नई दिल्ली : महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि बाल विवाह केवल कानून का उल्लंघन नहीं बल्कि एक बेटी से उसका बचपन छीन लेता है। प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में नया भारत बाल विवाह मुक्त भारत केवल एक संकल्प नहीं, यह हमारी राष्ट्रीय विरासत है। गुरुवार को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के एक साल पूरा होने के मौके पर विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में वे बोल रही थीं। इस मौके पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी और राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने महिला एवं बाल विकास विभाग के 100 दिवसीय गहन जागरूकता अभियान की शुरुआत की। अपने संबोधन में अन्नापूर्णा देवी ने कहा कि छत्तीसगढ़ का सूरजपुर जिला बाल विवाह मुक्त बन गया है। 75 ग्राम पंचायतों में दो साल में एक भी बाल विवाह नहीं हुआ है।इससे भरोसा मिलता है कि अगर एक जिला कर सकता है तो पूरा भारत भी कर सकता है।आज भारत बदल रहा है और बेटियां उससे भी तेजी से बदल रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में शुरू हुआ बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान देश की मानसिकता बदलने का सबसे बड़ा माध्यम साबित हुआ है।जन्म के समय जेंडर अनुपात में सुधार हुआ है और स्कूली शिक्षा में लड़कियों की भागीदारी बढ़ी है।उन्होंने कहा कि सरकार ने वंचित वर्ग के छात्रों को प्रीमैट्रिक औऱ पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप दी जिससे लाखों बेटियों की पढ़ाई बिना रुके जारी है।इस वर्ष 1,827 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
केन्द्रीय मंत्री ने 2024 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी स्पष्ट निर्देश का हवाले देते हुए कहा कि बाल विवाह रोकने में सरकारी एजेंसियों, सिविल सोसाइटी, परिवारों, युवाओं और धार्मिक-सामुदायिक नेताओं की एकजुटता जरुरी है। यह सिर्फ महिलाओं पर केन्द्रित संवाद न हो बल्कि पुरुषों को भी इस अभियान का अहम हिस्सा बनाना होगा। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि 2029 तक बाल विवाह की दर 5 प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य को सभी को मिलकर पूरा करना है। यह हमारी पीढ़ियों का भविष्य है। इस मौके पर बाल अधिकार कार्यकर्ता व जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन (जेआरसी) के संस्थापक भुवन ऋभु ने बच्चों के खिलाफ अपराधों के खात्मे के लिए सभी हितधारकों से साथ आने व इस राष्ट्रीय अभियान में शामिल होने की अपील की।
ऋभु ने कहा, “बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने में सामुदायिक समूहों, धार्मिक नेताओं, पंचायतों व नागरिकों की सबसे मुख्य भूमिका है। सरकार का बाल विवाह मुक्त भारत अभियान पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है। यह बच्चों के खिलाफ होने वाले इस अपराध के खात्मे के हमारे सामूहिक प्रयासों व सामूहिक प्रतिबद्धता का भी प्रतीक है।”
उन्होंने कहा, “पिछले साल एक लाख से भी ज्यादा बाल विवाह रोके गए जो यह दिखाता है कि जब समाज एकजुट होता है तो बदलाव अपरिहार्य है। हमने वादा किया है कि अगले एक साल में हम एक लाख गांवों को बाल विवाह मुक्त गांव बनाएंगे ताकि हर बच्चे को जीवन में आगे बढ़ने का अवसर व एक सुरक्षित भविष्य मिले। विकसित भारत के व्यापक लक्ष्य की प्राप्ति में इन प्रयासों की गति काफी अहमियत रखती है। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन बाल अधिकारों की सुरक्षा के लिए देश के 450 जिलों में कानून लागू करने वाली एजेंसियों के साथ करीबी सहयोग से काम कर रहे 250 से भी ज्यादा नागरिक समाज संगठनों का नेटवर्क है।”
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 27 नवंबर 2024 को बाल विवाह मुक्त भारत अभियान की शुरुआत की थी। —————
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