संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में मोहन भागवत का कोलकाता प्रवास 21 दिसंबर काे

कोलकाता : पश्चिम बंगाल की राजधानी काेलकाता के साइंस सिटी परिसर में 21 दिसंबर काे आयोजित संघ के शताब्दी वर्ष कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन राव भागवत शामिल होंगे। इस विशेष आयोजन में वह दो महत्वपूर्ण संबोधन देंगे। इन संबोधनों का केंद्र संघ की 100 वर्षों की सामाजिक यात्रा, व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की नीति और एकजुट हिंदू समाज के माध्यम से वैभवशाली भारत के लक्ष्य पर रहेगा।

 

दक्षिण बंगाल के सह प्रचार प्रमुख विप्लव राय ने हिन्दुस्थान समाचार से खास बातचीत में बताया की माेहन भागवत के कार्यक्रम की सारी तैयारियां पूरी हो गई हैं। अपने इस दौरे के दौरान वह कोलकाता के प्रबुद्ध वर्ग के साथ मुलाकात भी करेंगे और उनके साथ परिचर्चा में भी शामिल होंगे।

 

मोहन भागवत का यह कोलकाता प्रवास संघ के शताब्दी वर्ष के व्यापक कार्यक्रमों की श्रृंखला का अहम हिस्सा है। इसके पूर्व वह 18 और 19 दिसंबर को सिलीगुड़ी में उत्तर बंग प्रांत की ओर से आयोजित शताब्दी कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं, जहां युवा सम्मेलन और संघ की 100 वर्षों की यात्रा विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया है। सिलीगुड़ी के कार्यक्रमों में उत्तर बंगाल के आठ जिलों और पड़ोसी राज्य सिक्किम की सहभागिता है, जिसमें संघ की सेवा, अनुशासन और प्रतिबद्धता पर विस्तार से चर्चा होगी।

 

कोलकाता के साइंस सिटी में होने वाले पहले संबोधन में मोहन भागवत यह बताएंगे कि शताब्दी वर्ष पूर्ण करने तक संघ ने भारत के जनमानस के बीच किस तरह अपनी जगह बनाई और व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण की सोच के तहत निरंतर त्याग, समर्पण और राष्ट्रभक्ति के साथ कार्य किया। इस दौरान संघ की सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्र निर्माण में भूमिका पर भी उनका विशेष जोर रहेगा।

 

दूसरे प्रमुख संबोधन में वे एकजुट समाज के माध्यम से वैभवशाली भारत के निर्माण के भविष्य के लक्ष्य पर अपने विचार रखेंगे। इसमें सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने की दिशा में संघ के प्रयासों का उल्लेख किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत कोलकाता के प्रबुद्ध वर्ग से भी मुलाकात करेंगे और समसामयिक राष्ट्रीय विषयों पर संवाद करेंगे।

 

गौरतलब है कि, शताब्दी वर्ष के अवसर पर संघ देश भर में विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से अपनी 100 वर्षों की यात्रा, विचार और कार्यों को समाज के सामने रख रहा है। कोलकाता का यह आयोजन भी उसी व्यापक अभियान का हिस्सा है, जिसमें पूर्वी भारत में संघ के वैचारिक और सामाजिक प्रभाव को रेखांकित किया जाएगा। ——————-

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