संसद ने तंबाकू पर उत्पाद शुल्क लगाने के लिए केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025 को दी मंजूरी

नई दिल्‍ली : संसद ने गुरुवार को केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025 को पारित कर दिया, जिसे राज्यसभा ने मंजूरी देकर लोकसभा को वापस भेज दिया। लोकसभा ने बुधवार को ही केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025 पास कर दिया था। साथ ही राज्‍यसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित हो गई।

 

केंद्रीय वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में आज केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए कानून के अलग-अलग पहलुओं पर बात की और अलग-अलग सदस्यों के सवालों के जवाब दिए। केंद्रीय वित्त राज्‍य मंत्री पंकज चौधरी ने इससे पहले केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025 को विचार के लिए राज्‍यसभा में पेश किया था।

 

निर्मला सीतारमण ने राज्‍यसभा में केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल को इस सरकार ने कभी नजरअंदाज नहीं किया है। असल में यह टीएमसी सरकार है, जो पश्चिम बंगाल के विकास को नुकसान पहुंचा रही है।” “पश्चिम बंगाल ने जनवरी 2019 में आयुषमान भारत स्कीम से नाम वापस ले लिया। क्या यह बंगाल के लिए अच्छा है? इंडस्ट्री पश्चिम बंगाल छोड़ रही हैं।”

 

वित्‍त मंत्री ने विधयेक पर चर्चा के दौरान सदन को यह भी बताया कि किसानों को तंबाकू छोड़ने और दूसरी कैश क्रॉप्स उगाने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्‍होंने कहा कि जब जीएसटी लागू हुआ, तो तंबाकू और तंबाकू से जुड़े उत्‍पाद पर टैक्स, सेस के साथ भी हर साल डब्‍यूएचओ के तय बेंचमार्क तक नहीं पहुंच पाया, जिसका नतीजा है तंबाकू उत्पादों की सामर्थ्य सूचकांक ऊंचा बना हुआ है, जिससे पब्लिक हेल्थ के लक्ष्य कमजोर हो रहे हैं।

 

सीतारमण ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि “49 लाख से ज्यादा रजिस्टर्ड बीड़ी कामगार हैं। उन्‍होंने कहा, “किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे तंबाकू को छोड़ कर दूसरी नगदी फसलें उगाएं।” “आंध्र, बिहार, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी और पश्चिम बंगाल में ऐसा किया जा रहा है। इन राज्यों में 1 लाख एकड़ से ज्यादा भूमि पर तंबाकू उगाना छोड़ कर दूसरी फसलें उगाई जा रही हैं।” श्रम मंत्रालय उनके कल्याण के लिए योजनाएं चला रहा है। उनके लिए अस्पताल और दवाखाने चलाए जा रहे हैं।”

 

उन्‍होंने कहा क‍ि जब 2017 में वस्‍तु एवं सेवा कर जीएसटी लाया गया था, तो यह तय हुआ था कि अगर राज्यों का रेवेन्यू एक तय लेवल से नीचे चला जाता है, तो उन्हें मुआवजा दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि तब केंद्र सरकार ने कहा था कि सिर्फ़ टोकन के तौर पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क के तहत उन चीजो के लिए बहुत कम रकम इकट्ठा की जाएगी और पूरी रकम जीएसटी मुआवज़े में चली जाएगी। क्योंकि ये चीजें 28 फीसदी स्लैब के तहत थीं, इसलिए इसके अलावा, मुआवजा सेस भी इकट्ठा किया गया, जिससे राज्यों की इनकम में बढ़ोतरी हो सके।

 

ये विधेयक केंद्रीय उत्पाद शुल्क अधिनियम, 1944 में बदलाव के लिए लाया गया है। यह एक्ट भारत में बने या बनाए गए सामान पर ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क’ को लगाने और वसूलने का प्रावधान करता है। इस विधेयक को लाने का मकसद तंबाकू और तंबाकू प्रोडक्ट्स पर ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क’ के रेट को बदलना है, ताकि इन उत्‍पादों पर टैक्स मौजूदा स्‍तर पर ही रहे। ये विधेयक बिना बने तंबाकू, बने हुए तंबाकू, तंबाकू उत्‍पादों और तंबाकू के सब्स्टीट्यूट पर ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क’ को बढ़ाता है।

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