अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के हवाई अड्डों, बंदरगाहों व भूमि सीमा पर संक्रामक बीमारियों के प्रसार को रोकना होगा

वाराणसी। 21वीं सदी में एक देश से दूसरे देश में बीमारियों के अंतरराष्ट्रीय प्रसार को रोकने के लिए बड़ालालपुर स्थित ट्रेड फैसिलिटी सेंटर में तीन दिवसीय स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय प्वाइंट ऑफ एंट्री (2023-24) की वार्षिक समीक्षा बैठक चल रही है।

प्वाइंट ऑफ एंट्री (पीओई) बैठक के दूसरे दिन सोमवार को विशेषज्ञ गतिशील वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य की पृष्ठभूमि में, अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (आईएचआर) का प्रभावी कार्यान्वयन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा आदि पर विमर्श करेंगे।
बैठक के पहले दिन स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक प्रो. डॉ अतुल गोयल ने कहा कि वैश्वीकरण के युग में, अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और आदान-प्रदान में वृद्धि के साथ, बीमारियाँ दूर-दूर तक तेजी से फैल सकती हैं। एक देश में स्वास्थ्य संकट दूसरे देशों की आजीविका और अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर सकता है। इसलिए 21वीं सदी में एक देश से दूसरे देश में बीमारियों के अंतरराष्ट्रीय प्रसार को रोकना एक महत्वपूर्ण चुनौती है। इसमें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम-2005 बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए प्रवेश के अंतर्राष्ट्रीय बिंदुओं हवाई अड्डों, बंदरगाहों और भूमि सीमापार पर सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय एक वैधानिक आवश्यकता है। गतिशील वैश्विक स्वास्थ्य परिदृश्य की पृष्ठभूमि में, अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (आईएचआर) का प्रभावी कार्यान्वयन सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आधारशिला बन गया है।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2007 से आईएचआर ढांचे को मील का पत्थर बनाने, उसके ढांचे को सुदृढ़ करने, रणनीतियों को विकसित करने और चिन्हित चुनौतियों को प्राप्त करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण यात्रा तय की है। इसके कार्यान्वयन के प्रवेश बिंदुओं (प्वाइंट ऑफ एंट्री – पीओई) महत्वपूर्ण निभा रही है, जो संक्रामक रोगों और वैश्विक स्वास्थ्य खतरों के प्रवेश के खिलाफ अग्रिम पंक्ति के संरक्षक के रूप में कार्य करते हैं।
डॉ अतुल गोयल ने कहा कि प्रवेश बिंदु (पीओई) का अर्थ वह क्षेत्र है जहां कोई भी अंतरराष्ट्रीय यात्री एक देश से दूसरे देश में कानूनी रूप से प्रवेश कर सकता है। भारत में, हवाईअड्डों, बंदरगाहों व भूमि सीमा पर निगरानी और प्रतिक्रिया स्वास्थ्य गतिविधियों के लिए उपाय करने के लिए जिम्मेदार स्वास्थ्य इकाइयों को एपीएचओ (हवाई अड्डा स्वास्थ्य संगठन), पीएचओ (बंदरगाह स्वास्थ्य संगठन) और भूमि सीमा स्वास्थ्य इकाइयों (एलबीएचयू) के रूप में जाना जाता है।
संयुक्त निदेशक डॉ गुलाम मुस्तफा ने कहा कि इन संगठनों का प्राथमिक उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार संक्रामक रोगों व पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ इंटरनेशनल कंसर्न (पीएचईआईसी) के प्रवेश और संचरण को रोकना है, साथ ही यात्रियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है जो पीओई में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रतिक्रिया के लिए मुख्य क्षमता की आवश्यकता को पूरा करता है।
डॉ गुलाम मुस्तफा ने कहा प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएमएबीएचआईएम) के ढांचे के भीतर प्रवेश बिंदुओं (पीओई) को मजबूत करने की कल्पना की गई है और इसे प्राथमिकता दी गई है। स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच में पीओई संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानते हुए, पीएमएबीएचआईएम बेहतर महामारी तैयारियों और प्रतिक्रिया क्षमताओं के लिए उनकी क्षमता, दक्षता और प्रभावशीलता को बढ़ाने पर महत्वपूर्ण जोर देता है।

प्रो. अतुल गोयल की अध्यक्षता एवं एलपीएआई सचिव विवेक वर्मा, संयुक्त सचिव गुलाम मुस्तफा, अपर महानिदेशक डॉ एस सेंथुनाथन, एनसीडीसी के पूर्व प्रधान सलाहकार डॉ सुजीत कुमार सिंह, पीएचओ कोलकाता/निदेशक एआईआईपीएच प्रो डॉ रंजन दास, आईएमएस बीएचयू डीन (शोध) डॉ गोपालनाथ, स्टेट सर्विलान्स ऑफिसर डॉ विकासेंदु अग्रवाल, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ संदीप चौधरी की उपस्थिती में बैठक का शुभारम्भ किया गया। बैठक में देश के समस्त राज्यों व संघ शासित प्रदेशों में स्थित राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों के प्रमुख अधिकारी, एनसीडीसी, एआईआईएचपीएच के अधिकारी व स्टेकहोल्डर शामिल रहे।

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