पूरे साल उतार-चढ़ाव के बावजूद शेयर बाजार में सेंसेक्स और निफ्टी का दिखा दम

नई दिल्ली : साल 2025 भारतीय स्टॉक मार्केट के लिए बड़े उतार-चढ़ाव वाला बना रहा। इस साल बीएसई के सेंसेक्स ने करीब 9 प्रतिशत की उछाल दर्ज की, वहीं एनएसई के निफ्टी 50 ने लगभग 10 प्रतिशत की मजबूती हासिल की। पूरे साल वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और अस्थिरता के बावजूद बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स और निफ्टी की तेजी में घरेलू संस्थागत निवेशकों द्वारा आक्रामक अंदाज में की गई लिवाली का बड़ा हाथ रहा। दूसरी ओर, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली ने पूरे साल घरेलू शेयर बाजार पर दबाव बनाए रखा।

 

बाजार के उतार-चढ़ाव के बीच निफ्टी का मिडकैप इंडेक्स पूरे साल के कारोबार के बाद सिर्फ 4 प्रतिशत की बढ़त के साथ मामूली रिटर्न देने में सफल रहा। दूसरी ओर, स्मॉल कैप सेक्टर के शेयरों पर लगभग पूरे साल बिकवाली का दबाव बना रहा। इस दबाव की वजह से स्मॉलकैप इंडेक्स करीब 9 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद होता हुआ नजर आ रहा है।

 

लार्जकैप स्टॉक्स की बात करें तो निफ्टी 50 में शामिल कई लार्जकैप स्टॉक्स ने जबरदस्त रिटर्न दिया। इनमें बजाज फाइनेंस 50 प्रतिशत से अधिक की बढ़त के साथ सबसे अधिक रिटर्न देने वाली टॉप कंपनियों में शीर्ष स्थान पर रहा। इसके अलावा आयशर मोटर्स, मारुति सुजुकी, श्रीराम फाइनेंस और एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस के शेयरों का रिटर्न भी 44 से 50 प्रतिशत के बीच रहा। मिडकैप स्टॉक्स में भी कुछ कंपनियों ने असाधारण रिटर्न दिया। इनमें एलएंडटी फाइनेंस ने निवेशकों को 121 प्रतिशत का मुनाफा कराया, वहीं आदित्य बिरला कैपिटल भी लगभग 100 प्रतिशत रिटर्न देने में सफल रहा। इनके अलावा एयू स्मॉल फाइनेंस बैंक, मुथूट फाइनेंस और वी-गार्ड इंडस्ट्रीज ने भी अपने निवेशकों को जबरदस्त फायदा दिलाया।

 

सेक्टोरल परफॉर्मेंस की बात करें तो पीएसयू बैंक सेक्टर में लगभग 25 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई। पीएसयू बैंकों में केनरा बैंक और इंडियन बैंक के शेयर में आई जोरदार तेजी ने पूरे सेक्टर के परफॉर्मेंस को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। पीएसयू बैंक सेक्टर की तरह ही ऑटोमोबाइल सेक्टर ने भी वार्षिक आधार पर करीब 21 प्रतिशत की छलांग लगाकर जोरदार प्रदर्शन किया। इसके अलावा प्राइवेट बैंक सेक्टर और मेटल सेक्टर के शेयरों में भी वार्षिक आधार पर तेजी का रुख बना रहा। दूसरी ओर, रियल्टी सेक्टर निवेशकों को सबसे अधिक नुकसान पहुंचाने वाला सेक्टर बन गया। वार्षिक आधार पर निफ्टी के रियल्टी इंडेक्स में लगभग 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इसके अलावा एफएमसीजी, आईटी, एनर्जी और फार्मास्यूटिकल सेक्टर भी गिरावट के साथ कारोबार करते हुए नजर आए।

 

स्टॉक मार्केट में पूंजी प्रवाह यानी कैपिटल फ्लो की अगर बात करें तो विदेशी निवेशक इस साल शुद्ध बिकवाल (सेलर) की भूमिका में बने रहे। इस साल विदेशी संस्थागत निवेशकों ने स्टॉक मार्केट से लगभग 2.8 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी कर ली। विदेशी निवेशकों की इस जोरदार बिकवाली के जवाब में घरेलू संस्थागत निवेशकों ने इस साल आक्रामक अंदाज में जमकर खरीदारी की। घरेलू संस्थागत निवेशक इस साल अभी तक लगभग 7.30 लाख करोड़ रुपये की खरीदारी कर चुके हैं।

 

इस तरह डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इनफ्लो (घरेलू संस्थागत पूंजी प्रवाह) फॉरेन इंस्टीट्यूशनल आउटफ्लो (विदेशी पूंजी बहिर्वाह) की तुलना में काफी अधिक रहा, जिसकी वजह से विदेशी निवेशक बिकवाली का दबाव बनाकर घरेलू शेयर बाजार को अधिक नुकसान नहीं पहुंचा सके। घरेलू संस्थागत निवेशकों की इस जबरदस्त भागीदारी ने घरेलू शेयर बाजार में उनके बढ़ते प्रभाव और विदेशी निवेशकों के पीछे हटने पर आगे बढ़कर मोर्चा संभालने की उनकी इच्छा शक्ति को उजागर किया।

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