पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्वास्थ्य व्यवस्था का मजबूत हिस्सा बनाने का संकल्प लिया।
उल्लेखनीय है कि 17 से 19 दिसंबर 2025 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार ने मिलकर पारंपरिक चिकित्सा पर दूसरा ग्लोबल समिट आयोजित किया। इसमें 100 से ज्यादा देशों के मंत्री, अधिकारी, वैज्ञानिक, डॉक्टर, शोधकर्ता और पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े लोग शामिल हुए।
समिट का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा को वैज्ञानिक आधार पर मजबूत बनाना और इसे लोगों तक सुरक्षित तरीके से पहुंचाना था। इसमें आयुर्वेद, यूनानी, सिद्ध, होम्योपैथी और अन्य पारंपरिक उपचार पद्धतियों पर चर्चा हुई।
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