केंद्र और राज्य सरकारों को पेट्रोल और डीजल पर टैक्स में कटौती करनी चाहिए : RBI गवर्नर शक्तिकांत दास

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को एक बार फिर यह बात दोहराई है कि केंद्र और राज्य सरकारों को पेट्रोल और डीजल पर टैक्स में कटौती करनी चाहिए. बॉम्बे चैम्बर ऑफ कॉमर्स के 185वें स्थापना दिवस को संबोध‍ित करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर ने यह बात कही.

उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकारों को मिलकर टैक्सेज में कटौती के लिए कदम उठाने चाहिए. हालांकि उन्होंने यह स्वीकार किया कि कोरोना संकट में राहत कार्यों की वजह से केंद्र और राज्यों के खजाने पर पूरा दबाव है.

शक्तिकांत दास ने कहा, ‘ईंधन की ऊंची कीमतों का न केवल कार और बाइक यूजर्स पर असर पड़ रहा है, बल्क‍िमैन्युफैक्चरिंग, ट्रांसपोर्टेशन और अन्य कई चीजों पर भी. इनकी वजह से कई चीजों की लागत पर असर पड़ता है.’

गौरतलब है कि इसके पहले रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में भी शक्तिकांत दास ने यह बात कही थी. हाल में जारी इस बैठक के मिनट्स यह खुलासा हुआ था.

इस बैठक में शक्तिकांत दास ने केंद्र और राज्य सरकारों से अपील की थी कि वो इनडायरेक्ट टैक्सेज में कटौती करें ताकि पेट्रोल-डीजल की कीमतें घटाईं जा सकें.

केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा भारी टैक्स लगाने की वजह से ही पेट्रोल और डीजल के दाम देश में रिकॉर्ड ऊंचाई पर चल रहे हैं. देश के कई शहरों में पेट्रोल का रेट 100 रुपये लीटर को पार कर चुका है. दिल्ली में पेट्रोल करीब 91 रुपये लीटर है जिसमें करीब 53 रुपये तो टैक्स का ही लग जाता है.  

पेट्रोल-डीजल के रेट लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस पर राहत देने के लिए चार राज्यों-राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय की सरकारें वैट या अन्य टैक्स कम कर चुकी हैं, लेकिन अभी केंद्र सरकार ने ऐसा कोई मन नहीं बनाया है. पेट्रोलियम पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाने के मामले में भारत दुनिया के टॉप 5 देशों में से है.

अभी पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बहुत ज्यादा लगता है. जैसे दिल्ली में 16 फरवरी 2021 के हिसाब से पेट्रोल की बेस कीमत 31.82 रुपये प्रति लीटर ही थी. लेकिन इस पर केंद्र सरकार हर लीटर पेट्रोल पर 32.90 रुपये का एक्साइज टैक्स ( उत्पाद शुल्क) और दिल्ली सरकार 20.61 रुपये का वैट जोड़ती है. अंत में एक लीटर पेट्रोल के लिए आम आदमी को दिल्ली में 89.29 रुपये चुकाने पड़े और इसमें करीब 53 रुपये का टैक्स ही था.

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