30 जून तक सभी शेष 91 हजार ग्रामों की तैयार होगी घरौनी

  • सीएम योगी ने स्वामित्व योजना की कार्यवाही में तेजी लाने के दिए निर्देश
  • करीब 35 हजार ग्रामों की अब तक अंतिम रूप से तैयार हो चुकी है घरौनी
  • 25 जून 2022 तक करीब 35 लाख घरौनियों को किया जा चुका था वितरित

लखनऊ, 11 मार्च। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठाने के लिए प्रयासरत है। सरकार की ओर से ऐसे सभी पात्र नागरिकों को उनकी भूमि का पट्टा प्रदान किया जा रहा है। इसके लिए स्वामित्व योजना के माध्यम से ड्रोन सर्वे व अन्य प्रक्रिया के जरिए सत्यापन के बाद लोगों को घरौनी वितरित की जा रही है। अब तक प्रदेश सरकार करीब 35 लाख घरौनिया वितरित कर चुकी है, जबकि सीएम योगी के निर्देश के बाद बाकी बचे ग्रामों के सत्यापन की प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है।

उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के अनुसार 30 जून 2023 तक अवशेष 90900 ग्रामों की भी घरौनियां तैयार किए जाने का लक्ष्य रखा गया गया है। इस लक्ष्य को विभिन्न चरणों मे सत्यापन एवं अन्य प्रक्रिया के साथ पूरा किया जाएगा।

तय की गई समयसीमा

स्वामित्व योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब तक 90842 ग्रामों का ड्रोन सर्वे संपन्न हो चुका है। अंतिम रूप से प्रपत्र-10 (घरौनी) तैयार हुए ग्रामों की संख्या 34801 पहुंच चुकी है। वहीं, अब तक कुल 51,32,192 घरौनियां तैयार की जा चुकी हैं। 25 जून 2022 तक 34,69,879 घरौनियों का वितरण भी किया जा चुका था, जबकि इसके बाद 16,72,313 नई घरोनियां तैयार की गई हैं।

योजना के अंतर्गत अवशेष ग्रामों में घरौनी तैयार करने का कार्य पूर्ण किए जाने हेतु कार्ययोजना की समयसीमा तय कर दी गई है। निर्धारित समयसीमा के अनुसार 15 अप्रैल तक सभी शेष 90900 ग्रामों का सर्वे ऑफ इंडिया से त्रुटिरहित मानचित्र-1 प्राप्त कर लिया जाएगा। वहीं 30 जून तक इन सभी ग्रामों की जनपदों द्वारा प्रपत्र-10 (घरौनी) तैयार हो जाएगी।

90900 ग्रामों का स्वामित्व सर्वे पूरा

योजना के अंतर्गत खतौनी ग्रामों की कुल संख्या 110344 है, जिसमें से 90900 ग्रामों का स्वामित्व सर्वे पूरा हो चुका है। हालांकि अब भी 19444 ग्रामों का सर्वे नहीं हो सका। इसकी अलग-अलग वजह हैं। 10993 ग्राम ऐसे हैं जो गैर आबाद हैं। वहीं 1019 ग्रामों का या तो मैप उपलब्ध नहीं है या फिर मैप जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। 4046 ग्राम नगर निकाय में सम्मिलित हो गए हैं तो 3386 ग्रामों का सर्वे न होने के कई अन्य कारण हैं। सबसे ज्यादा लंबित स्थलीय पड़ताल वाले जनपदों में गोरखपुर 1699 ग्रामों के साथ अव्वल है।

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