
काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान को विरोधी गटों ने बड़ा झटका दिया है। स्थानीय विरोधी गुटों ने बाघलान प्रांत में तालिबानी लड़ाकों को खदड़ते हुए एक बार फिर बानू और पोल-ए-हेसर जिलों पर कब्जा कर लिया है। इसके बाद से वे तेजी से डेह सलाह जिले की ओर बढ़ रहे हैं। इस लड़ाई में तालिबान के कई लड़ाके मारे गए हैं और उससे कहीं ज्यादा घायल हुए हैं।
बताया जा रहा है कि तालिबान के शीर्ष नेतृत्व की नजर में आने के लिए कई शीर्ष आतंकी कमांडर काबुल में जम हुए हैं। इस कारण स्थानीय स्तर पर तालिबान की पकड़ कमजोर भी हुई है। इसी का फायदा स्थानीय विद्रोही समूह उठा रहे हैं। अगर विद्रोही गुट ऐसे ही हमले करते रहे तो तालिबान के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पंजशीर में जुट रहे तालिबान विरोधी
पंजशीर अफगानिस्तान का एकमात्र ऐसा प्रांत है, जिस पर तालिबान कभी कब्जा नहीं कर पाया है। पहाड़ियों से घिरे इस प्रांत में इस बार भी तालिबान के खिलाफ विद्रोही गुट की आवाज बुलंद दिखाई दे रही है। अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह, अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद और बल्ख प्रांत के पूर्व गवर्नर अता मुहम्मद नूर विद्रोहियों का नेतृत्व कर रहे हैं। अमरुल्लाह सालेह ने तो खुद को अफगानिस्तान का कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर दिया है।
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