विश्व में बढ़ते खतरे और तकनीकी चुनौतियों को देखते हुए ब्रिटेन ने भी परमाणु हथियारों का जखीरा बढ़ाने का फैसला किया है। हालांकि ब्रिटेन ने चीन का नाम नहीं लिया है, लेकिन उसकी सबसे बड़ी चिंता चीन ही है। हालात और परिस्थितियों को देखते हुए हथियारों के मामले में विश्व के देशों की नीतियों में परिवर्तन हो रहा है। ब्रिटेन की ही पहले हथियारों को सीमित करने की नीति थी। इस नीति के तहत ही 2010 में ब्रिटेन ने अपने परमाणु हथियारों की संख्या को 180 पर निर्धारित कर दिया था। ब्रिटेन की इस नीति से दुनिया में शस्त्रों की होड़ मे तेजी आएगी।
परमाणु हथियारों की सीमा 40 फीसद और बढ़ाने का निर्णय
2020 के मध्य में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉनसन ने अपनी इस नीति को तोड़ दिया और परमाणु हथियारों की सीमा को 260 तक कर दिया। अब इस सीमा को फिर चालीस फीसद और बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। ब्रिटेन ने कहा है कि सुरक्षा समीक्षा में उसे जोखिम बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। कुछ देशों के प्रायोजित परमाणु आंतकवाद से निबटने के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि अपनी और सहयोगियों की सुरक्षा को मजबूत किया जाए। ब्रिटेन ने कहा कि कुछ देश तेजी से परमाणु हथियार बढ़ाने और उसमें विविधता लाने में लगे हुए हैं।
होमलैंड सिक्योरिटी के लिए योजना तैयार की
ब्रिटेन ने होमलैंड सिक्योरिटी के लिए नया मुख्यालय बनाने की योजना तैयार की है। वह मुस्लिम आंतकवाद, रासायनिक और जैविक हमलों की रोकथाम के लिए भी अपने संसाधनों को बढ़ा रहा है। यह समस्या उसके लिए ब्रेक्जिट के बाद ज्यादा सामने आई है। ब्रिटेन का मानना है कि अगले दस साल में आतंकवाद बड़ी चुनौती के रूप में सामने आने वाला है। उसी के मुताबिक तैयारियों को अंजाम दिया जा रहा है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र चीन के खिलाफ अमेरिका का साथ देगा ब्रिटेन
चीन के वैश्विक प्रभुत्व को कम कर ब्रिटेन हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता है। ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन में जॉनसन सरकार ने अपनी विदेश नीति की प्राथमिकताओं में बड़ा बदलाव किया है। ब्रिटेन के विदेश मंत्रालय ने विदेश नीति की प्राथमिकताओं से जुड़ा एक दस्तावेज तैयार किया है, जिसमें इस कदम पर जोर दिया गया है। दस्तावेज में अमेरिका के साथ मजबूत संबंधों की हिमायत की गई है।