जानिए WHO ने क्‍यों कहा- इस प्रकार से विश्‍व को कोरोना संकट से उभरने में लगेगा समय

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के महानिदेशक डॉक्‍टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा है कि यदि गरीब देशों को कोरोना वैक्‍सीन समय पर और सही मात्रा में नहीं मिलेगी तो इस जानलेवा महामारी को खत्‍म करने में न सिर्फ दिक्‍कत आएगी बल्कि इसमें अधिक देरी भी होगी। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य दिवस से दो दिन पहले किए गए एक ट्वीट में उन्‍होंने वैक्‍सीन की हर देश में जरूरत और इसकी उपलब्‍धता पर जोर दिया है।

उन्‍होंने कहा है कि मौजूदा समय में हमें स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर खतरों को समझना होगा।

उन्‍होंने ये भी कहा है कि वैक्‍सीन की आपूर्ति और इसके डिस्‍ट्रीब्‍यूशन को लेकर काफी सारी समस्‍याएं और चुनौतियां सामने आ रही हैं। इसमें एक बड़ी वजह सीमाओं पर लगी रोक भी है। मौजूदा समय में महामारी को देखते हुए वैक्‍सीन की आपूर्ति हर देश के लिए राष्‍ट्रहित है। आज जबकि सारा विश्‍व एक दूसरे से जुड़ा है तो मध्‍यम और निम्‍न आय वाले देश वैक्‍सीन की आपूर्ति से काफी दूर हैं। यदि ऐसा ही रहा तो विश्‍व को इस समस्‍या से उबरने में बड़ा समय लग जाएगा।

एक अन्‍य ट्वीट में उन्‍होंने कहा है कि उन्‍होंने पिछले सप्‍ताह अजरबेजान के राष्‍ट्रपति इहम एलियेव को कोविड-19 वैक्‍सीन के लिए वित्‍तीय मदद देने के लिए धन्‍यवाद किया था। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन अजरबेजान को कौवेक्‍स वैक्‍सीन की जल्‍द सप्‍लाई को प्रतिबद्ध है। मुमकिन है कि अगले कुछ दिनों में वहां पर आपूर्ति कर दी जाएगी। उन्‍होंने कहा है कि विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन वैक्‍सीन इक्‍वटी का प्रबल समर्थक है।

आपको बता दें कि डॉक्‍टर घेबरेयसस ने बार-बार इस बात को दोहराया है कि एक तरफ जहां पर कुछ अमीर देश सभी लोगों को वैक्‍सीन देने में लगे हैं वहीं दूसरी तरफ कुछ गरीब देशों को वैक्‍सीन मिल ही नहीं पा रही है। कुछ देशों को वैक्‍सीन 2023 तक मिल सकेगी। उन्‍होंने बार-बार देशों से इस बात की भी अपील की है कि वो कोविड-19 वैक्‍सीन की खुराक को कौवेक्‍स योजना के तहत दान दें। इसके अलावा उन्‍होंने इस योजना को तेजी से लागू करने के लिए देशों से वित्‍तीय मदद की भी गुहार लगाई है।

उनका कहना है कि कोरोना वैक्‍सीन को प्राथमिकता के आधार पर देशों को मिलना चाहिए। उन्‍होंने एक बार फिर दोहराया है कि देशों को कोरोना वैक्‍सीन की अतिरिक्‍त खुराक को दान देना चाहिए। उनके मुताबिक तक करोड़ों खुराक लोगों को दी जा चुकी हैं। इनमें से अधिकतर केवल दस देशों में ही दी गई हैं। उन्‍होंने साफतौर पर कहा कि इस तरह से कोरोना महामारी को जल्‍द रोक पाना मुश्किल होगा।

 

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