बढ़ती बीमारियों के बीच स्वास्थ्य-क्रांति की अपेक्षा

हर वर्ष दुनिया के लोगों की उन्नत स्वास्थ्य की अपेक्षा के साथ 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाता है। दुनिया भर में लोगों को प्रभावित करने वाले एक विशिष्ट स्वास्थ्य मुद्दे के बारे में जागरूकता बढ़ाना इसका ध्येय है। यह सामूहिक कार्रवाई, शिक्षा और सभी के लिए स्वास्थ्य के महत्व को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने का दिन है। 2024 की थीम – ‘मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार’ है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक स्वास्थ्य का मतलब सिर्फ स्वस्थ खाना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी आवश्यक है कि कैसे दुनिया एक साथ आकर सभी को लंबा और स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकती है। चिकित्सा के क्षेत्र में नए खोज, नई दवाओं और नए टीकों को बनाने के साथ ही स्वास्थ्य के मुद्दों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाना भी विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्राथमिकता है। सन् 1948 में, दुनिया के तमाम देशों ने एक साथ मिलकर स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, दुनिया को सुरक्षित रखने और कमजोर लोगों की सेवा करने के लिए डब्ल्यूएचओ की स्थापना की, ताकि हर व्यक्ति हर जगह स्वस्थ्य रहे और उच्चतम स्तर की मदद प्राप्त कर सके। इसके दो साल बाद 1950 में पहला विश्व स्वास्थ्य दिवस 7 अप्रैल को मनाया गया। इस बार का विषय इस सोच को दर्शाता है कि स्वास्थ्य एक बुनियादी मानव अधिकार है और हर किसी को बिना किसी वित्तीय कठिनाइयों के जब और जहां इसकी आवश्यकता हो, उसे स्वास्थ्य सेवाएं मिलनी चाहिए।

दुनिया की बड़ी चिन्ताओं में स्वास्थ्य प्रमुख है। सभी देशों में स्वास्थ्य की स्थिति सोचनीय एवं परेशान करने वाली है। वैज्ञानिक प्रगति, औद्योगिक क्रांति, बढ़ती आबादी, शहरीकरण तथा आधुनिक जीवन के तनावपूर्ण वातावरण के कारण शारीरिक एवं मानसिक रोगों में भारी वृद्धि हुई है। यह किसी एक राष्ट्र के लिये नहीं, समूची दुनिया के लिये चिन्ता का विषय है। अस्वास्थ्य वर्तमान युग की एक व्यापक समस्या है। चारों ओर बीमारियों का दुर्भेध घेरा है। निरन्तर बढ़ती हुई बीमारियों को रोकने के लिये नई-नई चिकित्सा पद्धतियां असफल हो रही है। जैसे-जैसे विज्ञान रोग-प्रतिरोधक औषधियों का निर्माण करता है, वैसे-वैसे बीमारियां नये रूप, नये नाम और नये परिवेश में प्रस्तुत हो रही है। 2021 में दुनिया की आधी आबादी से अधिक, 4.5 बिलियन से अधिक लोगों के पास आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं तक पर्याप्त पहुंच नहीं थी। दो अरब लोग स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं क्योंकि उनके पास विभिन्न रोगों के उपचार पर खर्च करने के लिए पैसे नहीं हैं। दुनिया भर में लगभग 930 मिलियन लोगों को अपने घरेलू बजट का 10 प्रतिशत या उससे अधिक स्वास्थ्य पर खर्च करना पड़ रहा है, जिससे उनकी वित्तीय हालत और खराब हो रही है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस स्थान, सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना स्वास्थ्य के अधिकार को मौलिक मानव अधिकार के रूप में उजागर करता है। यह एक ऐसी दुनिया की वकालत करता है जहां केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को ही नहीं, बल्कि सभी को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक समान पहुंच प्राप्त हो। यह दिवस केवल जागरूकता बढ़ाने के बारे में नहीं है; यह परिवर्तन का उत्प्रेरक है, यह स्वास्थ्य-क्रांति का शंखनाद है। यह व्यक्तियों को स्वस्थ आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करता है, सरकारों को स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे और संसाधनों में निवेश करने के लिए प्रेरित करता है, और स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों को उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं में लगातार सुधार करने के लिए प्रेरित करता है। यह दिन सीमाओं और सांस्कृतिक विभाजनों से परे है। यह दुनिया भर के लोगों को एक समान लक्ष्य में एकजुट करता है, एक ऐसी दुनिया जहां हर कोई अच्छे स्वास्थ्य के साथ पनप सके। यह प्रभावी, सुरक्षित, सस्ती और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त स्वास्थ्य सेवाओं के महत्व पर जोर देता है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस विश्व क्षय रोग दिवस, विश्व टीकाकरण सप्ताह, विश्व मलेरिया दिवस, विश्व तंबाकू निषेध दिवस, विश्व एड्स दिवस, विश्व रक्तदाता दिवस, विश्व चगास रोग दिवस, विश्व रोगी दिवस के साथ डब्ल्यूएचओ द्वारा चिह्नित 11 आधिकारिक वैश्विक स्वास्थ्य अभियानों में से एक है। इस साल डब्ल्यूएचओ अपनी 75वीं वर्षगांठ भी मना रहा है, इसलिए इस दिन को खास बनाने के लिए, डब्ल्यूएचओ उन सार्वजनिक स्वास्थ्य सफलताओं को भी देखेगा, जिन्होंने पिछले साढे सात दशकों के दौरान जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया है। विश्व स्वास्थ्य दिवस स्थान, सामाजिक आर्थिक स्थिति या पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना स्वास्थ्य के अधिकार को मौलिक मानव अधिकार के रूप में उजागर करता है। यह एक ऐसी दुनिया की वकालत करता है जहां केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों को ही नहीं, बल्कि सभी को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक समान पहुंच प्राप्त हो। यह दिवस स्वास्थ्य देखभाल और बीमारी की रोकथाम में प्रगति को स्वीकार करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। सफल रणनीतियों और नवाचारों को उजागर करना वैश्विक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार के लिए आगे की सफलताओं और प्रतिबद्धता को प्रेरित कर सकता है।

भारत की स्वास्थ्य स्थितियां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सुधर रही है, लेकिन इस सुधार में तीव्रता की अपेक्षा है। डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी डेटा ने भारत में एक और बढ़ते स्वास्थ्य संकट पर प्रकाश डाला है और यह है मोटापा और एनीमिया। रिपोर्ट के अनुसार, अब पुरुषों की तुलना में दोगुनी संख्या में महिलाएं एनीमिया से प्रभावित हो रही हैं। वहीं मोटापे के मामले में आंकड़ों पर नजर डालें तो महिलाओं में मोटापा 2015-16 में 21 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 में 24 प्रतिशत हो गया है। इनके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात, महाराष्ट्र सहित भारत के प्रमुख राज्यों में बच्चों में भी मोटापे में वृद्धि देखी जा रही है। दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के साथ, भारत 1.4 अरब से अधिक लोगों का घर है। 2018 में प्रति महिला औसतन दो बच्चों के जन्म पर, देश की जन्म दर प्रति हजार निवासियों पर 18.6 थी। औसत जीवन प्रत्याशा में 1920 के दशक से लगातार वृद्धि देखी गई है और 2019 में यह लगभग 69 वर्ष थी। हालाँकि, यह अभी भी लगभग 72 वर्षों के वैश्विक औसत से कम थी। विशेष नवजात देखभाल इकाइयों, नियमित टीकाकरण और बुनियादी मां और बच्चे की देखभाल सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करने पर सरकार के बढ़ते ध्यान के कारण पिछले कुछ वर्षों में शिशु मृत्यु दर में भी लगातार गिरावट आई है। इसके अलावा, जब से कन्या भ्रूण हत्या और लिंग-चयनात्मक गर्भपात के सरकारी नियमों ने ऐसी प्रक्रियाओं को अवैध बना दिया है तब से देश में इसमें अपेक्षाकृत गिरावट देखी गई है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस जैसे आयोजनों में बीमारियों पर नियंत्रण के लिये योग एवं साधना, संतुलित आहार एवं संयमित जीवनशैली को भी हिस्सा बनाना चाहिए। हमारे शरीर के दो महत्वपूर्ण अवयव हैं- दिल और दिमाग। यानी हृदय और मस्तिष्क। ये दोनों समूचे शरीर-तंत्र का संचालन एवं नियमन करते है। शरीर के प्रत्येक अवयव की जीवंतता, सक्रियता, क्षमता और स्वस्थता इन दानों की स्वस्थता पर निर्भर करती है। जितनी भी मानसिक और कायिक बीमारियां या विकृतियां उत्पन्न होती है, वे इस बात की गवाह है कि किसी एक ने ‘रोड क्रोसिंग’ पर खड़े ‘ट्रेफिक पुलिस’ के निर्देशों की उपेक्षा कर ‘ओवर टेकिंग’ की कोशिश की है। सारी दुनिया में बढ़ते हुए मनोरोग एवं हृदयरोग इसी आंतरिक अव्यवस्था का परिणाम है। अन्य असाध्य बीमारियों का कारण भी असंतुलित जीवनशैली है। इसलिये अच्छे स्वास्थ्य के लिये मानसिक स्वास्थ्य एवं भावनात्मक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बरतना नितान्त अनिवार्य है और ऐसी जागृति के लिये विश्व स्वास्थ्य दिवस जैसे आयोजनों को माध्यम बनाया जाना चाहिए।

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