सिंगापुर की बैंकिंग ग्रुप DBS की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वित्तीय बाजार को अगले महीने पेश होने वाले बजट से उम्मीद है कि पारदर्शिता में सुधार होगा। गुरुवार को DBS द्वारा जारी “India Budget Preview: Loosening the purse” रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि राजकोषीय घाटे में किसी तरह की कमी निकट भविष्य में निगेटिव क्रेडिट प्रतिक्रिया जैसे परिणाम दे सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020 के शुरुआती 8 महीने में कमजोर राजस्व की वजह से राजकोषीय घाटा लक्ष्य से 15 प्रतिशत ऊपर था। 
कुल मिलाकर देखें तो खर्च बजट के रुझानों के अनुसार ही रहा है। इसमें कहा गया है कि फिस्कल इयर-टु-डेट (FYTD) डेफिसिट का बढ़ना पिछले रुझानों से अलग नहीं है।
DBS की अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा, ‘ऐसा इसलिए क्योंकि साल के तीन-चौथाई हिस्से में स्थिति बिगड़ जाती है जो अंतिम तिमाही में कुछ सुधरती है क्योंकि खर्च कम किया जाता है और सामयिक राजस्व का प्रवाह बढ़ना शुरू हो जाता है।’
सकल कर राजस्व में सालाना आधार पर FYTD (नवंबर तक) में 0.8 फीसद की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है जो पिछले दो महीने के 1.2 फीसद और 1.5 फीसद की तुलना में कम है।
गैर-कर राजस्व से उम्मीदें अधिक हैं कि वही सहारा होगा। राव के अनुसार, अभी तक इनमें भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा दिया जाने वाला लाभांश, अदालत के आदेश के बाद टेलीकॉम कंपनियों द्वारा आंशिक भुगतान और विनिवेश से होने वाली प्राप्तियां शामिल हैं।
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