अखिलेश की सियासी राह मुश्किल बनाना मायावती का लक्ष्य!

  • मायावती आजमगढ़ में अखिलेश यादव को शिकस्त देना चाहती हैं
  • मायावती ने रामपुर में आजम के प्रत्याशी को समर्थन देने का मन बनाया

पंकज चतुर्वेदी,लखनऊ। मात्र तीन साल पहले अखिलेश यादव के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने वाली बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमों मायावती अब समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव के राजनीतिक सफर को मुश्किल बनाने के अपने अभियान में जुट गई हैं. इसके तहत ही उन्होंने उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ और रामपुर संसदीय सीट पर होने वाले उपचुनावों में रामपुर में उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है. जबकि आजमगढ़ सीट से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया है. रविवार 29 मई को खुद मायावती ने यह ऐलान किया. मायावती के अनुसार रामपुर में अभी संगठन मजबूत नहीं है, इसे ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है, इसलिए बसपा आम चुनाव में ही रामपुर में अपना उम्मदीवार खड़ा करेंगी.

यूपी की रामपुर और आजमगढ़ सीटों के लिए उपचुनाव 23 जून को होंगे. रामपुर की सीट आजम खां तथा आजमगढ़ की सीट अखिलेश यादव के लोकसभा के इस्तीफा देने के बाद से खाली है. अब तक बसपा राज्य में होने वाले उप चुनावों से दूर रहती रही है. परन्तु सपा मुखिया अखिलेश यादव को सियासी सबक सिखाने के लिए मायावती ने अब पार्टी के इस पुराने सिद्धांत को बदलने का फैसला किया है. इसके तहत उन्होंने बसपा के जिलाध्यक्षों को पार्टी मुख्यालय में बुलाकर बैठक की और यूपी की दो संसदीय सीटों में से आजमगढ़ सीट से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को चुनाव लड़ाने का फैसला किया. और रामपुर में पार्टी प्रत्याशी ना उतारने का निर्णय लिया. रामपुर सीट बसपा कभी जीती नहीं है. ऐसे में यह माना जा रहा है मायावती ने अखिलेश यादव से नाराज चल रहे आजम खां के प्रत्याशी को समर्थन देने का मन बनाया है. इसलिए उन्होंने यह फैसला लिया है, ताकि अखिलेश यादव मजबूर होकर आजम खान के प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारें.

अब रही बात मायावती के आजमगढ़ सीट से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को चुनाव लड़ाने की. तो यह जानना भी जरूरी है कि शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली कौन है? गुड्डू जमाली आजमगढ़ में बड़े कारोबारी हैं. वह बसपा के पुराने नेता हैं. वर्ष 2012 और 2017 में बसपा से उन्होंने मुबारकपुर सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. बीते साल बसपा नेताओं से हुई अनबन के बाद उन्होंने 25 नवंबर 2021 को पार्टी से दे दिया था. तब बसपा ने एक बयान में कहा था कि गुड्डू जमाली ने अपने निजी स्वार्थ के चलते पार्टी छोड़ दी है. इसके बाद गुड्डू जमाली ने विधानसभा चुनाव के सपा में आने का प्रयास किया पर बात बनी नहीं. तो उन्होंने बीते विधानसभा चुनावों में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के टिकट पर मुबारकपुर सीट से चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं सके. चुनाव परिणाम आने के बाद गुड्डू जमाली फिर बसपा में लौट गए. आजमगढ़ में भी बसपा कोई बहुत मजबूत ताकत नहीं है. फिर भी मायावती गुड्डू जमाली के जरिए समाजवादी पार्टी के गढ़ में अखिलेश यादव को शिकस्त देना चाहती हैं. अपनी इसी मंशा की पूर्ति के लिए उन्होंने गुड्डू जमाली को पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया. मायावती के इस सियासी फैसले का मुकाबला अखिलेश यादव कैसे करेंगे यह जल्दी ही पता चलेगा.

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