आयोगकर्मियों के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति न मिलने के कारण ए0पी0एस0 भर्ती की सी0बी0आई0 जांच रूकी

गृह विभाग के हस्तक्षेप के बावजूद उ0प्र0 लोक सेवा आयोग अभियोजन स्वीकृति देने से कर रहा इंकार, उ0प्र0 सरकार ने पांच साल पहले 31 जुलाई, 2012 को आयोग की भर्तियों की सी0बी0आई0 से जांच कराने की संस्तुति भेजी थी

उ0प्र0 लोक सेवा आयोग द्वारा अपर निजी सचिव (उ0प्र0 सचिवालय) भर्ती, 2010 की सी0बी0आई0 जांच में प्रारम्भिक रूप से दोषी पाये गये आयोगकर्मियों के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति देने से लगातार इंकार करने के कारण भर्ती की सी0बी0आई0 जांच ठप पड़ गई है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सी0बी0आई0 ने भर्ती की प्रारम्भिक जांच पूरी करने के उपरान्त भर्ती में अनियमिततायें करने वाले आयोग के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक के विरूद्ध उ0प्र0 शासन कोे तथा आयोगकर्मियों के विरूद्ध उ0प्र0 लोक सेवा आयोग को दिसम्बर, 2020 में पत्र लिखकर अभियोजन स्वीकृति देने का अनुरोध किया था। आयोग के पूर्व अध्यक्ष ने अपने कार्यकाल के अंतिम दौर मार्च, 2021 में सी0बी0आई0 को पत्र भेजकर संबंधित आयोगकर्मियों के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति देने से इंकार कर दिया था,जबकि उ0प्र0 शासन ने आयोग के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति प्रदान कर दी थी।

सी0बी0आई0 ने दिनांक 04 अगस्त, 2021 को आयोग के तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक सहित अज्ञात लोगों के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करने के बाद पुन उ0प्र0 लोक सेवा आयोग को पत्र लिखकर भर्ती घोटाले में संलिप्त आयोगकर्मियों के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति देने का अनुरोध किया था, किंतु आयोग ने इस बार भी अभियोजन स्वीकृति देने से इंकार कर दिया। सी0बी0आई0 ने शासन के गृह विभाग को मामले से अवगत कराते हुए अभियोजन स्वीकृति दिलाने का आग्रह किया जिसके बाद शासन ने आयोग से अभियोजन स्वीकृति देने पर पुनः विचार करने को कहा लेकिन इस बार फिर आयोग ने अभियोजन स्वीकृति नहीं दी। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पाण्डेय का कहना है कि उनके द्वारा लिखे गये पत्रों पर केन्द्रीय सतर्कता आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तथा उ0प्र0 राज्य मानवाधिकार आयोग ने सचिव, लोक सेवा आयोग को अभियोजन स्वीकृति देने के तमाम निर्देश दिये हैं, फिर भी आयोग के जिम्मेदार लोग घोटाले में संलिप्त आयोगकर्मियों के विरूद्ध अभियोजन स्वीकृति न देकर उनको परीक्षा संबंधी कार्यों में लगाये हुये हैं। आयोग स्तर पर पिछले डेढ़ साल में तीन बार अभियोजन स्वीकृति अनुरोध रिजेक्ट किये गये हैं। मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने आयोग के पूर्व अध्यक्ष की विचाराधीन एस0एल0पी0 में आयोग को स्पष्ट आदेश दियेे थे कि आयोग द्वारा सी0बी0आई0 को जांच में हर प्रकार से सहयोग किया जायेगा, ऐसी स्थिति में अभियोजन स्वीकृति ना देना मा0 सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की भी अवमानना है। उन्होंने सी0बी0आई0 निदेशक को पत्र लिखकर जांच की अनुमति न देने वाले जिम्मेदार लोगों को भी सी0बी0आई0 जांच के दायरे में लेकर कार्यवाही करने की मांग की है।

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