बिहार में अब राजग के सामने संकल्प-पत्र लागू करने का महाचैलेंज

पटना : बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) ने विपक्षी दलों के महागठबंधन को करारी शिकस्त दी है। राजग की प्रचण्ड जीत ने यह जता दिया है कि प्रदेशवासियों ने उनके संकल्प पत्र और दावों पर भरोसा किया है। ऐसे में महागठबंधन को चुनाव मैदान में धूल चटाने के बाद उसके सामने ‘संकल्प-पत्र’ को जमीन पर उतारने का महाचैलेंज भी होग।

 

राजग ने अपने संकल्प पत्र में किसानों को हर महीने 3 हजार रुपये, 7 एक्सप्रेस वे, मुफ्त बिजली, इलाज, पक्का मकान और कर्पूरी ठाकुर सम्मान निधि सहित 25 वादे किए हैं।संकल्प पत्र में रोजगार सर्जन, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और किसानों को वित्‍तीय सहायता उपलब्‍ध कराने पर बल दिया गया। बिहार के एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराने और एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का वादा किया गया है। संकल्‍प पत्र में कृषि संबंधी बुनियादी ढांचे पर एक लाख करोड़ रूपये निवेश करने की बात भी कही गई है।

 

राजग ने 7 एक्‍सप्रेस वे के अलावा 3600 किलोमीटर रेलवे लाइन के आधुनिकीकरण का भी वायदा किया है। राज्‍य में उद्योगों के विकास के लिए एक लाख करोड़ रूपये निवेश करने की भी घोषणा की गई है। राज्‍य के प्रत्‍येक जिले में आधुनिक विनिर्माण इकाइयां और दस नए औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएंगे। राज्‍य में गरीबों के कल्‍याण के लिए 125 यूनिट बिजली निशुल्‍क उपलब्‍ध कराने और पांच लाख रूपये तक की किफायती स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा का भी वायदा किया गया है। राजग के संकल्प पत्र में ‘केजी से पीजी’ तक मुफ्त एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, मिड-डे-मील के साथ पौष्टिक नाश्ता व स्कूलों में आधुनिक स्किल लैब की सुविधा देने का वादा किया गया है।

 

आर्थिक विश्लेषक प्रो. विवेक निगम की मानें, तो संकल्प पत्र में किये गये वादों और योजनाओं के लिए भारी भरकम बजट की जरूरत है। चूंकि बिहार में शराबबंदी के चलते राजस्व का एक बड़ा स्त्रोत बंद है। ऐसे में वित्तीय दबाव को देखते हुए सरकार को नए स्रोतों से धन जुटाना होगा। राज्य सरकार 2015-16 में शराब की बिक्री से सालाना 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा कमा रही थी।

 

सूत्रों की मानें, तो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने के साथ ही राज्य के वित्त विभाग में बजट और राजकोष के गणित की गुणाभाग की चर्चा तेज है। क्योंकि सरकार गठन के बाद राजग की सरकार के सामने ‘संकल्प-पत्र’ में किए गए वादों को पूरा करने के लिए संसाधन भी जुटाने होंगे।

 

दरअसल, संकल्प पत्र में किए वादों के मुताबिक, राज्य के 74 लाख किसानों, अनसूचित जाति के छात्रों के साथ-साथ अन्य लोगों को धनराशि देने होगी। इसके अलावा दो ग्रीनफील्ड शहरों (नया पटना और सीतापुरम्) के निर्माण और कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए पूंजीगत व्यय भी करना होगा। हर युवा के सुनहरे भविष्य एवं एक करोड़ सरकारी नौकरी व रोजगार के लिए भी बड़े पूंजी की जरूरत होगी।

 

पिछले साल सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 9.2 प्रतिशत के अनुमानित राजकोषीय घाटे और इस साल राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के 5.3 प्रतिशत के बजट वाले राज्य में, नीतीश कुमार की ओर से 2016 में लगाई गई शराबबंदी की समीक्षा की चर्चा हो रही है। राजग के लिए शराबबंदी वापस लेना या इस पर से प्रतिबंध हटाना आसान नहीं होगा, क्योंकि शराबबंदी समर्थक महिला मतदाताओं में इसकी अच्छी पकड़ है, लेकिन राजस्व की अपार संभावना है।

 

आर्थिक विश्लेषक प्रो.राकेश तिवारी का कहना है कि ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत वर्तमान में नामांकित 1.5 करोड़ महिलाओं के लिए 10-10 हजार रुपये की चुनाव-पूर्व घोषणा पर 15,000 (पंद्रह हजार) करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं, लगभग 4,000 (चार हजार) करोड़ रुपये 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली के लिए दिए जाने की संभावना है। इसके अलावा, 1.1 करोड़ बुजुर्गों, विधवाओं और विकलांगों के लिए मासिक पेंशन बढ़ाकर 1,100 रुपये करने से लगभग 8,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। कॉलेजों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को 2,000 रुपये की सहायता और मछुआरों को सहायता देने का वादा भी किया गया है।

 

प्रो.राकेश तिवारी ने बताया कि प्रदेश में पहले से लागू योजनाओं के कारण अतिरिक्त 28,000 करोड़ रुपये के खर्च से आगे निकल जाएगा। नतीजतन, बिहार के लिए इस वर्ष राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत के बजटीय राजकोषीय घाटे के साथ वित्तीय वर्ष समाप्त करना संभव नहीं है, जब तक कि वह अन्य व्ययों में कटौती न कर सके या नए स्रोतों से संसाधन न जुटा सके।———–

 

हिन्दुस्थान समाचार/डॉ. आशीष वशिष्ठ

 

पटना, 15 नवम्बर(हि.स.)। बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) ने विपक्षी दलों के महागठबंधन को करारी शिकस्त दी है। राजग की प्रचण्ड जीत ने यह जता दिया है कि प्रदेशवासियों ने उनके संकल्प पत्र और दावों पर भरोसा किया है। ऐसे में महागठबंधन को चुनाव मैदान में धूल चटाने के बाद उसके सामने ‘संकल्प-पत्र’ को जमीन पर उतारने का महाचैलेंज भी होग।

 

राजग ने अपने संकल्प पत्र में किसानों को हर महीने 3 हजार रुपये, 7 एक्सप्रेस वे, मुफ्त बिजली, इलाज, पक्का मकान और कर्पूरी ठाकुर सम्मान निधि सहित 25 वादे किए हैं।संकल्प पत्र में रोजगार सर्जन, कौशल विकास, महिला सशक्तिकरण और किसानों को वित्‍तीय सहायता उपलब्‍ध कराने पर बल दिया गया। बिहार के एक करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्‍ध कराने और एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का वादा किया गया है। संकल्‍प पत्र में कृषि संबंधी बुनियादी ढांचे पर एक लाख करोड़ रूपये निवेश करने की बात भी कही गई है।

 

राजग ने 7 एक्‍सप्रेस वे के अलावा 3600 किलोमीटर रेलवे लाइन के आधुनिकीकरण का भी वायदा किया है। राज्‍य में उद्योगों के विकास के लिए एक लाख करोड़ रूपये निवेश करने की भी घोषणा की गई है। राज्‍य के प्रत्‍येक जिले में आधुनिक विनिर्माण इकाइयां और दस नए औद्योगिक पार्क विकसित किए जाएंगे। राज्‍य में गरीबों के कल्‍याण के लिए 125 यूनिट बिजली निशुल्‍क उपलब्‍ध कराने और पांच लाख रूपये तक की किफायती स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा का भी वायदा किया गया है।

 

राजग के संकल्प पत्र में ‘केजी से पीजी’ तक मुफ्त एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, मिड-डे-मील के साथ पौष्टिक नाश्ता व स्कूलों में आधुनिक स्किल लैब की सुविधा देने का वादा किया गया है।

 

आर्थिक विश्लेषक प्रो. विवेक निगम की मानें, तो संकल्प पत्र में किये गये वादों और योजनाओं के लिए भारी भरकम बजट की जरूरत है। चूंकि बिहार में शराबबंदी के चलते राजस्व का एक बड़ा स्त्रोत बंद है। ऐसे में वित्तीय दबाव को देखते हुए सरकार को नए स्रोतों से धन जुटाना होगा। राज्य सरकार 2015-16 में शराब की बिक्री से सालाना 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा कमा रही थी।

 

सूत्रों की मानें, तो बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने के साथ ही राज्य के वित्त विभाग में बजट और राजकोष के गणित की गुणाभाग की चर्चा तेज है। क्योंकि सरकार गठन के बाद राजग की सरकार के सामने ‘संकल्प-पत्र’ में किए गए वादों को पूरा करने के लिए संसाधन भी जुटाने होंगे।

 

दरअसल, संकल्प पत्र में किए वादों के मुताबिक, राज्य के 74 लाख किसानों, अनसूचित जाति के छात्रों के साथ-साथ अन्य लोगों को धनराशि देने होगी। इसके अलावा दो ग्रीनफील्ड शहरों (नया पटना और सीतापुरम्) के निर्माण और कृषि बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए पूंजीगत व्यय भी करना होगा। हर युवा के सुनहरे भविष्य एवं एक करोड़ सरकारी नौकरी व रोजगार के लिए भी बड़े पूंजी की जरूरत होगी।

 

पिछले साल सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 9.2 प्रतिशत के अनुमानित राजकोषीय घाटे और इस साल राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के 5.3 प्रतिशत के बजट वाले राज्य में, नीतीश कुमार की ओर से 2016 में लगाई गई शराबबंदी की समीक्षा की चर्चा हो रही है। राजग के लिए शराबबंदी वापस लेना या इस पर से प्रतिबंध हटाना आसान नहीं होगा, क्योंकि शराबबंदी समर्थक महिला मतदाताओं में इसकी अच्छी पकड़ है, लेकिन राजस्व की अपार संभावना है।

 

आर्थिक विश्लेषक प्रो.राकेश तिवारी का कहना है कि ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत वर्तमान में नामांकित 1.5 करोड़ महिलाओं के लिए 10-10 हजार रुपये की चुनाव-पूर्व घोषणा पर 15,000 (पंद्रह हजार) करोड़ रुपये खर्च होंगे। वहीं, लगभग 4,000 (चार हजार) करोड़ रुपये 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली के लिए दिए जाने की संभावना है। इसके अलावा, 1.1 करोड़ बुजुर्गों, विधवाओं और विकलांगों के लिए मासिक पेंशन बढ़ाकर 1,100 रुपये करने से लगभग 8,500 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। कॉलेजों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को 2,000 रुपये की सहायता और मछुआरों को सहायता देने का वादा भी किया गया है।

 

प्रो.राकेश तिवारी ने बताया कि प्रदेश में पहले से लागू योजनाओं के कारण अतिरिक्त 28,000 करोड़ रुपये के खर्च से आगे निकल जाएगा। नतीजतन, बिहार के लिए इस वर्ष राज्य सकल घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत के बजटीय राजकोषीय घाटे के साथ वित्तीय वर्ष समाप्त करना संभव नहीं है, जब तक कि वह अन्य व्ययों में कटौती न कर सके या नए स्रोतों से संसाधन न जुटा सके।

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