सातवें वेतनमान का एरियर न देने और डीए (महंगाई भत्ता) नहीं बढ़ाने से पेंशनर्स नाराज हैं.

प्रदेश के चार लाख से ज्यादा पेंशनर्स का विधानसभा चुनाव में क्या रुख रहेगा, इसकी रणनीति गुरुवार को छतरपुर में तय होगी। पेंशनर्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश ने इसकी रूपरेखा तय करने के लिए पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है।

दरअसल, सातवें वेतनमान का एरियर न देने और डीए (महंगाई भत्ता) नहीं बढ़ाने से पेंशनर्स नाराज हैं। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा एक जनवरी 2018 से दो फीसदी डीए बढ़ाने पर सहमति नहीं देने से मामला अटक गया है।

पेंशनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने बताया कि जनवरी 2018 से प्रदेश के सभी कर्मचारियों का महंगाई भत्ता पांच से बढ़ाकर सात प्रतिशत किया जा चुका है। अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को एक जुलाई 2018 से नौ प्रतिशत डीए मिल रहा है। पेंशनर्स इसको लेकर कई बार मांग उठा चुके हैं पर आचार संहिता लागू होने से कुछ दिन पहले हुई कैबिनेट बैठक में प्रस्ताव नहीं रखा गया।

वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि छत्तीसगढ़ सरकार डीए बढ़ाने की सहमति नहीं दे रही है। इसकी वजह से हम भी निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। दरअसल, राज्य बंटवारा अधिनियम में प्रावधान है कि पेंशनर्स के मामले में कोई भी फैसला दोनों राज्यों की सहमति से ही होगा, क्योंकि इसका वित्तीय भार दोनों राज्यों को उठाना होता है।

यही वजह है कि छठवें वेतनमान के वक्त 32 माह का एरियर पेंशनरों को नहीं दिया गया और इस बार भी एरियर की कोई चर्चा तक नहीं की। जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री निवास में हुई पेंशनर्स के प्रतिनिधिमंडल से चर्चा के दौरान इसका रास्ता निकालने की घोषणा की थी।

एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गणेशदत्त जोशी का कहना है कि डीए बढ़ाने के मामले में आचार संहिता आड़े नहीं आती है। यह एक नियमित प्रक्रिया है। पेंशनर्स के हितों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। इससे पेंशनर्स और उनके परिजन खफा हैं। एसोसिएशन की छतरपुर में गुरुवार को होने वाली बैठक में इस मसले पर कोई निर्णय हो सकता है।

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