दिल्ली के प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह पंजाब-हरियाणा की पराली नहीं, बल्कि स्थानीय समस्याएं: भूपेंद्र यादव

नई दिल्ली : केंद्रीय पर्यावरण और जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में बताया कि दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना नहीं बल्कि वाहनों का धुआं, औद्योगिक प्रदूषण, निर्माण और तोड़फोड़ गतिविधियों की धूल और बायोमास जैसे स्थानीय स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं में पंजाब और हरियाणा में साल 2022 की तुलना में 2025 में लगभग 90 प्रतिशत की कमी आई है और इसके साथ ही दिल्ली की वायु गुणवत्ता में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

 

भूपेंद्र यादव ने लोकसभा में पूछे गए एक लिखित प्रश्न के जवाब में बताया कि दिल्ली में 200 से कम एक्यूआई वाले दिन साल 2016 के 110 से बढ़कर 2025 में 200 हो गए हैं। जबकि, बहुत खराब और गंभीर श्रेणी वाले दिन साल 2024 के 71 से घटकर 2025 में 50 रह गए हैं। पराली जलाना भले सर्दियों में प्रदूषण को प्रभावित करता है लेकिन यह मुख्य कारण नहीं है और प्रदूषण का बड़ा हिस्सा दिल्ली एनसीआर के भीतर के कारणों से आता है।

 

उन्होंने बताया कि सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए 2018-19 से 2025- 26 तक पंजाब और हरियाणा को कुल 3120 करोड़ रुपये की सहायता दी है। दोनों राज्यों में 2 लाख 60 हजार से अधिक सीआरएम मशीनें किसानों और सीएचसी को उपलब्ध कराई गई हैं। छोटे किसानों के लिए मशीनों की निशुल्क उपलब्धता की योजना बनाने और ईंट भट्टों तथा थर्मल पावर प्लांटों में धान के भूसे से बने बायोमास पेलेट और ब्रिकेट का उपयोग अनिवार्य करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं। एनसीआर और आसपास के इलाकों में थर्मल पावर प्लांटों को कोयले के साथ कम से कम 5 से 10 प्रतिशत बायोमास को फायरिंग का पालन करना होगा।

 

भूपेंद्र यादव की ओर से दिए गए जवाब में बताया गया कि पराली पर नियंत्रण के लिए पंजाब और हरियाणा के हॉटस्पॉट जिलों में सीपीसीबी की 31 फ्लाइंग स्क्वाड टीमें तैनात की गई हैं, जो रोजाना निगरानी कर रिपोर्ट देती हैं। केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर कई उच्च स्तरीय बैठकें भी की हैं जिनमे राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी और जिला प्रशासन शामिल थे और उन्हें मशीनों के प्रभावी उपयोग और निगरानी को कड़ा करने के निर्देश दिए गए।

 

जवाब में बताया गया कि पंजाब में अक्टूबर में जहां 1547 परांली जलाने की घटनाएं हुई वही नवंबर के पहले 29 दिन में यह संख्या बढ़कर 3470 हो गई जो अक्टूबर की तुलना में लगभग 124 प्रतिशत अधिक है। फिरोजपुर में अक्टूबर के 166 मामलों के मुकाबले नवंबर में 381 मामले दर्ज हुए। संगरूर में 279 से 414 तरन तारन मे 363 से 322 बठिंडा में 91 से 277 मानसा में 41 से 265 श्री मुक्तसर साहिब में 33 से 343 और मोगा में 32 से 300 मामले दर्ज किए गए। सबसे कम घटनाएं पठानकोट मोहाली एसबीएस नगर और होशियारपुर में हुईं।

 

—————

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com