अतीक-अशरफ हत्या मामले की जांच करेंगे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति, तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन

  • – न्यायिक आयोग में पूर्व डीजीपी और पूर्व न्यायाधीश के भी नाम
  • – आयोग दो माह में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी
  • – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार पूरे मामले की कर रहे मॉनीटरिंग
  • – शनिवार रात माफिया अतीक और उसके भाई की तीन युवकों ने कर दी थी हत्या

16 अप्रैल, लखनऊ: माफिया अतीक और उसके भाई अशरफ की प्रयागराज में शनिवार देर रात हत्या के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन कर दिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अरविंद कुमार त्रिपाठी द्वितीय की अध्यक्षता में गठित आयोग दो माह के अंदर अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। आयोग में प्रदेश के पूर्व डीजीपी सुबेश कुमार सिंह और सेवानिवृत्त न्यायधीश बृजेश कुमार सोनी को भी शामिल किया गया है।

सीएम योगी ने पूरी रात जागकर खुद की मामले की मॉनिटरिंग
मालूम हो कि हत्याकांड के बाद से ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था की मॉनिटरिंग शुरू कर दी थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद पूरी रात जागकर कानून व्यवस्था की स्थिति की पल-पल की जानकारी लेते रहे। इससे पहले उन्होंने अपने आवास पर गृह विभाग, डीजीपी और डीजी स्पेशल को तलब कर कानून व्यवस्था को लेकर हाई लेवल मीटिंग की, जिसके बाद प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गयी।इसके अलावा पुलिस ने विभिन्न जिलों में फ़ुट पेट्रोलिंग शुरू कर दी। साथ ही प्रदेश के संवेदनशील इलाकों में भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया, यही वजह रही कि प्रदेश की कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने नहीं पायी।

कमीशन ऑफ एन्क्वायरी एक्ट 1952 के तहत आयोग गठित
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना के बाद ही अधिकारियों को फील्ड में सतर्कता बरतने के निर्देश दिए थे। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में शांति व्यवस्था बनी रहनी चाहिए। इसमें सभी प्रदेश वासी सहयोग भी कर रहे हैं। आम जनता को किसी प्रकार की परेशानी ना आए इसका ध्यान रखें। सीएम योगी ने कहा कि कानून के साथ कोई भी खिलवाड़ न करे। उन्होंने जनता से अपील की है कि किसी भी अफवाह पर ध्यान ना दें। अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सीएम के निर्देश पर गृह विभाग द्वारा कमीशन ऑफ़ एन्क्वायरी एक्ट 1952 के तहत घटना की विस्तृत जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया जा चुका है, जो दो माह के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा।

हमलावर पत्रकार बनकर आए थे उनके हाथ में माइक आईडी और कैमरा भी था। स्वाभाविक तौर पर पत्रकारों की चेकिंग नहीं होती है। यह चुस्त कानून व्यवस्था का ही परिणाम है कि तीनों तत्काल पकड़े गए। पुलिस ने त्वरित एक्शन लेते हुए मौके पर तीनों को दबोच लिया था। घटना के दौरान मीडिया में लाइव चल रहा था। पुलिस अगर जवाबी फायरिंग करती तो बेगुनाह मीडिया कर्मी भी मारे जाते। इस वजह से पुलिस ने संयम बरता और सिर्फ हमलावरों को पकड़ने की कार्रवाई की।

अतीक़ पर 101 तो अशरफ़ पर 57 मुक़दमे थे दर्ज
अतीक और अशरफ का आपराधिक इतिहास बेहद क्रूर रहा है। अतीक के खिलाफ वर्ष 1979 से अब तक 101 मुकदमा दर्ज हुए जबकि अशरफ के खिलाफ 57 मुकदमे दर्ज थे। यही वजह है कि इनसे पीड़ितों और दुश्मनों की संख्या काफी थी।इसका अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि 2005 में राजू पाल की हत्या के बाद पुलिस जब राजू पाल की बॉडी को लेकर जा रही थी तो उसने 56 किलोमीटर तक उसका पीछा किया था और मेडिकल कॉलेज में भी डेड बॉडी पर गोलियां चलाई थी। साल 1979 में 17 साल की उम्र में अतीक अहमद पर कत्ल का पहला मुकदमा दर्ज हुआ था। इसके बाद तो उसने इतनी तेजी से अपराध की दुनिया में कदम बढ़ाए कि 1985 आते-आते वो प्रयागराज ही नहीं आसपास के जिलों में भी पैर पसारने लगा था।वैसे ही 1989 में चांद बाबा को मार डाला था।2007 में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे तब अतीक के भाई अशरफ ने मदरसे से 2 लड़कियों को उठा लिया था और रेप किया था। बाद में मदरसे में छोड़ गया था।

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