कार्तिक पूर्णिमा ,श्री गुरू नानक जयन्ती देव दीपावली 27 नवम्बर को

ज्योतिषाचार्य एस0एस0 नागपाल

लखनऊ। 27 नवम्बर को कार्तिक पूर्णिमा, श्री गुरू नानक जयन्ती मनाई जाएगी, कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत 26 नवंबर को दोपहर 03 बजकर 52 मिनट से हो रही है। इसका समापन अगले दिन 27 नवंबर को दोपहर 02 बजकर 45 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि को देखते हुए कार्तिक पूर्णिमा 27 नवंबर को मनाई जाएगी। इस बार पूर्णिमा तिथि पर कृतिका नक्षत्र और शिव योग का संयोग विशेष फलदायी है इस दिन चन्द्रमा अपनी उच्च राशि वृषभ में, मंगल अपनी वृषभ राशि में सूर्य के साथ और शनि अपनी कुम्भ राशि में होंगे। कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है इस दिन भगवान विष्णु का प्रथम मत्स्यावतार हुआ था। इस दिन भगवान विष्णु का व्रत, पूजन और दान करने का विधान है। कार्तिक पूर्णिमा को गंगा स्नान एवं तीर्थ स्थान पर स्नान – दान का बड़ा महत्व है। गंगा स्नान कर दान करने से अनन्त पुण्य फल की प्राप्ति होती है। सायंकाल दीपदान किया जाता है। राजस्थान में पुष्कर मेला भी इस दिन प्रारम्भ होता है।

हर साल दिवाली के 15 दिन बाद और कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को प्रदोष काल में देव दीपावली का त्योहार मनाया जाता है यह पर्व मुख्य रूप से काशी में गंगा नदी के तट पर मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन देवता काशी की पवित्र भूमि पर उतरते हैं और दिवाली मनाते हैं। देवों की इस दिवाली पर वाराणसी के घाटों को मिट्टी के दीयों से सजाया जाता है। काशी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन देव दिवाली मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा के दिन त्रिपुरासुर का वध किया था इसलिए देवताओं ने स्वर्ग में दीपक जलाए थे। इस दिन देवताओं का पृथ्वी पर आगमन होता है और उनके स्वागत में धरती पर दीप जलाये जाते है प्रातः गंगा में स्नान के बाद सांयकाल घाटों और मन्दिरों को दीये से सजाया जाता है।दीपक जलाने के साथ ही भगवान शिव के दर्शन करने और उनका अभिषेक करने की भी परंपरा है । ऐसा करने से व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। साथ ही स्वास्थ्य अच्छा रहता है और आयु में बढ़ोतरी होती है।

गुरूनानक देवजी की जयन्ती कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है। इस वर्ष गुरुनानक देव जी की 554 वां जन्म वर्षगांठ है गुरूनानक देवजी का जन्म कार्तिक पूर्णिमा को ननकाना साहिब में हुआ था। गुरू नानक देव जी सिखों के प्रथम गुरू और सिख धर्म के संस्थापक है। गुरू नानक जी समाजसुधारक, धर्मसुधारक, दार्शनिक और योगी थे। गुरू नानक देव जी ने देश के कई जगह यात्रायें करके साम्प्रदायिक सौहार्द का उपदेश दिया। उन्होंने अपने धार्मिक और सामाजिक उपदेशों के जरिए समाज को एकता और प्यार-प्रेम का पाठ पढ़ाया, जिनमें भारत, अफगानिस्तान, फारस और अरब के मुख्य मुख्य स्थानों का भ्रमण किया। जीवन के अन्तिम वर्षाे में इन्होंने करतारपुर नामक एक नगर बसाया, जो कि अब पाकिस्तान में है और एक बड़ी धर्मशाला उसमें बनवाई। इसी स्थान पर 22 सितम्बर 1539 ईस्वी को इनका परलोक वास हुआ।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com