
ज्योतिषाचार्य एस.एस. नागपाल, लखनऊ। (सावन) मास में होगें। 22 अगस्त को श्रावणी पूर्णिमा , रक्षाबन्धन पर्व भी है। इस माह में भगवान शिव की पूजा-अराधना की जाती है। सावन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन की शिवरात्रि व्रत 6 अगस्त को पड़ रहा है
पूर्णिमा तिथि का श्रवण नक्षत्र से योग होने से भी इस मास का नाम श्रावण कहलाया है। श्रावण मास व श्रवण नक्षत्र के स्वामी चंद्र, और चंद्र के स्वामी भगवान शिव हैं। सोमवार को महादेव का प्रिय वार माना जाता है और सावन मास उनको अति प्रिय है ।
श्रावण मास में शिव उपासना का विशेष महत्व है। शिव भक्त श्रावण के सभी सोमवार को श्रावण व्रत रख कर शिव उपासना करते है। शिव के साथ गणेश, पार्वती व नन्दी जी की भी पूजा की जाती है। श्रावण में जल, दूध, दही, शहद, घी, चीनी, जनेऊ, चन्दन, रोली, बेलपत्र, भांग-धतूरा आदि से पूजन कर कर्पूर से आरती करने का विधान है।
शिव उपासना के साथ रूद्राभिषेक करने और ‘‘ ऊँ नमः शिवाय’’ मन्त्र का जप करने से रूद्रसुक्त, लघु रूद्री, महारूद्री का पाठ करने से औढरदानी भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते है। शिव पूजा से सभी ग्रहों का दोष निवारण होता है। कुडंली में चंद दोश हेतु- ऊँ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः। के मंत्र जाप से चन्द्रमा ग्रह की शन्ति होती है। शिव का महामृत्युंजय मंत्र जप करने से ग्रह पीड़ा की शान्ति एवं समस्त रोग कश्ट दूर होते है।
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