जयपुर, हाईकोर्ट की खंडपीठ ने प्रदेश में स्कूलों के जर्जर भवनों पर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकारी स्कूल व अस्पताल में इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी है। लेकिन निजी स्कूलों में भीड़ पड़ रही है जबकि सरकारी स्कूलों में बच्चों की कमी है। ऐसे में आमजन पढ़ाई-दवाई और कमाई के लिए बाहर जाता है क्योंकि सरकारी स्कूल व अस्पताल में आधारभूत सुविधाएं ही नहीं हैं। झालावाड़ स्कूल हादसे के बाद सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने का काम कर रही है, लेकिन हादसे से पहले इन्फ्रास्ट्रक्चर पर काम क्यों नहीं किया गया। जस्टिस महेन्द्र गोयल व जस्टिस अशोक कुमार जैन की खंडपीठ ने यह टिप्पणी स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले की।
सुनवाई के दौरान आदेश के पालन में जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों की ओर से जर्जर स्कूलों में राज्य सरकार की ओर से की गई व्यवस्था पर रिपोर्ट पेश की। अदालत ने रिपोर्ट को रिकार्ड पर लेते हुए इसकी कॉपी राज्य सरकार व न्याय मित्र को मुहैया कराने के लिए कहा। राज्य सरकार की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 5 हजार 667 स्कूल जर्जर हालत में मिलें। इनमें 86 हजार 934 भवन जर्जर मिले थे। गौरतलब है कि झालावाड़ के पिपलोदी में हुए स्कूल हादसे के बाद हाईकोर्ट ने जर्जर स्कूल भवनों और बच्चों की सुरक्षा के लिए स्व: प्रसंज्ञान लिया था। मामले में पूर्व में अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि स्कूल के किसी भी जर्जर भवन में कक्षाएं नहीं लगाई जाएं और राज्य सरकार बच्चों की पढ़ाई के लिए अन्य जगह पर वैकल्पिक व्यवस्था करें।
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