नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को लोकसभा में स्पष्ट किया कि चार्ल्स डार्विन के विकासवाद के सिद्धांत को स्कूल के विज्ञान पाठ्यक्रम से हटाया नहीं गया है। उन्होंने कहा कि विज्ञान में शिक्षण-अधिगम की प्रक्रिया मध्य कक्षाओं से लेकर माध्यमिक स्तर तक एक सतत क्रम है और डार्विन का सिद्धांत स्कूल साइंस करिकुलम का हिस्सा बना हुआ है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने डीएमके सांसद डॉ. कलानिधि वीरास्वामी द्वारा पूछे गए तारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि कोविड-19 और उसके बाद की अवधि में पाठ्यक्रम के बोझ को कम करने के संबंध में विभिन्न पक्षों- जैसे संसदीय स्थायी समिति, सीबीएसई, कॉलेजों व विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों आदि ने सुझाव दिए थे। इन बहु-स्तरीय सुझावों के आधार पर एनसीईआरटी ने छात्रों व शिक्षकों के हित में पाठ्य पुस्तकों का युक्तिकरण किया।
उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया व्यापक विशेषज्ञ परामर्श के बाद अपनाई गई थी और इसका उद्देश्य छात्रों पर अतिरिक्त भार घटाना था। शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार वैज्ञानिक समुदाय, शिक्षाविदों और नागरिक समाज द्वारा उठाई गई चिंताओं से अवगत है।
वीरास्वामी ने पूछा था कि क्या सरकार ने पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया के भाग के रूप में एनसीईआरटी के 10वीं कक्षा के विज्ञान पाठ्यक्रम से चार्ल्स डार्विन द्वारा प्रतिपादित विकासवाद के सिद्धांत को हटा दिया गया है।
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