संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र में भारत ने एक बार फिर आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर निशाना साधा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन के प्रथम सचिव / कानूनी सलाहकार येदला उमाशंकर ने कहा कि भारत सीमा पर होने वाले आतंकवाद से पीड़ित रहा है और यह अभी भी जारी है। उन्होंने कहा कि हमने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध और आतंकवाद के सबसे बुरे रूप का अनुभव किया है। संयुक्त राष्ट्र को आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) जैसी एजेंसियों के साथ समन्वय करने की जरूरत है।
‘अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद को दूर करने के उपाय’ पर संबोधित करते हुए येदला उमाशंकर ने कहा कि हमारा देश आतंकवाद के हर स्वरूप की कड़ी निंदा करता है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में न केवल आतंकवादियों को खत्म करने और आतंकवादी संगठनों / नेटवर्क को तबाह करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, बल्कि आतंकवाद को प्रोत्साहित करने, समर्थन और फंडिंग करने वालों की जवाबदेही तय करनी होगी। उन्होंने आगे जोर देकर कहा कि आतंकवादियों और उनके समर्थकों के बीच संपर्क को उजागर और नष्ट किया जाना चाहिए।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र से आतंकवाद का मुकाबला करने, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में अधिक से अधिक भूमिका निभाने के लिए अपनी ऊर्जा को पुनर्जीवित करने का आग्रह किया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र और उसके सदस्यों से अपील करते हुए कहा कि वे आतंकवाद के पीड़ितों के अधिकारों पर विचार करें और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत उनके प्रति दायित्व का पालन करें।
उन्होंने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद से होने वाला खतरा बहुत बड़ा है। हमें सदस्य राज्यों के बीच जवाबदेही और न्याय सुनिश्चित करने, संवाद बढ़ाने और समझ बढ़ाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय तंत्र की आवश्यकता है, जो आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों, उनके वित्तीय प्रवाह और उनके समर्थन नेटवर्क को नष्ट करने के लिए प्रवर्तन प्रयासों को बढ़ा सकता है।