तीनों सेनाओं में बढ़ा महिलाओं का दबदबा, छह साल में तीन गुना इजाफा

नई दिल्ली। भारतीय सेनाओं में लगातार महिला अधिकारियों की संख्या बढ़ रही है। लगभग छह साल में महिलाओं की गिनती लगभग तीन गुना बढ़ गई है, क्योंकि उनके लिए तेजी से रास्ते खोले जा रहे हैं। सेना में 424 महिलाओं को स्थायी कमीशन दिए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पहली बार राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षा में शामिल होने का मौका मिला। सुप्रीम कोर्ट ने नौसेना में भी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन दिए जाने की इजाजत दे दी है। अब 100 साल के इतिहास में पहली बार देहरादून के राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज में भी पांच छात्राओं को प्रवेश दिए जाने का रास्ता साफ हो गया है।

सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों की संख्या 2014-15 में 3,000 के आसपास थी लेकिन वर्तमान में 9,118 महिलाएं सेना, नौसेना और वायु सेना में सेवा दे रही हैं। अगर औसत के हिसाब से देखा जाए तो सेना में अभी भी महिलाओं की संख्या कम है, क्योंकि सेना में 0.56%, वायु सेना में 1.08% और नौसेना में 6.5% महिलाएं हैं। इसलिए महिलाओं को सेनाओं में कैरियर बढ़ाने के अधिक मौके दिए जा रहे हैं। इनमें चिकित्सा विंग को छोड़कर सेना में 6,807, वायु सेना में 1,607 और नौसेना 704 महिला अधिकारी हैं। नौसेना और वायुसेना में महिलाएं विमान उड़ा रही हैं तो सेना ने भी आर्मी एविएशन का कोर्स शुरू करके महिला पायलटों के लिए रास्ते खोल दिए हैं।

सरकार ने सेनाओं में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें उन्हें लड़ाकू विमानों, नौसेना के विमानों को उड़ाने और उन्हें विभिन्न शाखाओं में स्थायी कमीशन देने की अनुमति शामिल है। भारतीय वायुसेना में 10 महिला फाइटर पायलट हैं, जिनमें तीन महिला फाइटर पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट भावना कंठ, अवनी चतुर्वेदी एवं मोहना सिंह एक साथ जून, 2016 में वायु सेना में शामिल हुईं थीं। नौसेना और वायुसेना में महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं तो सेना ने भी आर्मी एविएशन का कोर्स शुरू करके महिला पायलटों के लिए रास्ते खोल दिए हैं। भारतीय सेना में अभी तक महिलाएं सिर्फ ग्राउंड ड्यूटी का हिस्सा थीं लेकिन महिला अधिकारियों को आर्मी एविएशन में भर्ती करने के लिए सेना ने जुलाई, 2021 से कोर्स शुरू किया है। एक साल की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद महिलाएं भी लड़ाकू विमान उड़ा सकेंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 मार्च, 2020 को नौसेना में भी महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन दिए जाने की इजाजत दे दी है। कोर्ट ने फैसले में कहा कि महिलाओं में भी पुरुष अफसरों की तरह समुद्र में रहने की काबिलियत है। नौसेना ने लैंगिक असमानता को दूर करने के मकसद से दो महिला पायलट सब लेफ्टिनेंट कुमुदिनी त्यागी और सब लेफ्टिनेंट रीति सिंह को पहली बार वॉरशिप पर तैनात किया है। हालांकि नौसेना में पहले से महिला अधिकारियों को रैंक के मुताबिक तैनात किया गया है लेकिन पहली बार किसी वॉरशिप पर महिलाओं को तैनात किया गया है। अभी तक नौसेना के विमान उड़ाने में पुरुषों का ही दबदबा रहता था लेकिन पहली बार भारतीय नौसेना ने डोर्नियर विमान पर मैरीटाइम (समुद्री) टोही (एमआर) मिशन के लिए लेफ्टिनेंट दिव्या शर्मा, लेफ्टिनेंट शुभांगी और लेफ्टिनेंट शिवांगी को जिम्मेदारी दी है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पहली बार राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षा में आठ हजार महिलाओं को शामिल होने का मौका मिला है। इससे पहले एनडीए और नेवल एकेडमी की प्रवेश परीक्षा में सिर्फ युवकों को ही दाखिला मिलता रहा है। यह पहली बार है जब 14 नवंबर, 2021 को हुई एनडीए की प्रवेश परीक्षा में शामिल हुईं कुल 8,000 महिलाओं में से 1,002 उम्मीदवारों को कामयाबी मिली है। चिकित्सा परीक्षणों के बाद 20 महिलाओं को अगले साल के एनडीए पाठ्यक्रम के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है। एनडीए अगले साल कुल 400 कैडेट्स को भर्ती करेगा, जिनमें से सेना 10 महिलाओं सहित 208 उम्मीदवारों को लेगी। नौसेना में तीन महिलाओं सहित 42 उम्मीदवारों का प्रवेश होगा जबकि भारतीय वायुसेना 120 उम्मीदवारों को प्रवेश देगी, जिनमें से छह महिलाएं होंगी।

देहरादून का राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (आरआईएमसी) अपने 100 साल के इतिहास में पहली बार इस साल जुलाई में पांच लड़कियों को प्रवेश देगा। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के दरवाजे खोले जाने के बाद आरआईएमसी ने लड़कियों को प्रवेश देने का फैसला किया। अपनी स्थापना के बाद से आरआईएमसी ने केवल लड़कों को प्रशिक्षित किया है। हालांकि, आरआईएमसी ने 1992 में ‘टेस्ट केस’ के रूप में संस्थान में एक संकाय सदस्य की बेटी स्वर्णिमा थपलियाल को प्रवेश दिया था। उसने सेना में सफलतापूर्वक सेवा की और एक मेजर के रूप में सेवानिवृत्त हुई। इस साल पांच सीटों के लिए देश भर से कुल 568 लड़कियों ने प्रवेश परीक्षा दी थी। एक समिति के जरिये पांच छात्राओं का चयन किया गया है। छात्राओं के अनुकूल माहौल बनाने के लिए संस्थान में कई जरूरी बदलाव भी किए गए हैं।

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